Diwali 2023: धनतेरस से लेकर भाई दूज तक, जानें पंचदिवसीय दिवाली की तारीख और महत्व
Diwali 2023: दिवाली का त्योहार पूरे 5 दिनों तक चलता है, जिसकी शुरुआत धनतेरस के साथ होती है और भाई दूज या यम द्वितीया के दिन इसकी समाप्ति होती है. जानते हैं इन पंचदिवसीय दिवाली पर्व की तिथि और महत्व.
Diwali 2023: हिंदू धर्म में दीप व प्रकाश के पर्व दिवाली का खास महत्व होता है और यह प्रमुख त्योहारों में एक है, जोकि कार्तिक मास की अमावस्या (Kartik Amavasya 2023) को मनाया जाता है. लेकिन दिवाली केवल एक दिन नहीं बल्कि पांच दिनों तक चलने वाला पर्व है. इसलिए इसे पंचदिवसीय पर्व कहा जाता है.
इस साल दिवाली 12 नवंबर 2023 (Diwali 2023 Date) को पड़ रही है. पांच दिनों तक चलने वाले इस पर्व में दिवाली सबसे महत्वपूर्ण होती है. वहीं पंचदिवसीय दिवाली पर्व की शुरुआत धनतेरस के दिन से ही हो जाती है और यम द्वितीया के दिन इसकी समाप्ति होती है. यही कारण है कि पूरे पांच दिनों तक चारों ओर भक्ति का मौहाल रहता है और कई दिन पहले से ही इसकी तैयारियां भी शुरू हो जाती है. जानते हैं धनतेरस से लेकर यम द्वितीया तक पंचदिवसीय दिवाली की तिथि और सभी दिनों का महत्व.
धनतेरस (Dhanteras 2023)
दिवाली पर्व की शुरुआत धनतेरस के दिन से ही हो जाती है. कार्तिक माह कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस होता है. इसे धन त्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन लोग यमराज, कुबेर देव और आयुर्वेदाचार्य धन्वंतरि की पूजा करते हैं. ऐसी मान्यता है कि, इसी दिन समुद्र मंथन में भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे. इसलिए इस दिन बर्तन, धातु और आभूषण आदि खरीदने की परंपरा है. इस साल धनतेरस का पर्व 10 नवंबर 2023 को है.
नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi 2023
दिवाली से पहले नरक चतुर्दशी मनाई जाती है. इसे रूप चौदस या काली चौदस भी कहते हैं. पौराणिक मान्यता है कि, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन ही भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध कर 16,100 कन्याओं को उसके बंदीगृह से मुक्त कराया था. इसके अलावा इस दिन को लेकर यह भी मान्यता है कि, नरक चतुर्दशी पर सूर्योदय से पहले उबटन और स्नान करने से समस्त पापों से मुक्ति मिलती है और पुण्य की प्राप्ति होती है. इस साल नरक चतुर्दशी 12 नवंबर 2023 को है.
दिवाली (Diwali 2023)
पंचदिवसीय दिवाली पर्व में तीसरे दिन दिवाली या दीपावली मनाई जाती है. इन पांच दिनों के पर्व में यह सबसे मुख्य पर्व होता है. ऐसी मान्यता है कि, इसी दिन भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण 14 वर्ष का वनवास समाप्त कर अयोध्या लौटे थे. इसलिए भगवान राम के स्वागत के लिए अयोध्यावासियों ने पूरी अयोध्या को दीपों से प्रज्जवलित किया था. इसके बाद से दिवाली के दिन दीप जलाने की परंपरा की शुरुआत हुई. इस साल दिवाली 12 नवंबर 2023 को पड़ रही है.
गोवर्धन पूजा और अन्नकूट (Govardhan Puja 2023)
पंचदिवसीय पर्व के चौथे दिन और दिवाली के बाद अन्नकूट या गोवर्धन पूजा होती है. इस दिन पालतू बैल, गाय, बकरी आदि को स्नान कराकर सजाया जाता है और पूजा की जाती है. साथ ही गोबर से गोवर्धन बनाकर उनकी पूजा की जाती है और ढेर सारे पकवानों का भोग लगाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि, इसी दिन त्रेतायुग में श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी अंगुली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर गांववासियों को गोवर्धन की छांव में सुरक्षित किया था. इस साल गोवर्धन पूजा और अन्नकूट 14 नवंबर 2023 को है.
भाई दूज और यम द्वितीया (Bhai Dooj or Yam Dwitiya 2023)
पंचदिवसीय पर्व के पांचवे या अंतिम दिन भाई दूज और यम द्वितीया मनाई जाती है. यह पर्व भाई-बहन के रिश्ते पर समर्पित है. इस दिन बहनें भाई को तिलक लगाती है और उसकी लंबी उम्र की कामना करती है. ऐसी मान्यता है कि, इसी दिन यमराज भी अपनी बहन यमुना से मिलने उनके घर गए थे. इस साल भाई दूज 15 नवंबर 2023 को है.
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