Dhanteras 2020 : इस वजह से मनाया जाता है धनतेरस का त्यौहार, जानिए पौराणिक महत्व
कार्तिक मास की त्रयोदशी को धनतेरस का पर्व मनाया जाता है, फिर चतुर्दशी पर रूप चौदस व अमावस्या पर होती है दीवाली. और अंधकार से भरी ये रात दीयों की रौशनी में जगमगाने लगती है. लेकिन धनतेरस का महत्व क्या है और क्यों ये पर्व मनाया जाता है. ये भी जानना बेहद ज़रुरी है.
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दीपावली कोई एक दिन का नहीं बल्कि पांच दिवसीय त्यौहार है जिसकी शुरुआत धनतेरस से ही हो जाती है. यानि कार्तिक मास की त्रयोदशी को धनतेरस का पर्व मनाया जाता है, फिर चतुर्दशी पर रूप चौदस व अमावस्या पर होती है दीवाली. और अंधकार से भरी ये रात दीयों की रौशनी में जगमगाने लगती है. लेकिन धनतेरस का महत्व क्या है और क्यों ये पर्व मनाया जाता है. ये भी जानना बेहद ज़रुरी है. तो आइए बताते हैं आपको धनतेरस का पौराणिक महत्व व क्या होता है इस दिन खास.
भगवान धनवंतरि की होती है पूजा
कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को भगवान धनवंतरि की पूजा की जाती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान धनवंतरि कौन थे...दरअसल, समुद्र मंथन के दौरान जो अमृत कलश लेकर प्रकट हुए वो धनवंतरि देव ही थे. जिस दिन वो समुद्र से निकले उस दिन कार्तिक मास की त्रयोदशी थी इसीलिए हर साल इस दिन धनतेरस के रूप में मनाया जाता है. इन्हें चिकित्सा का देवता भी माना गया है. इस दिन को धनत्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है.
क्यों खरीदे जाते हैं इस दिन बर्तन
कहते हैं धनतेरस के दिन बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है. कहते हैं कि इस दिन नए बर्तन खरीदने से 13 गुणा वृद्धि होती है इसीलिए इस दिन लोग जमकर खरीददारी करते हैं और नए बर्तन घर में लाते हैं. इसके अलावा इस दिन चांदी खरीदना भी शुभ माना गया है. लिहाज़ा लोग इस दिन चांदी की लक्ष्मी, गणेश की मूर्ति की खरीददारी भी करते हैं.
घर के आंगन में जताया जाता है दीपक
इस दिन घर के आंगन व मुख्य द्वार पर दीपक जलाने की परंपरा है. इससे घर में सुख समृद्धि व खुशहाली आती है. धनतेरस के दिन दीप जलाकर भगवान धन्वन्तरि की पूजा का विधान है. वहीं इनसे अच्छे स्वास्थ्य और सेहतमंद बनाए रखने के लिए विशेष तौर पर प्रार्थना की जाती है. इस दिन भगवान धनवंतरि के साथ माता लक्ष्मी की पूजा भी की जाती है. कहते हैं समुद्र मंथन के दौरान धनवंतरि के साथ साथ मां लक्ष्मी भी प्रकट हुई थीं.
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