Dhanteras 2021: आज यानि 2 नवंबर 2021, मंगलवार को धनतेरस का त्योहार देशभर में बड़ी धूम-धाम से मनाया जा रहा है. इस दिन मां लक्ष्मी, कुबेर देव और भगवान धनवंतरी की पूजा का विधान है. धनतेरस हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन मनाई जाती है. धनतेरस को धनत्रयोदशी और धनवंतरी जयंती के नाम से भी जाना जाता है. कहते हैं कि इस दिन सुमद्र मंथन के दौरान भगवान धनवंतरी और मां लक्ष्मी प्रकट हुए थे, इसलिए आज के दिन इनकी पूजा की जाती है. कहते हैं कि जो भक्त विधि-विधान के साथ इनकी पूजा-अर्चना करते हैं उन्हें सालभर धन की कमी नहीं होती और मां लक्ष्मी की कृपा उनके परिवार पर बनी रहती है. 


धनतेरस के दिन भगवान गणेश, कुबेर जी और मां लक्ष्मी की पूजा विधि-विधान के साथ की जाती है. कहते हैं कि कुबेर देव की पूजा करने से जीवन सुखमय हो जाता है. इस दिन भगवान धनवंतरी और कुबेर देव की पूजा के साथ मंत्र का जाप करने से वे जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं. 


आइए जानते हैं आज धनतेरस के दिन भगवान धनवतंरी की आरती-मंत्र के बारे में. 


भगवान धनवंतरी आरती (Bhagwan Dhanvantri Aarti Lyrics In Hindi)


भगवान धन्वंतरि जी की आरती
जय धन्वंतरि देवा, जय धन्वंतरि जी देवा।


जरा-रोग से पीड़ित, जन-जन सुख देवा।।जय धन्वं.।।


तुम समुद्र से निकले, अमृत कलश लिए।


देवासुर के संकट आकर दूर किए।।जय धन्वं.।।


आयुर्वेद बनाया, जग में फैलाया।


सदा स्वस्थ रहने का, साधन बतलाया।।जय धन्वं.।।


भुजा चार अति सुंदर, शंख सुधा धारी।


आयुर्वेद वनस्पति से शोभा भारी।।जय धन्वं.।।


तुम को जो नित ध्यावे, रोग नहीं आवे।


असाध्य रोग भी उसका, निश्चय मिट जावे।।जय धन्वं.।।


हाथ जोड़कर प्रभुजी, दास खड़ा तेरा।


वैद्य-समाज तुम्हारे चरणों का घेरा।।जय धन्वं.।।


धन्वंतरिजी की आरती जो कोई नर गावे।


रोग-शोक न आए, सुख-समृद्धि पावे।।जय धन्वं.।।


भगवान कुबेर देव की आरती (Bhagwan Kuber Dev Ki Aarti Lyrics In Hindi)


ऊँ जय यक्ष कुबेर हरे,


स्वामी जै यक्ष जै यक्ष कुबेर हरे ।


शरण पड़े भगतों के,


भण्डार कुबेर भरे ।


॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥


शिव भक्तों में भक्त कुबेर बड़े,


स्वामी भक्त कुबेर बड़े ।


दैत्य दानव मानव से,


कई-कई युद्ध लड़े ॥


॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥


स्वर्ण सिंहासन बैठे,


सिर पर छत्र फिरे,


स्वामी सिर पर छत्र फिरे ।


योगिनी मंगल गावैं,


सब जय जय कार करैं ॥


॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥


गदा त्रिशूल हाथ में,


शस्त्र बहुत धरे,


स्वामी शस्त्र बहुत धरे ।


दुख भय संकट मोचन,


धनुष टंकार करें ॥


॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥


भांति भांति के व्यंजन बहुत बने,


स्वामी व्यंजन बहुत बने ।


मोहन भोग लगावैं,


साथ में उड़द चने ॥


॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥


बल बुद्धि विद्या दाता,


हम तेरी शरण पड़े,


स्वामी हम तेरी शरण पड़े ।


अपने भक्त जनों के,


सारे काम संवारे ॥


॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥


मुकुट मणी की शोभा,


मोतियन हार गले,


स्वामी मोतियन हार गले ।


अगर कपूर की बाती,


घी की जोत जले ॥


॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥


यक्ष कुबेर जी की आरती,


जो कोई नर गावे,


स्वामी जो कोई नर गावे ।


कहत प्रेमपाल स्वामी,


मनवांछित फल पावे ॥


॥ इति श्री कुबेर आरती ॥


मां लक्ष्मी की आरती (Maa Lakshami Aarti Lyrics In Hindi)


ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।


तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥


ओम जय लक्ष्मी माता॥


उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।


सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥


ओम जय लक्ष्मी माता॥


दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता।


जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥


ओम जय लक्ष्मी माता॥


तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता।


कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥


ओम जय लक्ष्मी माता॥


जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।


सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता॥


ओम जय लक्ष्मी माता॥


तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।


खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥


ओम जय लक्ष्मी माता॥


शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता।


रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥


ओम जय लक्ष्मी माता॥


महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता।


उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥


ओम जय लक्ष्मी माता॥


 
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