नई दिल्ली: धनतेरस और दीपावली पूजन की तैयारियां देशभर में शुरू हो गई हैं. 25 अक्टूबर को धनतेरस है. हिन्दू परंपरा में इस दिन का भी खास महत्व होता है. इस दिन धन की देवी लक्ष्मी, धन के देवता कुबेर और यमराज का पूजन किया जाता है. अपनी आर्थिक हालत को मजबूत करने के लिए धनतेरस का दिन बहुत अहम होता है. इस दिन लोग खरीददारी भी करते हैं.


धनतेरस का मतलब दो तरीकों से लिया जाता है
झाडू खरीदने का वि‍धान- पहला, इस दिन दीपावली की शुरूआत होती है तो इस दिन घर की साफ-सफाई करना जरूरी होता है. क्‍या आप जानते हैं धनतेरस पर झाडू खासतौर पर खरीदी जाती है. धनतेरस के दिन झाडू खरीदने का वि‍धान घर की साफ-सफाई से लिया जाता है.


धनतेरस से श्री विष्णु जी, भगवान राम और मां लक्ष्मी के पांव आपके द्वार पर पड़ने शुरू हो जाते हैं. ऐसे में घर साफ-सुथरा होना चाहिए. इसलि‍ए धनतेरस का दिन साफ-सफाई का दिन माना गया है.


यमदिवस


धनतेरस को स्वास्थ्य लाभ का त्योहार भी माना जाता है. इस दिन यमराज की पूजा भी होती है. इसलिए इसे यमदिवस भी कहा जाता है. इस दिन यमराज से बचने के लिए पूजा की जाती है. स्वास्थ्य वृद्धि के लिए आज पूजा की जाती है. लेकिन ये भी ध्यान रखें कि यमराज यानि असुरों की पूजा विशेष समय पर की जाती है.


धनतेरस पूजा का शुभ मुहूर्त


शाम 7 बजकर 10 मिनट से 8 बजकर 15 मिनट तक


प्रदोष काल-5 बजकर 42 मिनट से 8 बजकर 15 मिनट तक


वृषभ काल-6 बजकर 51 मिनट से 8 बजकर 47 मिनट तक


धनतेरस की पूजा का आसान तरीका


धनतेरस की शाम को तिल के तेल से आटे या पीतल के दीपक जलाएं.


पूजा की जगह सुगंध बिखेरें.


शाम की पूजा में सबसे पहले गणेशजी की पूजा करें.


गणेशजी की पूजा के बाद लक्ष्मीजी की पूजा करें.


लक्ष्मीजी की पूजा के बाद भगवान धन्वन्तरि और यमराज जी की पूजा करें.


फूल और अक्षत से भगवान धन्वन्तरि, गणेशजी, लक्ष्मीजी की पूजा करें.


पूजा के बाद दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके यमराज को जल दें.


पूजा में अनाज निकाल कर रखें.


पूजा के बाद अनाज का दान करें.


धनतेरस के दिन गणेशजी की स्थापना करने विशेष लाभ होता है.


कैसे करें मां लक्ष्मी को प्रसन्न


मां लक्ष्मी को धन की देवी कहते हैं अगर हम पुराणों का अध्ययन करें तो लक्ष्मी सुख और संपन्नता की देवी हैं और यदि हम उनके नाम का विशिष्ट रूप से अध्ययन करें तो वह लक्ष्य यानि गंतव्य तक पहुंचाने वाली देवी भी हैं.


लक्ष्मी केवल करेंसी ही नही हैं, बल्कि लक्ष्मी के स्वरूप का अध्ययन करने पर पता चलता है कि लक्ष्मी संपन्नता की देवी हैं. हम देवी देवता के स्वरूप को ढ़ग से नहीं समझते इसलिए पूजा भी ढ़ंग से नहीं कर पाते हैं.


मुख्य तौर पर लक्ष्मी जी कमला रूप में हैं जो 10 मां विद्याओं में से एक हैं. दुर्गा की 10 मां विद्याएं हैं जिनमें से एक लक्ष्मी हैं इनके स्वभाव के विपरीत इनकी एक बहन हैं जिनका नाम है दरिद्रा. लक्ष्मी और दरिद्रा दोनों कभी एक जगह पर नहीं हो सकती हैं, दोनों हमेशा विपरीत ही पाई जाती हैं. जहां लक्ष्मी नहीं होंगी वहां गरीबी और दरिद्रता होगी.


ये हैं पांच उपाय जिससे मिलती है माता लक्ष्मी की कृपा


धनतेरस और दीपावली आप कुछ ऐसे उपाय अपना सकते हैं जिनकी वजह से आपकी बरकत हो सकती है. सबसे पहला उपाय है स्वच्छता या सफाई, जिस घर में स्वच्छता रहती है लक्ष्मी वहां स्वत: ही निवास करती हैं. सुबह शाम घर में सुंगध हो इसके लिए कुछ सुगंधित चीज जलाए रखें. लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए तीसरा उपाय है, शांति रखें और घर में प्रेम बनाएं. लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए चौथा उपाय यह है कि धनतेरस के सूर्योदय से लेकर भाई दूज की रात तक रोजाना 11 मालाएं ‘ओम लक्ष्मये नम:’ की जाप करें. जाप की माला कमलगट्टे की होनी चाहिए और जप करते समय कोई और कार्य ना करें. पांचवां और आखिरी उपाय है हर बार अष्टमी के दिन घर पर 8 साल से कम की कन्या को भोजन कराएं और कन्या को उपहार भी दें.


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