Devuthavani Ekadashi: देवउठनी एकादशी/ग्यारस पर विष्णु पूजन और तुलसी विवाह का खास महत्व है. इस दिन व्रत पूजन करने वाले हर व्यक्ति की मनोकामना पूरी होती है. इस दिन माता तुलसी की खास पूजा होती है, जिसके बाद शुभ कार्यों की शुरुआत हो जाती है. आइए जानते हैं पूजा विधि और मंत्रों के जाप का तरीका.


1. घर में तुलसी के पौधे के चारों तरफ एक स्तंभ तैयार करें.
2. फिर इन स्तंभों पर एक तोरण अच्छे से सजाएं.
3. आकर्षक रंगोली से अष्टदल कमल तैयार करें.
4. शंख, चक्र और गाय के पद चिह्न बनाएं
5. तुलसी के साथ आंवले का गमला स्थापित करें.
6. तुलसी का पंचोपचार करते हुए सर्वांग पूजा करें.
7. दशाक्षरी मंत्र से माता तुलसी का आवाहन करें. 
8. दशाक्षरी मंत्र, श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वृन्दावन्यै स्वाहा.
9. घी का दीप और धूप जलाकर माता को दिखाएं
10. सिंदूर, रोली, चंदन और नैवेद्य अर्पित करिए.
11. तुलसी मां को वस्त्र अंलकार से सुशोभित करें.
12. लक्ष्मी अष्टोत्र, दामोदर अष्टोत्र पढ़कर दीपदान करें.
13. एकादशी पर श्रीहरि को तुलसी चढ़ाने का फल दस हज़ार गोदान है.  
14. जिन दंपत्तियों के यहां संतान न हो वो तुलसी नामाष्टक पढ़ें.
15. तुलसी नामाष्टक पाठ से शीघ्र विवाह होता है, संबंध करीब आते हैं.


अपनाएं ये नियम 
- पौराणिक मान्यताओं के अनुसार नए घर में तुलसी पौधा, श्रीहरि नारायण चित्र या प्रतिमा और जल भरा कलश लेकर प्रवेश से नए घर में संपत्ति की कमी नहीं होती.   
- नौकरी पाने, कारोबार बढ़ाने के लिये हर गुरुवार श्यामा तुलसी का पौधा पीले कपड़े में बांध, ऑफिस या दुकान में रखें. कारोबार बढ़ेगा, नौकरी में प्रमोशन होगा. 


11 बार तुलसी जी की परिक्रमा कर दिव्य मंत्र का जाप करें
देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः । नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये ।।
ॐ श्री तुलस्यै विद्महे। विष्णु प्रियायै धीमहि। तन्नो वृन्दा प्रचोदयात्।। 
तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी। धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।। 
लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्। तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।।


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