Dhanteras 2024: त्रयोदशी यानी तेरस हर महीने में दो बार आती है, कृष्ण और शुक्ल पक्ष के त्रयोदशी तिथि को तेरस कहा जाता है. त्रयोदशी तिथि के स्वामी भगवान शिव है. हर महीने इस दिन प्रदोष व्रत किया जाता है लेकिन कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मां लक्ष्मी की पूजा का विधान है. इसे धनतेरस के नाम से जाना जाता है. आखिर क्यों होती है धनतेरस पर मां लक्ष्मी की पूजा यहां जानें.
कब है धनतेरस (Dhanteras 2024 Kab hai)
कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी तिथि का आरंभ - 29 अक्टूबर सुबह 10: 31
कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी तिथि का समापन - 30 अक्टूबर, दोपहर 01:15
धनतेरस के दिन लक्ष्मी पूजा प्रदोष काल में की जाती है, साथ ही इस दिन शाम को ही यम के नाम दीप जलाते हैं, इसलिए इस बार धनतेरस 29 अक्टूबर 2024 को मनाई जाएगी
धनतेरस पर लक्ष्मी पूजन क्यों होता है ? (Dhanteras par Laxmi Puja Significance)
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भगवान विष्णु मृत्युलोक अर्थात पृथ्वी की ओर आ रहे थे. तभी माता लक्ष्मी ने उनके साथ चलने का आग्रह किया. भगवान विष्णु ने कहा कि अगर आप मेरा कहना मांगे तो आप मेरे साथ चल सकती हैं. इसे मानने के बाद ही वह पृथ्वी लोक पर आ गई थीं.
कुछ देर बार एक जगह पर पहुंचकर भगवान विष्णु ने लक्ष्मीजी से कहा कि जब तक मैं ना आ जाऊं, आप यहीं रहना. ऐसा कहने के बाद भगवान विष्णु दक्षिण दिशा की तरफ चले गए. माता लक्ष्मी के मन में जिज्ञासा हुई कि आखिर दक्षिण दिशा की तरफ ऐसा क्या है.
श्रीहरि ने दिया माता लक्ष्मी को श्राप
लक्ष्मीजी से रहा नहीं गया और वह भगवान विष्णु के पीछे-पीछे चल दीं। आगे जाकर माता को सरसों के खेत दिखे, जहां उन्होंने सरसों के फूल से श्रृंगार किया और आगे जाकर गन्ने के खेत में गन्ना तोड़कर उसका रस पीने लगीं. उसी वक्त भगवान विष्णु भी आ गए और माता लक्ष्मी को देखकर नाराज हो गए.
नाराज विष्णुजी ने माता लक्ष्मी को शाप दिया मैंने आपको मना किया था, लेकिन तब भी आप गईं. इस अपराध के जुर्म में आपको किसान के यहां 12 वर्ष तक रहकर सेवा करनी होगी. ऐसा कहकर भगवान विष्णु क्षीर सागर चले गए. तब लक्ष्मीजी किसान के घर रहने लग गईं.
ऐसे शुरू हुई धनतेरस पर मां लक्ष्मी की पूजा
लक्ष्मीजी के रहने से किसान का घर धन-धान्य से भर गय. 12 वर्ष बाद जब प्रभु वापस आए तो किसान ने उन्हें जाने से मना कर दिया. तब माता लक्ष्मी ने किसान से कहा कि धनतेरस के दिन घर की साफ-सफाई करते रात में घी का दीपक जलाओ और तांबे के कलश में रुपए रखकर शाम को मेरी पूजा करो. ऐसा करने पर मैं साल भर तुम्हारे घर पर वास करूंगी. मान्यता है कि तब से धनतेरस के दिन धन की देवी माता लक्ष्मी की पूजा शुरू हुई.
धनतेरस को धनत्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है. 'धन' अर्थात संपत्ति, पैसा और 'तेरस' का मतलब है तेरहवीं तिथि. ये त्योहार धन से जुड़ा है और मां लक्ष्मी को धन की देवी माना गया है, इसलिए धनतेरस पर लक्ष्मी पूजन किया जाता है.
धनतेरस पर क्यों खरीदते हैं सोना
धनतेरस पर लोग अपने घरों की साफ-सफाई करके उन्हें सजाते हैं, ताकि लक्ष्मी माता का वास हो सके. इस दिन विशेष रूप से सोने, चांदी, बर्तन या अन्य धातुओं से बनी वस्तुओं को खरीदना शुभ माना जाता है.
मान्यता है धनतेरस सोना और चांदी खरीदने से लक्ष्मी जी का आशीर्वाद मिलता है. कहते है सोना में मां लक्ष्मी का वास होता है, इसे पहनने से श्री अर्थात लक्ष्मी की प्राप्ति होती है. समृद्धि में वृद्धि होती है. धनतेरस पर खरीदारी करने को लेकर यह मान्यता है कि जो वस्तुएं इस दिन खरीदी जाती हैं, वे आने वाले समय में घर में स्थायी रूप से समृद्धि और शांति बनाए रखती हैं.
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