Diwali 2024 Live: दिवाली का पर्व आज, यहां जानिए सही डेट, लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त, विधि, मंत्र और सब कुछ
Diwali 2024 Puja Muhurt Live: 29 अक्टूबर को धनतेरस के बाद से दिवाली की तैयारी जोर-शोर से शुरू हो गई है. जानिए दिवाली की सही तारीख, मां लक्ष्मी की पूजा का शुभ मुहूर्त, विधि, मंत्र आदि के बारे में.
Diwali 2024 Narak Chaturdashi: नरक चतुर्दशी के दिन करें ये काम
- मां लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा करनी चाहिए.
- शाम के वक्त मंदिर में दीप जलाना चाहिए.
- गरीब लोगों को दान करना भी शुभ माना जाता है.
- हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए.
- घर में खीर बनाकर भगवान को भोग लगाएं और सब को प्रसाद दें.
Diwali 2024 Narak Chaturdashi: दिवाली 2024 नरक चतुर्दशी पूजा विधि
नरक चतुर्दशी के दिन सूर्योदय से पहले स्नान करके साफ कपड़े पहन लें. नरक चतुर्दशी के दिन यमराज, श्री कृष्ण, काली माता, भगवान शिव, हनुमान जी और विष्णु जी के वामन रूप की विशेष पूजा की जाती है. घर के ईशान कोण में इन सभी देवी देवताओं की प्रतिमा स्थापित करके विधि पूर्वक पूजन करें. देवताओं के सामने धूप दीप जलाएं, कुमकुम का तिलक लगाएं और मंत्रों का जाप करें.
Diwali 2024 Narak Chaturdashi: दिवाली नरक चतुर्दशी की पौराणिक कथा
धर्म ग्रंथों के अनुसार बलि नाम का एक पराक्रमी राक्षसों का राजा था. वह 100 यज्ञ पूर्ण कर स्वर्ग पर अधिकार करना चाहता था. तब भगवान विष्णु वामन अवतार लेकर उसके पास गए और उससे तीन पग धरती दान में मांग ली. बलि ने दान देना स्वीकार किया. तब भगवान वामन ने विशाल रूप धारण कर तीनो लोकों पर अधिकार कर लिया. तब राजा बलि ने उनसे प्रार्थना की ‘आपने कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी से लेकर अमावस्या की अवधि में मेरा संपूर्ण राज्य नाप लिया. इसलिए जो व्यक्ति चतुर्दशी पर यमराज के लिए दीपदान करे, उसे यम यातना नहीं होनी चाहिए. भगवान वामन ने बलि की ये प्रार्थना स्वीकार कर ली. तभी से नरक चतुर्दशी पर यमराज के निमित्त दीपदान करने की परंपरा चली आ रही है.
Diwali 2024 Narak Chaturdashi: इस दिन मृत्यु के देवता यमराज, माता काली और श्रीकृष्ण की आराधना की जाती है. इस दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान करके यम तर्पण एवं शाम के समय दीप दान का बड़ा महत्व है. कहते हैं नरक चतुर्दशी पर दीप जलाने से यमराज प्रसन्न होते हैं और अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है. नरक चतुर्दशी की पूजा अकाल मृत्यु से मुक्ति और स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए की जाती है. नरक चतुर्दशी से अनेक मान्यताएं और परंपराएं जुड़ी हुई हैं, जो इसे और भी खास बनाती हैं. इस बार नरक चतुर्दशी पर कईं शुभ योग बन रहे हैं.
Diwali 2024 Narak Chaturdashi: नरक चतुर्दशी का महत्व
कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर नरक चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है. इसे रूप चौदस, नरक चतुर्दशी, छोटी दीपावली, नरक निवारण चतुर्दशी अथवा काली चौदस के नाम से भी जाना जाता है. दीपावली से एक दिन पहले और धनतेरस एक दिन बाद नरक चौदस या नरक चतुर्दशी का त्योहार मनाया जाता है. इसी दिन छोटी दीपावली भी मनाई जाती है. पंचांग के अनुसार, इस साल नरक चतुर्दशी की शुरुआत 30 अक्टूबर को सुबह 01:16 मिनट पर हो रही है और इसका समापन अगले दिन 31 अक्टूबर को दोपहर में 03:53 मिनट पर होगा. ऐसे में उदयातिथि के मुताबिक, नरक चतुर्दशी का पर्व 31 अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा.
दिवाली के दिन ऑफिस और दुकान में अच्छी तरह सफाई करें, कार्यस्थल पर फूलों, लाइटों, रंगोली, सजावट की जाती है. पूजा स्थल पर देवी लक्ष्मी और गणपति जी की मूर्ति का पंचोपचार से पूजन करें. अष्टगंध, पुष्प, खील, बताशे, मिठाई, फल अर्पित करें. इसके बाद बहीखातों की पूजा करें. धन स्थान पर गोमती चक्र रखें. व्यवसाय में तरक्की और समृद्धि की कामना करें और आरती कर सभी में प्रसाद बांट दें. इस दिन ऑफिस में अंधेरा न होने दें.
दिवाली की रात लक्ष्मी पूजन के लिए एक लकड़ी की चौकी, गंगा जल, पंचामृत, फूल, फल, एक लाल कपड़ा, एक लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति, माचिस, घी, कपूर, गेहूं, दूर्वा, कुमकुम, हल्दी की गांठ, रोली, सुपारी, पान, लौंग, अगरबत्ती, धूपबत्ती, दीपक, जनेऊ, खील बताशे, चांदी के सिक्के के अलावा भी कुछ ऐसी चीजें ऐसी है जिन्हें शामिल करने से व्यक्ति पर मां लक्ष्मी की कृपा साल भर बनी रहते हैं.
- नरक चतुर्दशी - 30 अक्टूबर 2024
- दिवाली - 31 अक्टूबर 2024
- कार्तिक अमावस्या - 1 नवंबर 2024
- गोवर्धन पूजा - 2 नवंबर 2024
- भाई दूज - 3 नवंबर 2024
शुभ (उत्तम) | शाम 04.13 - शाम 05.36 |
अमतृ (सर्वोत्तम) | शाम 05.36 - रात 07.14 |
चर (सामान्य) | रात 07.14 - रात 08.51 |
- छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन हनुमान जी, यम, और भगवान कृष्ण की पूजा करें.
- नरक चतुर्दशी के दिन घर के मुख्य द्वार पर सरसों के तेल का बड़ा दीपक जलाएं.
कार्तिक कृष्ण की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 30 अक्टूबर को दोपहर 1 :15 मिनट पर होगी
जिसका समापन 31 अक्टूबर दोपहर 3:52 मिनट पर होगा.
31 अक्टूबर, गुरुवार को दोपहर 03:53 तक चतुर्दशी तिथि फिर अमावस्या तिथि रहेगी.
इस दिन पूरे दिन चित्रा नक्षत्र रहेगा.
ग्रहों से बनने वाले वाशि योग, आनन्दादि योग, सुनफा योग, बुधादित्य योग, विष्कुम्भ योग का साथ मिलेगा.
दीपों की ज्योति से हर कोना उजाला हो,
आपके घर में लक्ष्मी का वास हो,
सभी दुख-दर्द आपसे दूर हो जाएं,
और खुशियों का सागर आपके जीवन में बह जाए.
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं!
दिवाली पर लक्ष्मी पूजन में दक्षिणावर्ती शंख को जरूर शामिल करें. दक्षिणावर्ती शंख माता लक्ष्मी को बेहद प्रिय है. मां लक्ष्मी, विष्णु जी और दुर्गा जी के हाथों में जो शंख है वो दक्षिणावर्ती शंख कहलाता है.
छोटी दिवाली या नरक चतुर्दशी पर 14 दीपक जलाने की परंपरा है. इसी के साथ आज रात में यम के नाम भी दीप जलाया जाता है.
धार्मिक मान्यता के अनुसार, कार्तिक अमावस्या से पहले कार्तिक कृष्ण की चतुर्दशी के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का संहार किया था. इसलिए इस दिन दीप जलाकर लोगों को खुशी मनाई थी. इसलिए इसे छोटी दिवाली कहते हैं. साथ ही इसे नरक चतुर्दशी या रूप चौदस भी कहा जाता है.
दिवाली पर पूजा के लिए 31 अक्टूबर को शाम 05:36 मिनट से रात 8 बजकर 51 मिनट तक का समय शुभ रहेगा. आप इस मुहूर्त में मां लक्ष्मी की पूजा कर सकते हैं.
- कार्तिक अमावस्या तिथि आरंभ: गुरुवार 31 अक्टूबर 2024, दोपहर 03 बजकर 52 मिनट से
- कार्तिक अमावस्या तिथि समाप्त: शुक्रवार 01 नवंबर 2024, षाम 06 बजकर 16 मिनट तक
बैकग्राउंड
Diwali 2024 Puja Muhurt Live: दिवाली दीप और प्रकाश का पर्व है. इस दिन देश का कोना-कोना दीपों की रोशनी से जगमगाता हुआ नजर आता है. कार्तिक अमावस्या के दिन दिवाली का त्योहार मनाने की परंपरा है. लेकिन मुख्य काल प्रदोष में अमावस्या तिथि होना जरूरी है. यही कारण है कि दिवाली की डेट को लेकर लोगों में भ्रम की स्थिति पैदा हो गई.
हालांकि काशी में विद्वानों की बैठक और सर्वसम्मति के बाद यह निर्णय लिया गया कि इस साल दीपावली का पर्व 31 अक्टूबर 2024 को ही मनाया जाना शास्त्रोचित होगा. वहीं अमावस्या तिथि से संबंधित पूजा-पाठ, दान, स्नान और तर्पण आदि शुक्रवार 1 नवंबर 2024 को किए जाएंगे.
दिवाली लक्ष्मी पूजा मुहूर्त
दिवाली के दिन घर, ऑफिस, कारखाने और दुकान आदि में लोग लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति स्थापित कर पूजा-अर्चना करते हैं. इस दिन संध्याकाल में लक्ष्मी पूजन करने का खास महत्व होता है. 31 अक्टूबर को दीपावली के दिन शाम 05:36 मिनट से रात 8 बजकर 51 मिनट तक मां लक्ष्मी की पूजा कर सकते हैं.
क्यों मनाई जाती है दिवाली क्या है इसकी कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, चिरकाल में ऋषि दुर्वासा के श्राप के कारण जब स्वर्ग श्रीविहीन (लक्ष्मी विहीन) हो गया था और दानवों ने स्वर्ग पर आक्रमण कर दिया. इसके बाद देवताओं को स्वर्ग छोड़ना पड़ा और उस पर दानवों का अधिपत्य हो गया.
तब सभी देवतागण ब्रह्मा और विष्णु जी के पास पहुंचे और सारी बात बताई. विष्णु जी ने देवताओं को समुद्र मंथन करने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि समुद्र मंथन से जो अमृत कलश निकलेगा उसका पान करने के बाद सभी देवता अमर हो जाएंगे और युद्ध में कोई परास्त नहीं होगा. लेकिन समुद्र मंथन के लिए दानवों की सहायता लेनी होगी.
इसके बाद देवताओं ने दानवों की मदद से समुद्र मंथन किया. वासुकि नाग और मंदार पर्वत से समुद्र को मथा गया. समुद्र मंथन से न सिर्फ अमृत कलश, बल्कि देवी मां लक्ष्मी भी पुनः अवतरित हुईं. समुद्र मंथन से निकले अमृत का पान कर देवता अमर हो गए और लक्ष्मी के अवतरित होने पर स्वर्ग में पुनः सुख, सौभाग्य और ऐश्वर्य लौट आया. इसलिए हर वर्ष कार्तिक अमावस्या के दिन दीवाली मनाई जाती है.
एक परंपरा यह भी है कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम 14 साल का वनवास पूरा कर कार्तिक अमावस्या के दिन ही अयोध्या लौट थे. भगवान के अयोध्या लौटने की खुशी में अयोध्या वासियों ने दीप जलाकर फूलों से अयोध्या को दुल्हन की तरह सजाया था. मान्यता है कि इसलिए दिवाली के दिन दीप जलाए जाते हैं और घर से लेकर गली-मौहल्ले को फूल-मालाओं से सजाया जाता है.
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