Hariyali Teej 2023: हरतालिका तीज और हरियाली तीज नहीं है एक, ये है अंतर
Hariyali Teej 2023: हरियाली और हरतालिका तीज में महिलाएं व्रत रखकर शिव-पार्वती की पूजा करती हैं और सुहाग की दीर्घायु की कामना करती हैं. लेकिन फिर भी ये दोनों व्रत एक नहीं है, बल्कि दोनों में अंतर है.
Hariyali and Hartalika Teej Difference 2023: हिंदू धर्म में और खासकर सुहागिन महिलाओं के लिए तीज व्रत का विशेष महत्व होता है. तीज का व्रत सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु की कामना और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए रखती हैं. इस दिन माता पार्वती और शिवजी की पूजा करने का विधान है. इस बार शनिवार 18 अगस्त 2023 को हरियाली तीज का व्रत रखा जाएगा.
आपको बता दें कि, पूरे साल में तीन बार तीज का व्रत रखा जाता है. इसमें हरियाली तीज, हरतालिका तीज और कजरी तीज है. लेकिन आमतौर पर लोग हरियाली तीज और हरतालिका तीज को एक ही मान लेते हैं. इसका कारण है दोनों के मिलते-जुलते नाम. अगर आप भी हरियाली तीज और हरतालिका तीज को एक समझते हैं तो ऐसे दूर करें अपना कंफ्यूजन
कब है हरियाली तीज और हरतालिका तीज
पंचांग के अनुसार, हरियाली तीज का व्रत सावन महीने के शक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है. वहीं हरतालिका तीज का व्रत भाद्रपद की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को होती है. इस साल हरियाली तीज शनिवार 18 अगस्त 2023 और हरतालिका तीज सोमवार 18 सितंबर 2023 को है.
हरियाली तीज और हरतालिका तीज में अंतर
- हरतालिका और हरियाली तीज में सबसे बड़ा अंतर महीने का होता है. हरियाली तीज सावन में तो हरतालिका तीज भाद्रपद यानी भादो में पड़ती है.
- हरतालिका तीज और हरियाली तीज दोनों में महिलाएं व्रत रखकर मां पार्वती और शिवजी की पूजा करती हैं. लेकिन हरियाली तीज को मां पार्वती और शिवजी के मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है. वहीं हरतालिका तीज पर अखंड सौभाग्य के लिए निर्जला व्रत रखा जाता है.
- हरियाली तीज पर महिलाएं सजती-संवरती है, हरी साड़ी पहनती है, लहरिया पहनती है, झूला झलती है, गीत गाए जाते हैं और हंसी-ठिठोली के साथ इस पर्व को मनाया जाता है. वहीं हरतालिका तीज में कठोर व्रत रखकर कड़े नियमों का पालन किया जाता है.
- हरियाली तीज को छोटी तीज और हरतालिका तीज को बड़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है. कई अंतर होने के बावदूज भी दोनों तीज के पर्व को आस्था, सौंदर्य, प्रेम और सुहाग के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है, जिसमें सौभाग्यवती स्त्रियां अखंड सुहाग बनाए रखने और कुंवारी कन्याएं मनचाहे वर की कामना के लिए व्रत रखती हैं.
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