सफलता की कुंजी: अनुशासन और मर्यादा का संबंधों में हमेशा ध्यान रखना चाहिए, नहीं तो बिगड़ती है बात
सफलता की कुंजी (Safalta ki kunji) कहती कि व्यक्ति को संबंधों के मामले में सावधान रहना चाहिए.संबंधों में जब मर्यादा (Modesty) और अनुशासन (Dicipline) का ध्यान नहीं रखा जाता है तो, परेशानियां (Problems) बढ़ती हैं.
Safalta Ki Kunji: चाणक्य नीति कहती है कि व्यक्ति को संबंधों के मामले सदैव ही सतर्क और गंभीर रहना चाहिए. जो लोग ऐसा नहीं करते हैं और इस पर ध्यान नहीं देते हैं, उन्हें आगे चलकर परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
विद्वानों की मानें तो संबंधों को लेकर व्यक्ति को कुछ बातों का हमेशा ध्यान रखना चाहिए. क्योंकि कोई भी रिश्ता या संबंध जब प्रभावित होता है तो इसका प्रभाव व्यक्ति को मन और मस्तिष्क पर पड़ता है. कभी कभी व्यक्ति संबंधों में आने वाली परेशानियों को लेकर दुखी और तनाव महसूस करने लगते हैं जिससे सेहत को भी हानि पहुंचती है.
गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि संबंध स्थापित करें तो फिर उन्हें पूरी श्रद्धा और प्रेमभाव से निभाने का प्रयास करना चाहिए. संबंधों को लेकर सावधानी बरतनी चाहिए. विद्वानों का मानना है कि हर संबंध महत्वपूर्ण होता है. ये संबंध पिता-पुत्र का भी हो सकता है. पति और पत्नी का भी हो सकता है. हर संबंध जीवन के लिए महत्वपूर्ण होता है.
संबंधों में कभी मर्यादा को नहीं लांघना चाहिए
विद्वानों की मानें तो वो संबंध वही लंबे समय तक चलते हैं जिनमें मर्यादाओं का पूरा ध्यान रखा जाता है. मर्यादाओं का जो लोग ध्यान नहीं रखते हैं वे परेशानियों का सामना करते हैं. हर संबंध की अपनी मर्यादा होती है, संबंध कितने ही करीबी क्यों न हों, लेकिन मर्यादा को कभी पार नहीं करना चाहिए. किसी भी संबंध की गरिमा को जब ठेस पहुंचती है तो, रिश्ता टूटते देर नहीं लगती है. रिश्तों को टूटने से बचाना चाहिए. रिश्ते मुश्किलों से बनते हैं. इसलिए हर रिश्ते की गरिमा बनाएं रखें.
अनुशासन बनाएं रखें
संबंधों के मामलों में अनुशासन का विशेष ध्यान रखें. अनुशासन किसी भी रिश्ते को बेहतर बनाए रखने में सबसे अहम भूमिका निभाता है. रिश्ते या संबंधों में अनु्रशासन को कभी नही भंग करना चाहिए. हर व्यक्ति का सम्मान होता है, इसका पूरा ध्यान रखना चाहिए.