Diwali 2022 Live: दिवाली लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 6:53 मिनट से होगा शुरू, जानें विधि व अन्य जानकारी
Diwali 2022 Live: आज 24 अक्टूबर को दिवाली का त्योहार पूरे देश में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है. आइये जानें दिवाली के दिन मां लक्ष्मी और गणेश की पूजा के लिए सबसे बढ़िया मुहूर्त.
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Diwali 2022 Live: दिवाली हिंदूओं का सबसे खास त्योहारों में से एक माना जाता है. पंचांग के मुताबिक, इस बार दिवाली का त्योहार आज 24 अक्टूबर दिन सोमवार को मनाया जा रहा है. हर साल दिवाली कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है. दिवाली पांच दिवसीय महोत्सव है जो कि 23 अक्टूबर को धनतेरस से प्रारंभ होती है और भैया दूज के साथ खत्म होती है. दिवाली को दीप उत्सव भी कहा जाता है. दिवाली का त्योहार अंधकार पर प्रकाश की विजय को दर्शाता है.
दिवाली के दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा विधि विधान से की जाती है. इससे मां लक्ष्मी भक्तों पर अति प्रसन्न होती हैं और भक्तों को धन-वैभव एवं सुख-संपदा तथा समृद्धि में बढ़ोत्तरी के आशीर्वाद प्रदान करती हैं. आइये जानें दिवाली के दिन मां लक्ष्मी और गणेश भगवान की पूजा के लिए सबसे उत्तम मुहूर्त.
दिवाली 2022 शुभ मुहूर्त
इस बार अमावस्या तिथि दो दिन यानी 24 और 25 अक्टूबर को पड़ रही है लेकिन 25 अक्टूबर को अमावस्या तिथि प्रदोष काल से पहले ही समाप्त हो जाएगी. इसके अलावा 25 अक्टूबर सूर्य ग्रहण भी लगेगा. इसलिए दीपावली आज 24 अक्टूबर को मनाई जाएगी.
अमावस्या तिथि 24 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 28 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी 25 अक्टूबर मंगलवार शाम को 4 बजकर 19 मिनट खत्म होगी. पंचांग के मुताबिक, आज 24 अक्टूबर सोमवार को दिवाली का शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 54 मिनट से रात 8 बजकर 16 मिनट तक है.
दिवाली 2022 को लक्ष्मी-गणेश पूजा शुभ मुहूर्त
- दिवाली लक्ष्मी-गणेश पूजा शुभ मुहूर्त: 24 अक्टूबर
- लक्ष्मी-गणेश पूजन का शुभ मुहूर्त : शाम 06:54 से 08:16 मिनट तक
- लक्ष्मी पूजन की अवधि: 1 घंटा 21 मिनट
- प्रदोष काल : शाम 05:42 से रात 08:16 मिनट तक
- वृषभ काल : शाम 06: 54 से रात 08: 50 मिनट तक
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दो हजार सालों में पहली बार बन रहा है दिवाली पर अद्भूत संयोग
ज्योतिष गणना के मुताबिक, आज दिवाली पर कार्तिक अमावस्या की तिथि शाम 5.30 के बाद शुरू होगी. दिवाली के दिन शाम को लक्ष्मी पूजा के समय चित्रा नक्षत्र रहेगा और पांच राजयोग बनेंगे. इसके साथ ही इस समय बुध, गुरु, शुक्र, और शनि का एक दुर्लभ संयोग बनेगा जोकि दो हजार सालों के इतिहास में पहली बार बनने जा रहा है. इससे यह लक्ष्मी पर्व कई गुना पुण्य फलदायी होगा तथा यह सुख-समृद्धि देने वाला रहेगा.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, बुध से आगे वाली राशि में सूर्य-शुक्र होने से आर्थिक तरक्की का योग बनेगा. वहीं इस दौरान शुक्र और बुध लोगों के व्यापार बेहतर करेंगे. वहीं वे आर्थिक मजबूती भी लायेंगे. गुरु और बुध अपनी राशियों में होकर आमने-सामने रहेंगे. इस विशेष धन योग के प्रभाव से भारत की व्यवसायिक स्थिति मजबूत होगी. भारत में मंदी दूर होगी आईटी और संचार के क्षेत्रों में मजबूती आएगी.
जानें गृहस्थजन कब से कब तक करें दीपावली का पूजन
भविष्य पुराण के अनुसार, "कार्तिक प्रदोषे तु विशेषेण अमावस्या निशावर्धके। तस्यां सम्पूज्येत देवीं भोग मोक्ष प्रदायिनीम"।। यानी जिस दिन मध्यरात्रि और प्रदोष काल में अमावस्या तिथि हो उसी दिन भोग मोक्ष की प्राप्ति के लिए दिवाली पूजन करना चाहिए.
अमावस्या तिथि कितने बजे से: इस साल कार्तिक अमावस्या तिथि 24 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 28 मिनट से लग रहा है और इसी दिन प्रदोष काल में और मध्यरात्रि में अमावस्या तिथि है. इसलिए गृहस्थ जनों को 24 अक्टूबर को ही दीपावली का पूजन प्रदोष काल में करना चाहिए.
प्रदोष काल में लक्ष्मी पूजन : आज दिवाली के दिन प्रदोष काल शाम में 5 बजकर 43 मिनट से शुरू होगा. इस समय चर चौघड़िया रहेगा. जो शाम में 7 बजकर 30 मिनट तक रहेगा. उसके बाद रोग चौघड़िया लग जाएगा. शाम में मेष लग्न 6 बजकर 53 मिनट तक है. ऐसे में स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए स्थिर लग्न में शाम 6 बजकर 53 मिनट से 7 बजकर 30 मिनट से पहले गृहस्थ जनों को देवी लक्ष्मी की पूजा आरंभ कर लेनी चाहिए.
मां लक्ष्मी का सदैव ऐसे घरों में करती है वास
आज दिवाली के दिन अपने घरों में ये काम जरूर कर लें ताकि घर मां लक्ष्मी आपके घर ठहरें. जहां पर मां लक्ष्मी का वास होता है उस घर में कभी किसी चीज की कोई कमी नहीं होती है. घर सुख समृद्धि से भरा रहता है. दरिद्रता कभी पास नहीं आती है आइये जानें किस प्रकार के घरों में मां ठहरती हैं.
- जिस घर में साफ-सफाई रहती है.
- जिस घर में प्रतिदिन पूजा-पाठ होता है.
- जिस घर में महिलाओं का सम्मान होता है.
- जिस घर में या जहां पर भगवान विष्णु, श्रीयंत्र और श्री सूक्त का पाठ होता है.
लक्ष्मी जी के 8 अवतार
मां लक्ष्मी के 8 अवतार निम्नलिखित प्रकार से हैं.
- महालक्ष्मी- जो वैकुंठलोक में वास करें
- स्वर्गलक्ष्मी- जो स्वर्गलोक में वास करें
- दक्षिणालक्ष्मी- जो यज्ञ में वास करें
- गृहलक्ष्मी- जो गृह में वास करें
- शोभालक्ष्मी- जो हर वस्तु में वास करें
- रुक्मणी - जो गोलोक में वास करें
- राधालक्ष्मी- जो गोलोक में वास करें
- राजलक्ष्मी- जो पाताललोक में वास करें
लक्ष्मी जी के 8 रूप
मां लक्ष्मी के 8 रूप निम्नलिखित हैं.
- धनलक्ष्मी
- धान्यलक्ष्मी
- आदिलक्ष्मी
- गजलक्ष्मी
- संतानलक्ष्मी
- वीरलक्ष्मी
- विजयलक्ष्मी
- विद्यालक्ष्मी