Chanakya Niti : ऐसी मुश्किलों से टकराना नहीं, हट जाना ही जीवन बचाने का गुर
कठिनाइयों से भागना नहीं, सामना करने से विजय मिलती है. मानसिक मनोदशा के हिसाब से ऐसे सूत्र सफलता के द्योतक हैं, लेकिन चार ऐसी बड़ी परेशानियां सामने आ जाएं तो डटे रहना बुद्धिमानी नहीं होगी.
Chanakya Niti : दैनिक जीवन में चाहे वह आर्थिकी हो या पारिवारिक स्थिति, हर जगह हमें संतुलन बनाने के लिए संघर्षरत रहना पड़ता है. ऐसी स्थिति प्रायः सभी की जिंदगी में आती है, लेकिन जीवन में कुछ आंतरिक और बाह्य कारण ऐसे भी बनते हैं, जिनसे निजात के लिए परिस्थिति का आकलन कर पीछे हटना ही समझदारी है.
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जीवन में वही व्यक्ति खुद को सुरक्षित रख सकता है, जो इन चार महत्वपूर्ण परिस्थितियों में खुद को हटा लें. इसमें शामिल हैं भयानक आपदा, भयंकर अकाल, पापी की संगत और अत्यंत कमजोर होने पर विनाशक विदेशी आक्रमण. भले ही कई विचारक इस विचार से सहमत हों कि विदेशी आक्रमण की सूरत में पीछे हटना कायरता होगी, लेकिन चाणक्य नीति कहती है कि जीवन बचाकर आप दोबारा ऐसे शत्रुओं के विनाश के लिए खुद को खड़ा करने में सक्षम हो सकते हैं ऐसे में जब मृत्यु सुनिश्चित दिख रही हो तो कदम पीछे खींच लेना ही योग्यता आंकी जाएगी.
इसी तरह भयानक आपदा में प्रकृति के साथ किसी भी तरह का टकराव घातक है. वहां अग्नि, जल, वायु और पृथ्वी से पनपे कष्टों के सामने अडिग होना मूर्खता ही मानी जाएगी. भयंकर अकाल में भी जब जीवन बचाने के लिए सामने कुछ ना दिख रहा हो तो खुद को हटा लेना ही सार्थक है.
अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण तथ्य किसी दुष्ट की संगति, जो न सिर्फ पापी हो बल्कि छल से लोगों से अन्याय करता हो, गलती पर भी अगर आप साथ हैं तो पाप के भागीदार बनेगे. इतना ही नहीं, वह दुष्ट भविष्य में आपके साथ छल नहीं करेगा, इस संकल्प तो वह खुद भी कभी नहीं ले पाएगा.
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