Durga Puja 2020 : जानें क्या है दुर्गा बलिदान और उसका महत्व, कब होगी सिंदूर खेला की रस्म?
नवरात्रि के छठें दिन से इसका आगाज़ हो जाता है और विजयादशमी तक इसकी रौनक देखते ही बनती है. इस बार की दुर्गा पूजा का शुभारंभ भी हो चुका है. मां की मूर्ति स्थापना से शुरू होने वाला यह त्यौहार मां की विदाई होने तक पूरे जोर-शोर से मनाया जाता है.
मां के सबसे प्रसिद्ध पर्व दुर्गा पूजा का आगाज़ हो चुका है. हिंदू पंचांग के मुताबिक हर साल शारदीय नवरात्रि में मां के स्वागत में ये उत्सव धूमधाम से मनाया जाता है. नवरात्रि के छठें दिन से इसका आगाज़ हो जाता है और विजयादशमी तक इसकी रौनक देखते ही बनती है. इस बार की दुर्गा पूजा का शुभारंभ भी हो चुका है. मां की मूर्ति स्थापना से शुरू होने वाला यह त्यौहार मां की विदाई होने तक पूरे जोर-शोर से मनाया जाता है. इसी दौरान दुर्गा बलिदान और सिंदूर खेला की रस्म भी निभाई जाती हैं. लेकिन आखिरकार इन रस्मों का महत्व क्या है... अपनी इस रिपोर्ट में हम आपको यही बताने जा रहे हैं.
क्या होता है दुर्गा बलिदान ?
दुर्गा बलिदान की रस्म नवमी के दिन निभाई जाती है. पहले समय में इसका संबंध पशु बलि से था लेकिन आज के दौर में लोग इसकी जगह सब्ज़ियों के साथ सांकेतिक बलि देकर इस रस्म की अदायगी करते हैं. नवरात्रि नवमी के दिन इस प्रथा का पालन पूरे विधि विधान के साथ किया जाता है.
सिंदूर खेला व सिंदूर उत्सव
वहीं दुर्गा बलिदान के अलावा दुर्गा पूजा के इस पर्व में सिंदूर खेला की रस्म भी निभाई जाती है. जो मां की विदाई यानि मां की मूर्ति के विसर्जन से ठीक पहले होती है. इस रस्म को सिंदूर उत्सव भी कहा जाता है. खासतौर से ये उत्सव बंगाल में मनाया जाता है. इस उत्सव में सुहागिनें हिस्सा लेती हैं. शुरुआत मां दुर्गा को पान का पत्ता अर्पित करने से होती है. जिसके बाद मां की प्रतिमा को सिंदूर लगाया जाता है. और इस उत्सव की शुरुआत हो जाती है. महिलाएं एक दूसरे के गालों पर सिंदूर लगाकार ये खेल खेलती है और एक दूसरे को लंबे सुहाग की शुभकामनाएं भी देती हैं।
मायके से ससुराल के लिए मां को दी जाती है विदाई
दुर्गा पूजा के साथ मान्यता ये जुड़ी है कि इन दिनों मां दुर्गा अपने मायके आती हैं और पांच दिन यहां पर खूब विश्राम करने के बाद दसवें दिन वे ससुराल वापस लौटती हैं...और उनके ससुराल जाने के दिन ही सिंदूर खेला होता है.
दुर्गा पूजा 2020 की महत्वपूर्ण तिथियां
इस बार के दुर्गा पूजा पर्व का शुभारंभ हो चुका है. जिसके मुताबिक -
- 21 अक्टूबर को मां दुर्गा को निमंत्रण देने के साथ साथ उन्हें स्थापित किया गया
- 22 अक्टूबर के दिन नवपत्रिका पूजा
- 23 अक्टूबर के दिन मां का षोडशोचार पूजन होगा
- 24 अक्टूबर को दुर्गा अष्टमी व कन्या पूजा होगा
- 25 अक्टूबर को महानवमी, दुर्गा बलिदान, विजयदशमी
- 26 अक्टूबर के दिन सिंदूर खेला की रस्म के साथ मां को विदाई दी जाएगी.