Diwali 2024: दिवाली पर लक्ष्मी पूजा 31 अक्टूबर या 1 नवंबर? इस पर्व की समस्त जानकारी यहां देखें
Diwali 2024 Calendar India: दिवाली उत्सव 29 अक्टूबर, 2024 मंगलवार को धनतेरस के साथ शुरू होकर 03 नवंबर, 2024 रविवार को भाई दूज के साथ समाप्त होगा.
Diwali 2024 India: दिवाली अंधकार पर विजय पाने का त्योहार, जो मुख्यतः भारत के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है. दिवाली का त्योहार धार्मिक और सामाजिक सीमाओं को पार करते हुए, अंधेरे पर प्रकाश की शक्ति, बुराई पर अच्छाई की जीत और अज्ञानता पर ज्ञान की विजय पाने का पर्व है. आइए जानते हैं इस साल दिवाली कब है? शुभ मुहूर्त से लेकर अनुष्ठान, तिथियां और भी बहुत कुछ-
दिवाली कब है? (When is Diwali 2024)
हिंदू चंद्र कैलेंडर के मुताबिक, हर साल दिवाली का त्योहार कार्तिक अमावस्या को होता है. भारत में, विशेषकर उत्तरी भारत में दिवाली का पर्व पांच दिनों तक होता है. ये त्योहार कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष के 13वें चंद्र दिवस धनतेरस के मौके पर शुरू होकर भाई दूज के दिन खत्म होता है. इस बार की दिवाली उत्तर भारत और दक्षिण भारत में एक ही दिन है. इस साल दिवाली 31 अक्टूबर और 1 नवंबर 2024 को मनाई जाएगी.
कार्तिक अमावस्या तिथि का समय (Kartik Tithi Amavasya Timing) -
कार्तिक तिथि अमावस्या का समय : 31 अक्तूबर, दोपहर 3 बजकर 53 मिनट से शुरू होकर 1 नवंबर शाम को 6 बजकर 17 मिनट तक है.
प्रदोष पूजा का समय (Pardosh Puja Timing) - प्रदोष पूजा का समय : 1 नवंबर, शाम 5 बजकर 44 मिनट से शुरू होकर रात के 8 बजकर 19 मिनट तक है. 2024 की दिवाली 29 अक्टूबर 2024 मगंलवार के दिन धनतेरस के साथ शुरू होकर 3 नवंबर 2024, रविवार को भाईदूज के दिन समाप्त होगी. दिवाली के दिन मां लक्ष्मी की पूजा आराधना की जाती है. मां लक्ष्मी भैवव की देवी कहा जाता है.
दिवाली 2024 कैलेंडर (Diwali 2024 Calender)
Day 1 | धनतेरस | 29 अक्तूबर, 2024 मंगलवार |
Day 2 | नानका चतुर्दशी (छोटी दिवाली) | 31 अक्तूबर, 2024 गुरुवार |
Day 3 | लक्ष्मी पूजा (दिवाली) | 1 नवंबर, 2024 शुक्रवार |
Day 4 | गोवर्धन पूजा | 2 नवंबर 2024 शनिवार |
Day 5 | भाईदूज | 3 अक्टूबर 2024, रविवार |
दिवाली हमारे घरों और दिलों को रोशन करती है और दोस्ती और एकजुटता का संदेश देती है। प्रकाश आशा, सफलता, ज्ञान और भाग्य का चित्रण है और दिवाली जीवन के इन गुणों में हमारे विश्वास को मजबूत करती है.
दिवाली 2024 शुभ मुहूर्त और अमावस्या तिथि टाइमिंग (Diwali shubh Muhurat and Amavasya Tithi Timings)
सूर्योदय | नवंबर 01 नवंबर, 6:36 AM. |
सूर्यास्त | नवंबर 01 नवंबर, 5:44PM. |
अमावस्या तिथि समय | 31 अक्टूबर, 3:53 PM - 01 नवंबर, 6:17 PM |
प्रदोष पूजा का समय | 01 नवंबर, 5:44PM - 08:19PM |
निशिता काल का समय | नवंबर 01, 11:44 PM - 02 नवंबर, 12:36 AM |
2024 में दिवाली की तारीखें क्या है?
2024 में दिवाली का पर्व 29 अक्टूबर, मंगलवार धनतेरस के दिन शुरू होकर 3 नवंबर, 2024 रविवार भाई दूज के दिन समाप्त होगी. दिवाली के शुभ अवसर पर लोग माता लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा आराधना करते हैं. इस साल दिवाली 1 नवंबर 2024, शुक्रवार के दिन है. वहीं कुछ लोग इसे 31 अक्टूबर को भी मनाएंगे.
दिवाली पूजन सामग्री (Diwali 2024 Pujan Samagri)
दिवाली की पूजा के लिए पूजा सामग्री में सबसे पहले मां लक्ष्मी और गणेश जी की प्रतिमा, रोली, कुमकुम, अक्षत (चावल), पान, सुपारी, नारियल, लौंग, इलायची, धूप, कपूर, अगरबत्तियां, मिट्टी के दीऐ, रूई, कलावा, शहद, दही, गंगाजल, गुड़, धनिया, फल, फूल, जौ, गेहूं, दूर्वा, चंदन, सिंदूर, पंचामृत, दूध, मेवे, बताशे, जनेऊ, श्र्वेत वस्त्र, इत्र, चौकी, कलश, कमल गट्टे की माला, शंख, आसन, थाली, चांदी का सिक्का, बैठने का आसन, हवन कुंड, हवन सामग्री, आम के पत्ते और प्रसाद रखना जरुरी है.
दिवाली पूजन विधि (Diwali 2024 Pujan Vidhi)
- सबसे पहले ईशाण कोण को या उत्तर दिशा में साफ सफाई करके स्वास्तिक चिन्ह बनाएं. उसके ऊपर अक्षत को डालें. इसके बाद लकड़ी का आसन लाल कपड़े के साथ बिछाएं. आसन पर मां लक्ष्मी और गणेश जी की मूर्ति को विराजमान करें.
- पूजा शुरू करने से पहले पंचदेव में सूर्यदेव, श्रीगणेश, दुर्गा, शिव और विष्णुजी की मूर्ति को स्थापित करें. इसी के साथ गंगाजल के छींटें से इसे पवित्र करें.
- सर्वप्रथम गणेश जी के मंत्रों से पूजा को शुरू करें. भगवान गणेश जी की पूजा को "गजाननं भूतगणादि सेवितंकपित्थजम्बूफलसार भक्षितम्। उमासुतं शोकविनाशकारणंनमामि विघ्नेश्वर पादपङ्कजम् ॥ मंत्र के साथ करें.
- माता लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा करने के बाद उन्हें लाल सिंदूर का तिलक लगाएं.
- पूजा के बाद मां लक्ष्मी और गणेश जी की आरती करें और उन्हें मिठाइयों का भोग लगाएं.
- आरती और प्रसाद का वितरण सभी लोगों में करें.
- घर के प्रत्येक कोने में दीऐ जलाएं.
मां लक्ष्मी की आरती (Maa Laxmi Aarti)
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया, जय लक्ष्मी माता
तुमको निसदिन सेवत, मैया जी को निसदिन सेवत
हर विष्णु धाता, ॐ जय लक्ष्मी माता
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता
(मैया, तुम ही जग-माता)
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत (सूर्य-चंद्रमा ध्यावत)
नारद ऋषि गाता (ॐ जय लक्ष्मी माता)
दुर्गा रुप निरंजनी, सुख, संपत्ति दाता
(मैया, सुख, संपत्ति दाता)
जो कोई तुमको ध्यावत (जो कोई तुमको ध्यावत)
ऋद्धि-सिद्धि धन पाता (ॐ जय लक्ष्मी माता)
तुम पाताल निवासिनि, तुम ही शुभ दाता
(मैया, तुम ही शुभ दाता)
कर्म प्रभाव प्रकाशिनी (कर्म प्रभाव प्रकाशिनी)
भवनिधि की त्राता (ॐ जय लक्ष्मी माता)
जिस घर तुम रहती तः सब सद्गुण आता
(मैया, सब सद्गुण आता)
सब संभव हो जाता (सब संभव हो जाता)
मन नहीं घबराता (ॐ जय लक्ष्मी माता)
तुम बिन यज्ञ ना होते, वस्त्र ना हो पाता
(मैया, वस्त्र ना हो पाता)
खान-पान का वैभव (खान-पान का वैभव)
सब तुमसे आता (ॐ जय लक्ष्मी माता)
शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि जाता
(मैया, क्षीरोदधि जाता)
रत्न चतुर्दश तुम बिन (रत्न चतुर्दश तुम बिन)
कोई नहीं पाता (ॐ जय लक्ष्मी माता)
महालक्ष्मी जी की आरती जो कोई नर गाता
(मैया, जो कोई नर गाता)
उर आनंद समाता (उर आनंद समाता)
पाप उतर जाता (ॐ जय लक्ष्मी माता)
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया, जय लक्ष्मी माता
तुमको निसदिन सेवत, मैया जी को निसदिन सेवत
हर विष्णु धाता, ॐ जय लक्ष्मी माता
गणेश जी की आरती (Ganesh ji ki Aarti)
गणेश जी की आरती
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे संत करें सेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो जाऊं बलिहारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
दिवाली के पीछे की लोककथा
भारत देश में दिवाली पर्व को सामाजिक और धार्मिक दोनो ही नजरिए से बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. इसलिए इसे ‘दीपोत्सव’ दीपों का पर्व भी कहा जाता है. भारत में तमसो मा ज्योतिर्गमय की विचारधारा भी अंधेरे से प्रकाश की और इशारा करती है. जिसे सिख, बौद्ध और जैन संप्रदाय के लोग भी मानते हैं. जहां एक तरफ दिवाली पर्व को जैन धर्म महावीर के मोक्ष के दिन के रूप में मनाता है, तो वही दूसरी तरफ सिख धर्म के लोग इसे बन्दी छोड़ दिवस के रूप में मनाते हैं.
वही इस पर्व को लेकर एक लोकप्रिय कथा भी है, जो देश भर में काफी चर्चित है. माना जाता है कि दिवाली के दिन अयोध्या के राजा श्री रामचंद्र जी ने 14 वर्ष का वनवास पूर्ण कर अयोध्या लौटे थे. उनके आगमन पर अयोध्या वासियों ने घर घर में घी के दीपक जलाएं थे. कार्तिक माह की सघन काली अमावस्या की वो रात दीयों से जगमगा उठी थी. तब से लेकर वर्तमान समय तक हर भारतीय प्रत्येक वर्ष दिवाली का त्योहार मनाता है.
इस पर्व को लेकर भारतीयों का मानना है कि दिवाली का त्योहार असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक है. दिवाली का पर्व यही चरितार्थ करता है कि असतो मा सद्गमय, तमसो मा ज्योतिर्गमय अर्थात दिवाली स्वच्छ व प्रकाश का पर्व है.
दिवाली नजदीक आते ही इस पर्व की तैयारी कुछ सप्ताह पहले से ही शुरू हो जाती है. लोग अपने घरों में मरम्मत, रंग रोगन और सफेदी का काम शुरू करवा देते हैं. तमाम बाजारों और गलियों में दिवाली के मौके पर चमचमाती लाइटों और मिठाइयों की दुकान पर लोगों का आना जाना बढ़ जाता है.
पूरे देश में इस पर्व को विभिन्न रूपों में मनाया जाने के कारण इस दिन राष्ट्रीय अवकाश भी होता है. धनतेरस से शुरू होने वाला ये पर्व भाई दूज तक चलता है. दिवाली के दिन लोग अपने घरों में माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा अर्चना करते हैं. इसके साथ तमाम तरह के व्यंजनों का लुत्फ उठाना, दोस्तों और परिवार के साथ उपहारों का आदान प्रदान करना और पटाखे जलाते हैं.
FAQs / अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
What is the real date of Diwali in 2024?
2024 में दिवाली की तारीखें क्या है?
2024 में दिवाली का पर्व 29 अक्टूबर, मंगलवार धनतेरस के दिन शुरू होकर 3 नवंबर, 2024 रविवार भाई दूज के दिन समाप्त होगी. दिवाली के शुभ अवसर पर लोग माता लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा आराधना करते हैं. इस साल दिवाली 1 नवंबर 2024, शुक्रवार के दिन है.
दिवाली क्या है?
दिवाली बुराई पर अच्छाई की जीत का, अज्ञान पर ज्ञान की जीत का और अंधकार पर प्रकाश की जीत का त्योहार है. ये पर्व हिंदू, जैन, सिख और बौद्ध धर्म के लोग भी मानते हैं.
दिवाली से जुड़ी कुछ परंपराएं क्या है?
दिवाली को लेकर कुछ परंपराएं काफी चर्चित है, जिसमें-
- तेल या घी के दीपक जलाना
- घरों को रंगोली से सजाना
- माता लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा अर्चना करना
- उपहार भेंट करना
- स्वादिष्ट भोजन का लुफ्त उठाना
- घरों को रंग बिरंगी लाइटों से सजाना
- नए कपड़े पहनना
- तमाम तरह की मिठाइयों को खाना
दिवाली के 5 दिन कौन से हैं?
दिवाली का पर्व पांच दिवसीय उत्सव है जिसमें धनतेरस, नरक चतुर्दशी, लक्ष्मी पूजा, गोवर्धन पूजा और भाई दूज शामिल हैं। हर दिन का एक अलग महत्व होता है.
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