Devuthani Ekadashi 2021 : कब है देव उठानी एकादशी व्रत, कष्टों को दूर करने के लिए रखा जाता है ये व्रत, जानें लाभ
Devuthani Ekadashi 2021: चतुर्मास की आखिरी एकादशी देवउठानी एकादशी होती है. इस दिन कहते हैं कि चार माह की निद्रा के बाद भगवान विष्णु जागते हैं और सृष्टि संचालन की बागडोर अपने हाथ में लेते हैं.
Devuthani Ekadashi 2021 Benefits: चतुर्मास की आखिरी एकादशी देवउठानी एकादशी (Devuthani Ekadashi 2021) होती है. इस दिन कहते हैं कि चार माह की निद्रा के बाद भगवान विष्णु (Bhagwan Vishnu) जागते हैं और सृष्टि संचालन की बागडोर अपने हाथ में लेते हैं. श्री हरि के जागने के इस एकादशी को देव उठानी एकादशी के नाम से जाना जाता है. इतना ही नहीं, इसे देवउठावनी और देवोत्थान एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. इस एकादशी के दिन व्रत का विशेष महत्व है. इस साल देव उठानी एकादशी 14 नवंबर (Devuthani Ekadashi 14th November) के दिन मनाई जाएगी.
देवउठानी एकादशी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. कहते हैं कि इस दिन से शुभ और मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाती है. इस दिन भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए व्रत रखा जाता है. साल में पड़ने वाली हर एकादशी का अपना अलग महत्व और अलग लाभ हैं. आइए जानते हैं देव उठानी एकादशी के दिन व्रत रखने से क्या लाभ होते हैं.
देवउठानी एकादशी व्रत के लाभ (Devuthani Ekadashi Vrat Benefits)
कहते हैं कि जो व्यक्ति देवउठानी एकादशी का व्रत सच्चे दिल और श्रद्धापूर्वक रखता है उसकी सभी मनोकामना पूर्ण होती हैं. इस दिन सिर्फ निर्जन या केवल जलीय पदार्थों पर ही उपवास रखा जाता है. अगर आप इस दिन निर्जल व्रत नहीं रखते, तो इस दिन चावल, प्याज, लहसुन, मांस, मदिरा, बासी भोजन आदि का सेवन भूलकर भी न करें. साथ ही निम्म बताई बातों को भी ध्यान में रखें.
- मान्यता है कि देवोत्थान एकादशी के दिन व्रत रखने से व्यक्ति के समस्त पापों का नाश होता है. जीवन के सभी अशुभ संस्कार नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है.
- कहते हैं कि देवउठानी एकादशी के दिन तुलसी पूजा का विशेष महत्व है. इस दिन तुलसी मां का विवाह शालीग्राम के साथ कराया जाता है. इस दिन तुलसी जी की पूजा करने से सभी दोष दूर हो जाते हैं. मान्यता है कि तुलसी दल अकाल मृत्यु से बचाता है. इतना ही नहीं, इस दिन शालीग्राम और तुलसी पूजा से पितृदोष का शमन होता है.
- कहते हैं इस दिन भगवान विष्णु की उपासना का भी विशेष फल मिलता है. इस दिन “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः “मंत्र का जाप करने भर से ही लाभ होता है.
- अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा कमजोर स्थिति में है तो उसे जल या फल खाकर निर्जल एकादशी का उपवास रखना चाहिए. अगर वे ऐसा सभी एकादशी व्रत में करता है तो इससे कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत होती है और मानसिक स्थिति में सुधार होता है.
- मान्यता है कि देव उठानी एकादशी के दिन पूजा-पाठ के साथ पौराणिक कथा का श्रवण और वाचन करने से ही पापों का नाश होता है. और पुण्य की प्राप्ति होती है.
- कहते हैं कि देवोत्थान एकादशी का व्रत करने से हजार अश्वमेघ एवं सौ राजसूय यज्ञ का फल मिलता है.
- कहते हैं कि इस दिन विधि-विधान के साथ व्रत करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है. इतना ही नहीं, इस दिन पूजा आदि करने से रुठे हुए पितर खुश हो जाते हैं और दुखों से छुटकारा मिलता है.
- देव उठानी एकादशी का व्रत करने से भाग्योदय होता है.
- धार्मिक ग्रंथों के अनुसार जो व्यक्ति एकादशी का व्रत करता है उसे जीवन में किसी प्रकार का कष्ट नहीं भोगना पड़ता. इतना ही नहीं, जीवन में धन और समृद्धि बनी रहती है.
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