Dhanteras 2021: कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी यानी धनतेरस के दिन ही धन्वंतरि देव की जयंती है. अंग्रेजी माह अनुसार इस वर्ष धनतेरस मंगलवार को दो नवंबर 2021 को पड़ रहा है, जबकि दीपावली (Diwali 2021) चार नवंबर 2021 को मनाई जाएगी. धनतेरस के दिन शुभ खरीदारी के साथ धनवंतिर की पूजा के साथ कुबेर, लक्ष्मी, गणेश और यम की पूजा होगी.
खरीदारी का शुभ मुहूर्त
अभिजीत मुहूर्त– सुबह 11:42 से 12:26 तक.
वृषभ काल– शाम 06:18 से 08:14: तक.
प्रदोष काल- शाम 05:35 से 08:14 तक.
गोधूलि मुहूर्त- शाम 05:05 से 05:29 तक.
निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:16 से 12:07 तक.
दिन का चौघड़िया
लाभ- प्रात: 10:43 से 12:04 तक.
अमृत- दोपहर 12:04 से 01:26 तक.
शुभ- दोपहर 02:47 से 04:09 तक.
रात का चौघड़िया
लाभ- 07:09 से 08:48 तक.
शुभ- 10:26 से 12:05 तक.
अमृत- 12:05 से 01:43 तक.
धनतेरस पूजा मुहूर्त
धनतेरस मुहूर्त सुबह 06 बजकर 18 मिनट और रात दस से 08 बजकर 11 मिनट और 20 सेकेंड तक रहेगा. इस समय अवधि में धन्वंतरि देव की पूजा की जाएगी.
प्रदोष काल: 5 बजकर 35 मिनट और 38 सेकेंड से 08 बजकर 11 मिनट और 20 सेकेंड तक रहेगा. सूर्यास्त के बाद तीन मुहूर्त प्रदोष काल कहे जाते हैं, इसमें ही यमदेव यानी यमराज को दीपदान किया जाता है.
ऐसे करें धनतेरस पूजा
1. इस दिन सुबह जल्द उठें और नित्यकर्म निपटाकर पूजा की तैयारी करें.
2. घर के ईशान कोण में ही पूजा करें. मुंह ईशान, पूर्व या उत्तर में होना चाहिए.
3. पंचदेव यानी सूर्यदेव, श्रीगणेश, दुर्गा, शिव और विष्णु की स्थापना करें.
4. पूजा के वक्त घर के सभी लोग एकत्रित रहें. इस दौरान कोई शोर न करें.
5. धन्वंतरि देव की षोडशोपचार या 16 क्रियाओं से पूजा करें. पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, आभूषण, गंध, पुष्प, धूप, दीप, नेवैद्य, आचमन, ताम्बुल, स्तवपाठ, तर्पण और नमस्कार. अंत में सांगता सिद्धि के लिए दक्षिणा भी चढ़ाएं.
6. धन्वंतरि देव के सामने धूप, दीप जलाकर मस्तक पर हल्दी, कुमकुम, चंदन और चावल लगाएं. फिर हार और फूल चढ़ाएं.
7. पूजा के दौरान अनामिका अंगुली से गंध यानी चंदन, कुमकुम, अबीर, गुलाल, हल्दी आदि लगाना चाहिए। षोडशोपचार की सभी सामग्री से पूजा कर मंत्र जाप करें.
8. पूजा के बाद प्रसाद या नैवेद्य (भोग) अर्पित करें. ध्यान रखें कि नमक, मिर्च और तेल का प्रयोग नैवेद्य में नहीं होगा. हर पकवान पर एक तुलसी पत्ता भी रखें.
9. अंत में आरती करते हुए नैवेद्य चढ़ाकर पूजा पूरी करें. मुख्य द्वार या आंगन में प्रदोष काल में दीये जलाएं. एक दीया यम के नाम का जलाएं। घर के कोने में भी.
10. घर या मंदिर में जब भी विशेष पूजा करें तो इष्टदेव के साथ स्वस्तिक, कलश, नवग्रह देवता, पंच लोकपाल, षोडश मातृका, सप्त मातृका का पूजन भी किया जाता है.
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