Diwali 2024: दरिद्रता जीवन के लिए अभिशाप है, निर्धनता या दरिद्रता में व्यक्ति हर क्षण मरता है. कभी रोजी-रोटी के जुगाड़ में तो कभी बच्चों के पढ़ाई-लिखाई के लिए निर्धनता ऋणी होती जाती है. कर्ज का बोझ जीवन में श्राप बन जाता है. भरपूर परिश्रम पर भी पारिश्रमिक इतना नहीं मिल पाता कि परिवार की आवश्यकताओं की पूर्ति कर सके.


अच्छा खासा व्यापार चल रहा हैं लेकिन अचानक चलते व्यापार में मंदी आ गई और धीरे-धीरे बिजनस चौपट होने की ओर अग्रसर होने लगा. क्या आप कोई व्यापारिक बंधन का शिकार हो गए? परिवार के सदस्यों को बीमारी ने आ घेरा है और इलाज पर आप कर्जदार होते जा रहे हैं. ऐसी एक नहीं अनेक समस्याएं हमेशा हरेक के जीवन में आती हैं.


इन और ऐसी ही अनेक समस्याओं के समाधान के लिए दीपावली का महापर्व आपके लिए सौभाग्यशाली समय लेकर आ रहा है. धनतेरस से लेकर भैय्यादूज तक पांच दिन का समय पूजा-साधना और प्रयोग अनुष्ठान आदि के लिए अतिशुभ व शीघ्र फलदायी है.


धन दौलत की प्राप्ति के लिए उपाय



  • धन-दौलत की प्राप्ति के लिए-दीपावली की रात्रि या किसी शुभ मुहूर्त में सफेद-सूती वस्त्र पहन लें.

  • फिर गले या अंगुली में मोती धारण करके चांदी की थाली में अभिमंत्रित घोड़े की नाल रखकर उसे मोली से बांध दें.

  • मोली बांधते समय अपने मन में यह भावना करें कि मैं शनि भगवान को मोली बांध रहा हूं. पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएं.

  • अब थाली को पृथ्वी पर रखकर उसमें रखी घोड़े की नाल के चारों ओर सरसों के तेल के चार दीपक प्रज्जवलित कर दें.

  • शनिदेव का ध्यान करके ऊँ शं शनैश्चराय नमः मंत्र की 11 माला जाप करें. ऐसा करने से आपके पास धन-दौलत की कमी नहीं रहेगी.


बिजनेस में लाभ



  • बिजनस में लाभ के लिए-दीपावली के दिन सुबह स्नानादि करके एक चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर उस पर तांबे की एक थाली रख दें.

  • थाली में केसर या हल्दी से श्रीं लिखें. फिर थाली में पुष्प का आसन लगाकर मंत्रसिद्ध सुमेरु कुबेर यंत्र एवं 11 लक्ष्मीदायक कौड़ियां केसर से रंगकर स्थापित करें.

  • फिर इन सभी की पूजा करके पीले पुष्प चढ़ाएं. धूप-द्वीप कर स्फटिक माला ऊँ यक्षाय नमः मंत्र का 5 माला जाप करें। इस प्रयोग को रोजाना 10 दिनों तक करें.


विशेष मनोकामना की पूर्ति



  • किसी भी मनोकामना पूर्ति के लिए-दीपावली की रात्रि या किसी शुभ मुहूर्त में तांबे की एक थाली में मंत्रसिद्ध सम्पूर्ण महालक्ष्मी यंत्र को स्थापित करें.

  • पंचामृत से अभिषेक करें. इसके बाद यंत्र को शुद्ध जल से स्नान करवाकर मक्खन से यंत्र का अभिषेक करें.

  • फिर यंत्र को शुद्ध जल से स्नान करवायें. इसके बाद चांदी की एक थाली में केसर और कुंकुंम द्वारा स्वास्तिक बनाकर उस पर यंत्र स्थापित करें.

  • फिर यंत्र पर केसर और कुंकुंम का तिलक करके अक्षत, रोली एवं पुष्प चढ़ा दें.

  • प्रसाद का भोग लगाकर ऊँ श्रीं हृंं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ऊँ श्रीं हृं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः. मंत्र की 11 माला का जप करें.


सुख, सौभाग्य, समृद्धि के लिए



  • सुख-सौभाग्य की वृद्धि के लिए-दीपावली के दिन सुबह नित्य क्रिया से निवृत्त होकर एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं.

  • फिर उस पर तांबे की एक थाली रखकर उसमें अभिमंत्रित तीन पारद मोती, सात लक्ष्मीदायक कौड़ियां तथा एक मंत्रसिद्ध लघु नारियल रख दें.

  • अब पूर्व दिशा की ओर मुंह करके हल्दी और कुंकुंम से पूजा करके पीले तथा लाल पुष्प चढ़ाएं। फिर ऊँ ऐं हृं क्लीं चामुण्डायै विच्चे.

  • मंत्र की 11 माला का जाप करें. यही प्रयोग दीपावली के दूसरे और तीसरे दिन भी करें.

  • फिर सभी सामग्री को उसी लाल कपड़े में अच्छी तरह लपेटकर पूजा घर में रख दें. अष्टमी के दिन उस पोटली को किसी नदी या तालाब में विसर्जित कर दें.


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