Vastu Tips: वास्तु में गृहिणी और रसोई का एक संबंध है. तभी गृहिणी को हाउस मेकर भी कहा जाता है। कई लोग विनोद में पत्नी को या गृहिणी को घर की होम मिनिस्टर भी कहते हैं, दरअसल ऐसा है भी क्योंकि गृहणी घर को सीधा प्रभावित करती है. गृहिणी का संबंध घर के पूरब और दक्षिण के मध्य आग्नेय कोण से होता है. अग्नि कोण को विश्वकर्मा जी ने अग्नि तत्व प्रधान बताया है. यह स्थान ग्रहों में शुक्र का स्थान है और शुक्र का सीधा संबंध गृहिणी से है. यहीं पर विश्वकर्मा जी ने रसोई बनाने का प्रावधान किया है. यह रसोई कोई सामान्य चीज नहीं है, बल्कि घर का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है. यहां भोजन बनता है, अग्नि देवता यहां प्रकट होते हैं और सभी के लिए अन्न पकाते हैं. अग्नि तत्व को कंट्रोल करने वाली गृहिणी होती है, इसलिए गृहिणी का वास्तु से गहरा संबंध है.
व्यक्ति पहले रसोई में ही आकर भोजन करता था धीरे-धीरे समय बदला और आज अग्नि की लौ रसोई से समाप्त हो रही है. माइक्रोवेव और इंडक्शन आ गए जिससे अग्नि लौ रूप में अदृश्य होने लगी, यानि फ्लेम लेस किचन होने लगा.. गृहिणी का सीधा संबंध रसोई से है. अग्नि तत्व की कंट्रोलिंग गृहिणी द्वारा कि जाती है, और वह पूरे घर का मैनेजमेंट चलाती है. जब बात पूरे घर की है तो उसमें करियर, समाज एवं परिवार सभी समाहित है.
जो महिलाएं बाहर की जिम्मेदारी निभाती हैं और घर वापस आकर प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से रसोई का भी नेतृत्व करती हैं इससे यह स्पष्ट होता है, की गृहिणीओं का प्रबंधन सर्वश्रेष्ठ है.
इस बदलते दौर में जहां एक और भोजन बाहर से मंगाने का चलन बढ़ रहा है, तो वहीं दूसरी ओर कंपनियां बाहर से आप खाना मंगाए इसके लिए वह लुभा रही है, ऐसा होने से घर में अग्नि तत्व कि उपयोगिता कम होती जा रही है और अग्नि कोण या घर में भोजन न बनना या कम बनना गृहिणी और वास्तु के मध्य एक असंतुलन सा बनाता है.
अग्नि कोण का औचित्य और उपयोग कम होता चला जाएगा तो इसका सीधा असर मन व स्वास्थ्य पर पड़ेगा और वास्तु पुरुष भी डिस्टर्ब होगा, क्योंकि अग्नि को ही ऊर्जा का निर्माण करने वाला और इस ऊर्जा के निर्माण करने का कार्य वास्तु में शुक्र और अग्नि देव का है और यह शुक्र ही घर की गृहिणी का कारक है. घर की गृहिणी को परंपरा और वर्तमान देश काल परिस्थिति दोनों को साथ लेकर चलना होता है जो कि बिना कुशल प्रबंधन के संभव नहीं है.
गृहिणियों के लिए एक उपाय है कि जो महिलाएं कर्मक्षेत्र में भी एक्टिव हैं, उनको रसोई में समय देना संभव नहीं हो पा रहा है और साथ में घर में भोजन बनाने वाली सहयोगी भी लगी हैं तो बस यह अवश्य ध्यान रखें कि भले ही प्रत्यक्ष रूप से आप भोजन निर्माण न कर पाएं लेकिन वहां का प्रबंधन देखना चाहिए. जैसे- मेड को क्या खाना बनाना है कितना और किस तरह से बनाना है आदि सब पर नियंत्रण रखना होगा, इसके साथ ही यह भी बात बहुत ध्यान रखनी है कि अन्न देवता की बर्बादी न हों इससे उनकी वृद्धि और समृद्धि होगी.
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