Adhik Maas and Kharmas: अधिकमास और खरमास में होता है अंतर, एक ही समझने की न करें भूल
Adhik Maas and Kharmas: अधिकमास और खरमास दोनों में अलग हैं. लेकिन लोग दोनों को एक ही मान लेते हैं. अधिकमास को पुरुषोत्तम मास या मलमास भी कहा जाता है. वहीं खरमास में शुभ-मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं.
Adhik Maas and kharmas Difference: हिंदू पंचांग के अनुसार कुछ साल ऐसे होते हैं जिसमें अधिकमास लगता है. अधिकमास लगने के कारण पर्व-त्योहारों की तिथियों में भी अंतर हो जाता है. तो वहीं खरमास लगने पर शुभ-मांगलिक कार्यों पर विराम लग जाता है. अधिकमास को मलमास और पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है. इसके अधिपति श्री हरि विष्णु माने जाते हैं. लेकिन लोग अधिकमास और खरमास के बीच अंतर को नहीं समझ पाते और इसे समान मान लेते हैं. जानते हैं क्या है अधिकमास और खरमास में अंतर.
क्या है अधिकमास (What is Adhik Mass)
ज्योतिषीय गणना के अनुसार सूर्य के सभी राशियों के भ्रमण में लगने वाले कुल समय को सौरवर्ष कहा जाता है. सौरवर्ष की अवधि 365 दिन और 6 घंटे होती है. वहीं चंद्र एक वर्ष में 12 बार प्रत्येक राशि का भ्रमण कर लेता है. इसे हम चंद्र वर्ष कहते हैं. चंद्र वर्ष की अवधि 365 दिन और लगभग 9 घंटे की होती है. सूर्य और चंद्रमा के वर्ष के बीच समीकरण को ठीक करने को ही अधिकमास कहा जाता है. सूर्य ग्रह हर माह अपनी राशि बदलते हैं और इसी राशि परिवर्तन को उस राशि के नाम की संक्राति कहा जाता है. लेकिन जिस माह सूर्य संक्रांति नहीं होती, उसे ही अधिकमास कहा जाता है. अधिकमास के अधिपति भगवान विष्णु कहलाते हैं.
क्या होता है खरमास (What Is Kharmas)
लोग अधिकमास और खरमास को एक ही मान लेते हैं. लेकिन यह सही नहीं है क्योंकि दोनों में बहुत अंतर है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब नवग्रहों के राजा सूर्य, देव गुरु बृहस्पति की राशि धनु या मीन राशि में गोचर करते हैं तो यह अवधि खरमास कहलाती है. हिंदू धर्म में खरमास में कोई भी शुभ-मांगलिक कार्य करना वर्जित होता है. मान्यता है कि इस माह सूर्य की चाल धीमी हो जाती है, जिससे की शादी-विवाह,मुंडन, गृह प्रवेश, जनेऊ संस्कार आदि जैसे शुभ कार्य करने पर इसके अशुभ फल प्राप्त होते हैं.
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