Diwali 2023 Highlights: दिवाली की पूजा हुई शुरू, घरों में हो रही लक्ष्मी की आरती
Diwali 2023: छोटी दिवाली या नरक चतुर्दशी हिंदू कार्यक्रम के अनुसार कार्तिक माह के 14वें दिन आती है. यह भारत में दिवाली से एक दिन पहले मनाया जाता है.
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Diwali 2023 Live: छोटी दिवाली या नरक चतुर्दशी दिवाली के पांच दिवसीय उत्सव का दूसरा दिन है. यह दीपावली से एक दिन पहले मनाया जाता है, तदनुसार, इस वर्ष छोटी दिवाली 11 नवंबर 2023, शनिवार को है.
भारत के कुछ हिस्सों में नरक चतुर्दशी को काली चौदस, रूप चौदस और भूत चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है. महाराष्ट्र में लोग नरक चतुर्दशी को अभ्यंग स्नान के रूप में मनाते हैं. कई क्षेत्रों में छोटी दिवाली और दीपावली लगभग एक ही समय मनाते हैं.
भारत में लोग अपने घरों को सजाकर, मिट्टी की रोशनी जलाकर, भगवान कृष्ण की प्रार्थना करके और अनोखे रीति-रिवाजों का पालन करके असाधारण उत्साह और खुशी के साथ छोटी दिवाली मनाते हैं.
छोटी दिवाली के पीछे का इतिहास
नरक चतुर्दशी को बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाने के लिए माना जाता है. हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन भगवान कृष्ण ने राक्षस नरकासुर का वध किया था और लगभग 16000 गोपियों को बचाया था.
हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, गोपियों को नरकासुर के चंगुल से छुड़ाने के बाद, भगवान कृष्ण ने उनमें से प्रत्येक को अपने जीवनसाथी के रूप में स्वीकार किया. छोटी दीपावली के अवसर पर, लोग भगवान कृष्ण और भूदेवी को देवी सत्यभामा के रूप में पूजा करके असाधारण रीति-रिवाज निभाते हैं.
छोटी दिवाली का महत्व
भक्त इस उत्सव से ईमानदारी से और पौराणिक रूप से जुड़े हुए हैं क्योंकि यह ऊर्जा, सद्भाव, आनंद, खुशी, उत्साह और बहुत कुछ लाता है जिसे शब्दों में वर्णित नहीं किया जा सकता है. लोग अपने रिश्तेदारों, परिवार के सदस्यों और दोस्तों के साथ इस उत्सव का आनंद लेने के लिए पूरे साल बेसब्री से इंतजार करते हैं.
लोग अपने घर को रंग-बिरंगे फूलों की मालाओं से सजाते हैं, अपने घर के आंगन में रंगोली के अद्भुत डिज़ाइन बनाते हैं और चमकदार रोशनी, मोमबत्तियां और मिट्टी से बने दीये लगाते हैं. हर कोई एक-दूसरे के साथ अपनी खुशियां साझा करने के लिए अपनी व्यस्त दिनचर्या से समय निकालते है.
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दिवाली पर लक्ष्मी जी की आरती के समय न करें ऐसी गलती, नाराज हो जाएंगी देवी
दिवाली की रात मां लक्ष्मी के सामने घी के दीपक को अपने बाएं हाथ की ओर और तेल के दीपक को अपने दाएं हाथ की तरफ जलाना चाहिए. दिशा के जरुर ध्यान रखें. दिवाली पूजा के समय ना तो जोर से ताली बजाएं और ना ही ऊंची आवाज में आरती गाएं. मान्यता है कि लक्ष्मी मां को अधिक शोर पसंद नहीं है. इससे वह रूठ जाती हैं.
दिवाली की आरती घी की बत्तियों से करनी चाहिए. आरती में अपनी श्रद्धा के अनुसार बत्तियों की संख्या एक, पांच, नौ, ग्यारह या इक्किस हो सकती है. पूजा के बाद मां लक्ष्मी को जहां विराजमान किया है वहां अंधेरा न करें. इस जगह एक अखंड ज्योत जलाए रखें. देवी लक्ष्मी को अंधकार में रहना पसंद नहीं है.
रात्रि में पूजा का सर्वोत्तम समय
शुभ-अमृत-चर चौघड़िया - शाम 05:34 बजे से रात 10:31 बजे तक
लाभ चौघड़िया - 01:50 AM से 03:29 AM तक (मध्यरात्रि)
शुभ चौघड़िया - प्रातः 05:08 से प्रातः 06:48 तक (प्रातःकालीन)
समृद्धिदायक अष्टमहायोग में लक्ष्मी पूजन
दीपावली पर गजकेसरी, हर्ष, उभयचरी, काहल और दुर्धरा नाम के पांच राजयोग बन रहे हैं. जो शुक्र, बुध, चंद्रमा और गुरु की स्थिति से बनेंगे. इनके अलावा महालक्ष्मी, आयुष्मान और सौभाग्य भी बन रहे हैं. लक्ष्मी पूजा के वक्त ऐसा संयोग सदियों में बना है. दीपावली पर बन रहे शुभ योग उद्योगपति और व्यापारियों के लिए बेहद शुभ माने जा रहे हैं. आज बन रही ग्रह-स्थिति समृद्धि देने वाली होगी.
जिससे दूरसंचार, शेयर मार्केट, सर्राफा, कपड़ा, तेल और लोहे से जुड़े मशीनरी काम करने वालों को फायदा होगा. चंद्रमा और बुध राहु-शनि के नक्षत्र में रहेंगे. जिससे उद्योग और टेली-कम्युनिकेशन फील्ड वालों के लिए बड़े बदलाव वाला समय रहेगा और उम्मीद से ज्यादा मिलने के भी योग बनेंगे.
पांच राजयोग में मनायी जा रही दिवाली
इस साल दिवाली पर एक साथ 5 राजयोग देखने को मिलेगा. ये 5 राजयोग गजकेसरी, हर्ष, उभयचरी, काहल और दुर्धरा नाम के होंगे. इन राजयोगों का निर्माण शुक्र, बुध, चंद्रमा और गुरु ग्रह स्थितियों के कारण बनेंगे. वैदिक ज्योतिष में गजकेसरी योग को सम्मान और लाभ देने वाला माना जाता है. हर्ष योग धन लाभ, संपत्ति और प्रतिष्ठा बढ़ता है. काहल योग स्थिरता और सफलता देता है.
वहीं, उभयचरी योग से आर्थिक संपन्नता बढ़ती है. दुर्धरा योग शांति और शुभता बढ़ाता है. वहीं कई सालों बाद दीपावली पर दुर्लभ संयोग भी देखने को मिलेगा जब शनि अपनी स्वयं की राशि कुंभ में विराजमान होकर शश महापुरुष राजयोग का निर्माण करेंगे.