Devuthani Ekadashi 2021: देवउठावनी या देवोत्थान एकादशी के दिन से विवाह, गृहप्रवेश, जातकर्म संस्कार आदि सभी कार्य शुरू हो जाते हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन श्रीहरि पाताल में अपनी नींद पूरी कर दोबारा सृष्टि संचालन की बागडोर अपने हाथ में ले लेते हैं. इस दिन व्रत रखने जा रहे लोगों को निर्जल या सिर्फ जलीय पदार्थों पर उपवास रखना चाहिए. अगर ऐसा नहीं है तो चावल, प्याज, लहसुन, मांस, मदिरा, बासी भोजन आदि भूलकर न खाएं. इस व्रत को रखने से कुंडली समेत कई दोष स्वत: खत्म हो जाते हैं. आइए जानते हैं कि देवउठावनी एकादशी व्रत पूजन के लाभ.


1. सभी पापों का नाश : देवोत्थान एकादशी व्रत रखने वालों के सभी अशुभ संस्कार और पापों का नाश हो जाता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है.
2. तुलसी पूजा : इस दिन शालीग्राम के साथ तुलसी का आध्यात्मिक विवाह होता है. इस दिन तुलसी दल अकाल मृत्यु से बचाता है. शालीग्राम और तुलसी की पूजा से पितृदोष खत्म होता है.
3. विष्णु पूजा : इस दिन विष्णु या इष्ट-देव की पूजा करें. "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः "मंत्र का जाप करने से काफी लाभ मिलता है.
4. चंद्र दोष : कुंडली में चंद्रमा कमजोर होने की स्थिति में जल और फल खाकर या निर्जल एकादशी का उपवास जरूर रखना चाहिए. यदि सभी एकदशियों में उपवास रखते हैं तो चंद्र के साथ मानसिक स्थिति भी सुधरती है.
5. कथा श्रवण या वाचन: इस दिन देवउठनी एकादशी की पौराणिक कथा का श्रवण या वाचन करना चाहिए. कथा सुनने या कहने से पुण्य मिलता है.
6. अश्वमेघ-राजसूय यज्ञ फल : मान्यता है देवोत्थान एकादशी व्रत करने से हजार अश्वमेघ और सौ राजसूय यज्ञ का फल मिलता है.
7. पितृदोष मुक्ति : पितृदोष से पीड़ित लोगों को इस दिन व्रत करना चाहिए, पितरों के लिए यह उपवास से अधिक लाभ मिलता है. जिससे पितृ नरक के दुखों से छुटकारा पा सकते हैं.
9. जाग उठता है भाग्य: देवउठनी या प्रबोधिनी एकादशी व्रत से भाग्य जागृत होता है, मान्यता है कि इस व्रत को रखने वाले को कभी आर्थिक संकट नहीं घेरता है.
10. धन-समृद्धि का विस्तार: पौराणिक मान्यताएं कहती हैं कि जो व्यक्ति देवउठावनी एकादशी का व्रत करता है, वह जीवन में कभी संकटों से नहीं घिरता. उसकी जिंदगी में धन-समृद्धि निरंतर बढ़ती रहती है.


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