Diwali 2023 Highlights: दिवाली की पूजा हुई शुरू, घरों में हो रही लक्ष्मी की आरती
Diwali 2023: छोटी दिवाली या नरक चतुर्दशी हिंदू कार्यक्रम के अनुसार कार्तिक माह के 14वें दिन आती है. यह भारत में दिवाली से एक दिन पहले मनाया जाता है.
दिवाली की रात मां लक्ष्मी के सामने घी के दीपक को अपने बाएं हाथ की ओर और तेल के दीपक को अपने दाएं हाथ की तरफ जलाना चाहिए. दिशा के जरुर ध्यान रखें. दिवाली पूजा के समय ना तो जोर से ताली बजाएं और ना ही ऊंची आवाज में आरती गाएं. मान्यता है कि लक्ष्मी मां को अधिक शोर पसंद नहीं है. इससे वह रूठ जाती हैं.
दिवाली की आरती घी की बत्तियों से करनी चाहिए. आरती में अपनी श्रद्धा के अनुसार बत्तियों की संख्या एक, पांच, नौ, ग्यारह या इक्किस हो सकती है. पूजा के बाद मां लक्ष्मी को जहां विराजमान किया है वहां अंधेरा न करें. इस जगह एक अखंड ज्योत जलाए रखें. देवी लक्ष्मी को अंधकार में रहना पसंद नहीं है.
शुभ-अमृत-चर चौघड़िया - शाम 05:34 बजे से रात 10:31 बजे तक
लाभ चौघड़िया - 01:50 AM से 03:29 AM तक (मध्यरात्रि)
शुभ चौघड़िया - प्रातः 05:08 से प्रातः 06:48 तक (प्रातःकालीन)
दीपावली पर गजकेसरी, हर्ष, उभयचरी, काहल और दुर्धरा नाम के पांच राजयोग बन रहे हैं. जो शुक्र, बुध, चंद्रमा और गुरु की स्थिति से बनेंगे. इनके अलावा महालक्ष्मी, आयुष्मान और सौभाग्य भी बन रहे हैं. लक्ष्मी पूजा के वक्त ऐसा संयोग सदियों में बना है. दीपावली पर बन रहे शुभ योग उद्योगपति और व्यापारियों के लिए बेहद शुभ माने जा रहे हैं. आज बन रही ग्रह-स्थिति समृद्धि देने वाली होगी.
जिससे दूरसंचार, शेयर मार्केट, सर्राफा, कपड़ा, तेल और लोहे से जुड़े मशीनरी काम करने वालों को फायदा होगा. चंद्रमा और बुध राहु-शनि के नक्षत्र में रहेंगे. जिससे उद्योग और टेली-कम्युनिकेशन फील्ड वालों के लिए बड़े बदलाव वाला समय रहेगा और उम्मीद से ज्यादा मिलने के भी योग बनेंगे.
इस साल दिवाली पर एक साथ 5 राजयोग देखने को मिलेगा. ये 5 राजयोग गजकेसरी, हर्ष, उभयचरी, काहल और दुर्धरा नाम के होंगे. इन राजयोगों का निर्माण शुक्र, बुध, चंद्रमा और गुरु ग्रह स्थितियों के कारण बनेंगे. वैदिक ज्योतिष में गजकेसरी योग को सम्मान और लाभ देने वाला माना जाता है. हर्ष योग धन लाभ, संपत्ति और प्रतिष्ठा बढ़ता है. काहल योग स्थिरता और सफलता देता है.
वहीं, उभयचरी योग से आर्थिक संपन्नता बढ़ती है. दुर्धरा योग शांति और शुभता बढ़ाता है. वहीं कई सालों बाद दीपावली पर दुर्लभ संयोग भी देखने को मिलेगा जब शनि अपनी स्वयं की राशि कुंभ में विराजमान होकर शश महापुरुष राजयोग का निर्माण करेंगे.
ज्योतिषाचार्यने बताया कि कार्तिक महीने की अमावस्या रविवार सोमवार दोनों ही दिन रहेगी, लेकिन दीपावली 12 तारीख को मनेगी. रविवार की रात में अमावस्या होने से लक्ष्मी पूजन इसी तारीख को किया जाएगा. सोमवार को अमावस्या दिन में ही खत्म हो जाएगी. ग्रंथों में इस बात का जिक्र है कि जिस दिन प्रदोष काल यानी सूर्यास्त के वक्त अमावस्या हो तब लक्ष्मी पूजन किया जाना चाहिए. इस बात का ध्यान रखते हुए दीपावली 12 नवंबर को ही मनाएं.
कार्तिक अमावस्या तिथि प्रारम्भ - 12 नवंबर 2023, दोपहर 02:45 से
कार्तिक अमावस्या तिथि समाप्ति - 13 नवंबर 2023, दोपहर 02:57 तक
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि 12 नवंबर को सुबह रूप चौदस रहेगी. दोपहर 2.45 बजे अमावस्या तिथि लग जाएगी. लक्ष्मी पूजन अमावस्या की रात में ही होता है, इस कारण दीपावली की पूजा 12 नवंबर को ही होगी. पूजा के ज्यादातर मुहूर्त दोपहर 3 बजे से ही रहेंगे. अमावस्या सोमवार को दोपहर 02:57 तक रहेगी, इसलिए अगले दिन सोमवार को सोमवती अमावस्या भी मनाई जाएगी. अमावस्या का स्नान दान वगैरह सोमवार को ही होगा.
नरकासुर ने 16 हजार 108 स्त्रियों को अपनी कैद में रखा था. यह नरकासुर प्रजा पर बहुत अत्याचार करता था. आश्विन कृष्ण चतुर्दशी को भगवान श्रीकृष्ण ने इस नरकासुर का वध किया और स्त्रियों को मुक्त कराया. नरकासुर ने श्रीकृष्ण से कहा कि जो इस दिन मंगलस्नान करे उसे नरक की यातना न भोगनी पड़े. इसलिए नरक चतुर्दशी के दिन सुबह-सुबह अभ्यंगस्नान करना महत्वपूर्ण माना जाता है.
शरद ऋतु के अंत और हेमन्त ऋतु के आगमन पर दिवाली के उत्सव के दौरान, आगामी शीत काल के लिए तेल से स्नान करना नरक चतुर्दशी अभ्यंगस्नान से शुरू होता है.
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि दीपावली का त्योहार कार्तिक माह के अमावस्या तिथि पर मनाने का विधान होता है. दीपावली पर लक्ष्मी-गणेश पूजन का काफी महत्व होता है. दीपावली पर लक्ष्मी पूजा के लिए प्रदोष काल का समय सबसे अच्छा माना जाता है. दीपावली पर अमावस्या तिथि 12 नवंबर को दोपहर करीब 2:45 मिनट पर शुरू हो जाएगी.
वैदिक ज्योतिष शास्त्र की गणना के मुताबिक दीपावली की शाम के समय जब लक्ष्मी पूजा होगी उसी दौरान 5 राजयोग का निर्माण भी होगा. इसके अलावा आयुष्मान, सौभाग्य और महालक्ष्मी योग भी बनेगा. इस तरह से दिवाली 8 शुभ योगों में मनाई जाएगी. दीपावली पर इस तरह का शुभ योग कई दशकों के बाद बना है. ऐसे में इस शुभ योग में दीपावली सभी के लिए सुख-समृद्धि और मंगलकामना साबित होगी.
प्रधानमंत्री मोदी ने हिमाचल के लेप्चा में अपने संबोधन के दौरान कहा, "ऐसा कहा जाता है कि अयोध्या वह है जहां भगवान राम हैं, लेकिन मेरे लिए, अयोध्या वह है जहां भारतीय सेना के जवान हैं...".
दोपहर का मुहूर्त (शुभ): 02 बजकर 46 मिनट से 02 बजकर 47 मिनट तक
सायंकालीन मुहूर्त (शुभ, अमृत, चल): शाम 05 बजकर 29 मिनट से रात 10 बजकर 26 मिनट तक
रात्रि मुहूर्त (लाभ): 25:44:31 से 27:23:35 तक
प्रातः काल का मुहूर्त (शुभ): 29:02:39 से 30:41:44 तक
दिवाली के दिन पूजा के समय काले, भूरे या नीले रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए. इससे मां लक्ष्मी नाराज हो जाती हैं. दिवाली के दिन घर के अंदर के साथ-साथ बाहर भी अंधेरा ना रहने दें. रसोई में पीने के पानी के स्थान, घर के बाहर, घर के मंदिर में दीपक जरूर जलाएं. इस दिन तामसिक चीजों से दूर रहना चाहिए.
दिवाली के दिन मेष, मिथुन, मकर राशि के लोगों पर मां लक्ष्मी की कृपा बरसेगी. आज के दिन बनने वाले शुभ संयोग का इन राशि के जातकों को बहुत लाभ मिलने वाला है. इन जातकों की आय बढ़ेगी. आपको आकस्मिक धन लाभ हो सकता है. पुराने निवेश से आपको अच्छा रिटर्न प्राप्त होगा. इन लोगों को भाग्य का पूरा साथ मिलेगा. नौकरी और करियर के क्षेत्र में बेहतरीन अवसरों की प्राप्ति होगी. आपकी सभी इच्छाएं पूरी होंगी.
इस बार दिवाली 12 नवंबर को मनाई जाएगी. इस दिन शनि महाराज अपनी राशि में स्थित होकर शश महापुरुष राजयोग का निर्माण करेंगे. ज्योतिष में इस योग को बहुत शक्तिशाली योग माना जाता है. इस दिन आयुष्मान योग भी बन रहा है. इन शुभ संयोग की वजह से दिवाली का महत्व और बढ़ गया है. इन संयोग से कुछ राशियों पर मां लक्ष्मी की विशेष कृपा बरसने वाली है.
दिवाली पर पूजा के दौरान माता लक्ष्मी के सामने 5 पीली कौड़ी और 9 गोमती चक्र रख दें. इसके बाद पूरे विधि-विधान के साथ माता लक्ष्मी और गणेशजी की पूजा करें. दिवाली के अगले दिन इन कौड़ी और गोमती चक्र को लाल कपड़े में बांधकर तिजोरी या अलमारी में रख दें. माना जाता है कि ऐसा करने से घर में समृद्धि और खुशहाली आती है.
दिवाली की रात सर्वसिद्धि वाली रात मानी जाती है. ऐसे में शुभ समय पर विधि-विधान से पूजा करने से जीवन में खुशियां आती हैं. आपका पूरा साल अच्छा रहेगा और मां लक्ष्मी-गणेश की कृपा आप पर बनी रहेगी, दिवाली हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण त्योहार है. यह त्यौहार पूरे भारत में बहुत धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. दिवाली को अंधकार पर प्रकाश की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है, जो खुशी और शुभकामनाओं का समय है.
दिवाली की रात लक्ष्मी-गणेश की पूजा का सबसे अधिक महत्व होता है. ऐसा माना जाता है कि अगर आप पूरी आस्था और विधि-विधान से इनकी पूजा करते हैं तो धन की देवी देवी लक्ष्मी और बुद्धि के देवता गणेश आपसे प्रसन्न होंगे. आपका पूरा साल अच्छा रहेगा और आप पर उनका आशीर्वाद रहेगा.
दिवाली की शाम पूजा के लिए सामग्री एकत्रित कर लें. इसके लिए धूप, दीप, रोली, अक्षत, कपूर, हल्दी, कुमकुम, फल, फूल, कमल गट्टे, चांदी का सिक्का, आम का पत्ता गंगाजल, आसम, चौकी, काजल, हवन, सामग्री, फूलों की माला, नारियल, लौंग, शहद, पंचामृत, खील, बताशे, पंच मेवा, मिठाई, सरसों का तेल या घी, मिट्टी का दिया और केले का पत्ता इकट्ठी कर लें.
ऊँ श्रींह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मी नम:।
ऊँ ह्रीं श्री क्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी मम गृहे धन पूरये, धन पूरये, चिंताएं दूरये-दूरये स्वाहा:।
ऊँ श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।।
श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं कमलवासिन्यै स्वाहा।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नम:।
प्रदोष काल (लग्न)- शाम 05:34- रात 08::08 तक
वृषभ काल(लग्न)- शाम 05:48- रात 07:45 तक
सिंह काल(लग्न)- रात 12:18- रात 02:34 तक
दिवाली पर घरों को रौशनी से सजाया जाता है. दिवाली की शाम को शुभ मुहूर्त में माता लक्ष्मी, भगवान गणेश, मां सरस्वती और धन के देवता कुबेर की पूजा-आराधना होती है. मान्यता है दीपावली की रात माता लक्ष्मी पृथ्वी पर आती हैं और घर-घर जाकर ये देखती हैं किसका घर साफ है और किसके यहां पर विधिविधान से पूजा हो रही है. माता लक्ष्मी वहीं पर अपनी कृपा बरसाती हैं. दीपावली पर लोग सुख-समृ्द्धि और भौतिक सुखों की प्राप्ति के लिए माता लक्ष्मी की विशेष पूजा करते हैं.
अयोध्या में दीपोत्सव को देखने के लिए लाखों श्रद्धालु की भीड़ उम्र पड़ी है. इस दौरान भव्य रामलीला कार्यक्रम भी किया जा रहा है.
दीपोत्सव' ने 22.23 लाख से अधिक दीये जलाकर नया गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया
दिव्या दीपोत्सव कार्यक्रम के दौरान भगवान राम के भव्य मंदिर का तस्वीर इंटरनेट पर शेयर किया जा रहा है.
दिवाली के इस पावन अवसर पर अयोध्या धाम दीपों से जगमगा उठा है. सभी लोग खुशियां मना रहे हैं.
भगवान राम की नगरी अयोध्या धाम में सीएम योगी आदित्यनाथ दिव्या दीपोत्सव मना रहे हैं, इस दौरान उन्होंने भगवान राम का राज्याभिषेक भी किया.
उत्तर प्रदेश के अयोध्या नगरी में सीएम योगी आदित्यनाथ दिवाली का उत्सव बड़े ही धूमधाम से मना रहे हैं
नई दिल्ली: शाम 5:32 बजे से रात 8:00 बजे तक
मुंबई: शाम 5:47 बजे से रात 8:14 बजे तक
कोलकाता: शाम 5:17 बजे से शाम 7:45 बजे तक
चेन्नई: शाम 5:52 बजे से रात 8:08 बजे तक
बेंगलुरु: शाम 5:49 बजे से रात 8:16 बजे तक
जयपुर: शाम 5:48 बजे से शाम 7:44 बजे तक
हैदराबाद: शाम 5:52 बजे से शाम 7:53 बजे तक
कलश में पानी, एक सुपारी, एक गेंदे का फूल, एक सिक्का और कुछ चावल के दाने भरे होने चाहिए. कलश पर गोलाकार पैटर्न में पांच आम के पत्ते रखें. कलश को बीच में देवी लक्ष्मी की मूर्ति और दाहिनी ओर भगवान गणेश की मूर्ति से सुशोभित करना चाहिए. उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए अपने व्यवसाय/खाता-बही और अन्य धन/व्यवसाय से संबंधित वस्तुओं को मां लक्ष्मी की मूर्ति के सामने रखें. इसके अलावा, लोग भगवान विष्णु और भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं या उनका दर्शन करते हैं, सूर्योदय से पहले स्नान करते हैं और चिरचिटा पौधे की पत्तियों का उपयोग करते हैं.
दीपावली पर गजकेसरी, हर्ष, उभयचरी, काहल और दुर्धरा नाम के पांच राजयोग बन रहे हैं. जो शुक्र, बुध, चंद्रमा और गुरु की स्थिति से बनेंगे. इनके अलावा महालक्ष्मी, आयुष्मान और सौभाग्य भी बन रहे हैं. लक्ष्मी पूजा के वक्त ऐसा संयोग सदियों में बना है. दीपावली पर बन रहे शुभ योग उद्योगपति और व्यापारियों के लिए बेहद शुभ माने जा रहे हैं. आज बन रही ग्रह-स्थिति समृद्धि देने वाली होगी. जिससे दूरसंचार, शेयर मार्केट, सर्राफा, कपड़ा, तेल और लोहे से जुड़े मशीनरी काम करने वालों को फायदा होगा. चंद्रमा और बुध राहु-शनि के नक्षत्र में रहेंगे. जिससे उद्योग और टेली-कम्युनिकेशन फील्ड वालों के लिए बड़े बदलाव वाला समय रहेगा और उम्मीद से ज्यादा मिलने के भी योग बनेंगे.
अगर आप आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं तो आपको दिवाली के दिन तीन झाड़ू खरीदकर घर ले आना चाहिए. इन झाडूओं को चुपचाप घर के किसी मंदिर या पवित्र स्थान पर रख दें. माना जाता है कि इससे आर्थिक तंगी दूर होगी और आपके जीवन में धन का आगमन होगा.
नरक चतुर्दशी, बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है. हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन भगवान कृष्ण ने राक्षस नरकासुर को हराकर दुनिया को उसके अत्याचार से मुक्त कराया था. यह उत्सव अंधकार और दुष्टता पर प्रकाश और धार्मिकता की जीत का प्रतिनिधित्व करता है.
नरक चतुर्दशी का सर्वोत्तम समय है
• चतुर्दशी तिथि आरंभ: 11 नवंबर 2023 को दोपहर 1:57 बजे
• चतुर्दशी तिथि समाप्त: 12 नवंबर 2023 को दोपहर 2:44 बजे
• काली चौदस मुहूर्त: 12 नवंबर को रात 11:39 बजे से 12:32 बजे तक
बैकग्राउंड
Diwali 2023 Live: छोटी दिवाली या नरक चतुर्दशी दिवाली के पांच दिवसीय उत्सव का दूसरा दिन है. यह दीपावली से एक दिन पहले मनाया जाता है, तदनुसार, इस वर्ष छोटी दिवाली 11 नवंबर 2023, शनिवार को है.
भारत के कुछ हिस्सों में नरक चतुर्दशी को काली चौदस, रूप चौदस और भूत चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है. महाराष्ट्र में लोग नरक चतुर्दशी को अभ्यंग स्नान के रूप में मनाते हैं. कई क्षेत्रों में छोटी दिवाली और दीपावली लगभग एक ही समय मनाते हैं.
भारत में लोग अपने घरों को सजाकर, मिट्टी की रोशनी जलाकर, भगवान कृष्ण की प्रार्थना करके और अनोखे रीति-रिवाजों का पालन करके असाधारण उत्साह और खुशी के साथ छोटी दिवाली मनाते हैं.
छोटी दिवाली के पीछे का इतिहास
नरक चतुर्दशी को बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाने के लिए माना जाता है. हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन भगवान कृष्ण ने राक्षस नरकासुर का वध किया था और लगभग 16000 गोपियों को बचाया था.
हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, गोपियों को नरकासुर के चंगुल से छुड़ाने के बाद, भगवान कृष्ण ने उनमें से प्रत्येक को अपने जीवनसाथी के रूप में स्वीकार किया. छोटी दीपावली के अवसर पर, लोग भगवान कृष्ण और भूदेवी को देवी सत्यभामा के रूप में पूजा करके असाधारण रीति-रिवाज निभाते हैं.
छोटी दिवाली का महत्व
भक्त इस उत्सव से ईमानदारी से और पौराणिक रूप से जुड़े हुए हैं क्योंकि यह ऊर्जा, सद्भाव, आनंद, खुशी, उत्साह और बहुत कुछ लाता है जिसे शब्दों में वर्णित नहीं किया जा सकता है. लोग अपने रिश्तेदारों, परिवार के सदस्यों और दोस्तों के साथ इस उत्सव का आनंद लेने के लिए पूरे साल बेसब्री से इंतजार करते हैं.
लोग अपने घर को रंग-बिरंगे फूलों की मालाओं से सजाते हैं, अपने घर के आंगन में रंगोली के अद्भुत डिज़ाइन बनाते हैं और चमकदार रोशनी, मोमबत्तियां और मिट्टी से बने दीये लगाते हैं. हर कोई एक-दूसरे के साथ अपनी खुशियां साझा करने के लिए अपनी व्यस्त दिनचर्या से समय निकालते है.
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