भगवान धनवंतरि उन देवों में से एक हैं जिनके मंदिर बहुत ही कम है. लेकिन इनका एक मंदिर केरल के 1अर्नाकुलम जिले से करीब 40 किमी दूर थोट्‌टूवा गांव में मौजूद है. कहा जाता है कि इस मंदिर में भगवान धनवंतरि की प्रतिमा स्वंय परशुराम जी ने स्थापित की थी. चूंकि भगवान धनवंतरि आरोग्य के देवता हैं इसीलिए मान्यता है कि यहां आकर तमाम तरह की बीमारियां दूर हो जाती है. चलिए बताते हैं मंदिर से जुड़ी कुछ खास बातें.


1 हज़ार साल पुराना है मंदिर
मान्यता है कि यह मंदिर तकरीबन 1 हज़ार साल पुराना है. जिसमें मूर्ति की स्थापना खुद परशुराम ने की थी. आज से 1 हज़ार साल पहले 9वीं शताब्दी में इस मंदिर के निर्माण की जानकारी मिलती है. जिसमें उप देवता अयप्पन, गणपति, भद्रकाली और रक्ष की स्थापना भी की गई।


कैसी है प्रतिमा
इस मंदिर में धनवंतरि भगवान की तकरीबन 6 फीट ऊंची मूर्ति है. जिसके चार हाथ हैं। दाहिने हाथ में अमृत कलश, बाएं हाथ में अट्ट, शंकु और चक्र है. मंदिर की दाई तरफ पूर्व की ओर बहती हुई एक धारा भी है जिसमें स्नान के बाद ही मंदिर में दर्शन की परंपरा है. कहते हैं सबसे पहले नांबूदरी ब्राह्मण ही इस मूर्ति की पूजा करते थे. आदि शंकराचार्य मलयातुर की पहाड़ियों पर रहने वाले तीन नंबूदरी ब्राह्मणों के पास गए लेकिन वो इतने गरीब थे कि शंकराचार्य को भिक्षा व सत्कार कुछ भी नहीं दे सके। बाद में प्रायश्चित के लिए तीनों ब्राह्मण को जब भूख लगी तो तीनों ने खाना बनाने के लिए बांस इक्ठ्ठा कर खाना बनाया लेकिन एक ब्राह्मण का खाना ना बन सका. जिससे वो दुखी होकर भूखा ही जहां भगवान धनवंतरि की मूर्ति थी वहां अपना छाता रखकर सो गया। कहते हैं उस रात धनवंतरि भगवान उसके सपने में आए और उसे अपने शिष्यों सहित भोजन व समृद्धि का वरदान दिया। अगले दिन उन ब्राह्मणों को कई तरह का भोजन मिला।


कई बीमारियों का होता है इलाज
मान्यता है कि यहां भगवान धनवंतरि के आशीर्वाद से कई तरह की बीमारियां ठीक हो जाती है. यहां भगवान गणपति, अयप्पन, देवी भद्रकाली और ब्रह्मराक्षस की पूजा से वात, पित्त और कफ जैसे दोष खत्म हो जाते हैं।