Diwali 2024: पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर - जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि इस वर्ष कार्तिक कृष्ण अमावस्या दिनांक 01 नवम्बर 2024 को प्रदोषकाल में अमावस्या होने से इसी दिन दीपावली मनायी जायेगी। लक्ष्मी पूजन प्रदोषयुक्त अमावस्या को स्थिर लग्न व स्थिर नवांश में किया जाना सर्वश्रेष्ठ होता है। इस वर्ष लक्ष्मीपूजन का समय इस प्रकार रहेगा। अमावस्या इस दिन सायं 06:17 तक रहेगी।
 
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त 
दिवाकाल का श्रेष्ठ चौघड़िया



  • चर लाभ अमृत का चौघड़िया :- प्रातः 6:40 से प्रातः 10:47 तक

  • अभिजीत :-  प्रातः 11:46 से दोपहर 12:34 तक 

  • शुभ का चौघड़िया :- दोपहर 12:10 से दोपहर 01:33 तक

  • चर का चौघड़िया :- सायं 04:17 से सायं 05:40 तक 


रात्रि का श्रेष्ठ चौघड़िया



  • लाभ का चौघड़िया :- रात्रि 08:57 से रात्रि 10:34 तक

  • शुभ-अमृत-चर का चौघड़िया :- मध्यरात्रि 12:10 से अंतरात्रि 05:02 तक 


सर्वश्रेष्ठ समय



  • प्रदोष काल ( लग्न ) - सायं 05:40 - रात्रि 08:16 तक

  • इसके अतिरिक्त सायं 06:41 से सायं 06:53 (इसमें प्रदोष काल, स्थिर वृष लग्र एवं कुम्भ का नवमांश रहेेगा) तक रहेगा।

  • वृष काल ( लग्न ) – सायं 06:31 - रात्रि 08:28 तक

  • सिंह काल ( लग्न )  - मध्यरात्रि 01:01 - अन्तरात्रि 03:17 तक


दिवाली पूजन के बाद मां लक्ष्मी और गणेश जी की आरती करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है. 


ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥


ओम जय लक्ष्मी माता॥
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥


दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥


तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥



जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।
सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥


तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥


शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥


महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥


गणेश जी की आरती 


ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥


ओम जय लक्ष्मी माता॥
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥


दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥


तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥



जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।
सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥


तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥


शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥


महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥