Significance of Pipal Tree: हिन्दू धर्म में पीपल का पेड़ या पौधा सबसे अधिक पूजनीय माना जाता है क्योंकि इस पेड़ के सभी हिस्से पर देवताओं का वास होता है. पीपल को विश्ववृक्ष, चैत्य वृक्ष और वासुदेव भी कहा जाता है. श्रीमद्भागवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण स्वयं कहते हैं कि ‘वृक्षों में मैं पीपल हूं’. पीपल के जड़ में ब्रह्मा जी, तने या मध्य भाग में भगवान विष्णु और पीपल के अग्र भाग में भगवान शिव वास करते हैं. वहीँ स्कन्द पुराण कहता है कि पीपल के जड़ में भगवान विष्णु, तने या मध्य भाग में केशव, शाखाओं में नारायण, पत्तों में भगवान श्रीहरि और फलों में सभी देवताओं का वास होता है.


अथर्ववेद और छान्दोग्योपनिषद् में पीपल के पेड़ के नीचे देवताओं का स्वर्ग बताया गया है. इसीलिए ऐसा माना जाता है कि जो कोई भी पूरे विधि-विधान और नियम पूर्वक पीपल की पूजा करता है उसकी सारी इच्छाएं पूरी होती हैं. जबकि जो कोई इन नियमों के तहत पीपल की पूजा नहीं करता है उसे जीवन भर कष्ट भोगना पड़ता है.


ऐसा करने से जीवन में मिलती है सफलता. ऐसा माना जाता है कि अमावस्या और शनिवार के दिन पीपल के पेड़ के नीचे हनुमान चालिसा का पाठ करने और शनिवार के दिन रात में पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाने से मनुष्य के जीवन में खुशहाली आती है और मनुष्य को सभी जगह सफलता भी मिलती है.


वहीँ ऐसा करने से जीवन में आती है कंगाली: जहां शनिवार के दिन पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाना बहुत शुभ माना जाता है वहीँ अगर यदि रविवार के दिन पीपल के पेड़ पर कोई जल चढ़ाता है तो उसके जीवन में कंगाली आ जाती है. इसलिए रविवार के दिन कभी भी पीपल के पेड़ पर जल नहीं चढ़ाना चाहिए.