बांसुरी भगवान श्रीकृष्ण की प्रतीक हैं. बांसुरी बजाते भगवान श्रीकृष्ण की छवि युगों-युगों से भक्तों को मन मोह रही है. हालांकि बहुत कम लोग यह जानते हैं कि श्रीकृष्ण को बांसुरी किसने दी थी. आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे.
भगवान विष्णु ने द्वापर युग में जब भगवान श्रीकृष्ण के रूप में धरती पर अवतार लिया था. भगवान श्रीकृष्ण को देखने के लिए देवी-देवता अलग-अलग भेष बदलकर धरती पर आने लगे लेकिन.
ऐसे में भगवान शिव भी श्रीकृष्ण से मिलने के लिए सोचने लगे लेकिन उनके मन में सवाल उठा कि वह श्रीकृष्ण के लिए ऐसा क्या उपहार लेकर जाएं तो उन्हें प्रिय लगे और जिसे वह अपने साथ भी रखे.
शिव को ध्यान आया कि उनके पास ऋषि दधीचि की महाशक्तिशाली हड्डी पड़ी है. फिर क्या था शिव जी ने उस हड्डी को घिसकर एक सुंदर बांसुरी बना ली. इसके बाद भगवान शिव गोकुल पहुंचे और उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण से भेंट की. भगवान शिव ने यह बांसुरी श्रीकृष्ण को भेंट में दी.
बता दें ऋषि दधीचि ने धर्म की रक्षा के लिए लिए अपने शक्तिशाली शरीर की सभी हड्डियां दान कर दी थी. भगवान विश्वकर्मा ने इन हड्डियों की मदद से ही तीन धनुष- पिनाक, गांडीव, शारंग का निर्माण किया था. विश्वकर्मा ने इंद्र के लिए व्रज का निर्माण भी ऋषि दधीचि की हड्डियों की मदद से किया था.
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