Durga puja 2022 Kalparambha: दुर्गा पूजा आज से शुरू, जानें पहले दिन कल्पारम्भ पूजन का मुहूर्त और महत्व
Durga puja 2022: दुर्गा पूजा 1 अक्टूबर 2022 से शुरू हो गई. अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को दुर्गा पूजा का आरंभ कल्पाम्भ परंपरा से होता है. जानते हैं कल्पारम्भ पूजा का महत्व.
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Durga puja 2022 Kalparambha: देश के अलग-अलग राज्यों में नवरात्रि विभिन्न प्रकार से मनाई जाती है. नवरात्रि बंगाल का महत्वपूर्ण त्योहार है. बंगाली समुदाय की दुर्गा पूजा 1 अक्टूबर 2022 से शुरू हो गई. अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को दुर्गा पूजा का आरंभ कल्पारम्भ परंपरा से होता है. ये बाकी राज्यों में बिल्व निमंत्रण पूजन और अधिवास परंपरा के समान है. आइए जानते हैं कल्पारम्भ पूजा का महत्व.
कल्पारम्भ पूजा 2022 मुहूर्त (Kalparambha Puja 2022 muhurat)
हिंदू पंचांग के अनुसार अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि 30 सिंतबर 2022 को रात 10 बजकर 34 मिनट से शुरू होगी. षष्ठी तिथि का समापन 1 अक्टूबर 2022 को 8 बजकर 46 मिनट पर होगा. कल्पारम्भ पूजा सुबह के शुभ मुहूर्त में की जाती है. बंगाल में इस दिन मां दुर्गा की प्रतिमा से पर्दा हटाया जाता है.
- ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04:43 - सुबह 05:31
- अभिजित मुहूर्त - सुबह 11:53 - दोपहर 12:40
- विजय मुहूर्त- दोपहर 02:15 - दोपहर 03:03 पी एम
- गोधूलि मुहूर्त- शाम 06:02 - शाम 06:26
रवि योग- 1 अक्टूबर 2022, सुबह 06:19 - 2 अक्टूबर 2022 सुबह 03:11
कल्परम्भ और अकाल बोधन पूजा महत्व (Kalparambha Importance)
कल्पारम्भ, पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा अनुष्ठानों के शुभारंभ का प्रतीक है. इस परंपरा को अकाल बोधन भी कहते हैं. धर्म ग्रंथों के अनुसार अकाल बोधन का अर्थ है मां दुर्गा का असामयिक अव्हाना यानी कि देवी मां को असमय निंद्रा से जगाना. चातुर्मास शुरु हो जाने पर सभी देवी-देवका दक्षिणायान काल में निंद्रा अवस्था में होते हैं. ऐसे में देवी को जागृत कर उनकी पूजा करने का विधान है. दुर्गा पूजा के दौरान कल्पारम्भ अनुष्ठान और नवरात्रि के समय प्रतिपदा तिथि पर किये जाने वाला घटस्थापना प्रतीकात्मक रूप से समान होते हैं.
श्रीराम ने किया था मां दुर्गा का अकाल बोधन
मान्यता है कि भगवान राम ने सीता को रावण के चुंगल से छुड़ाने के लिए मां दुर्गा का अकाल बोधन अनुष्ठान किया था. कहते हैं कि भगवान राम के मां अंबे के इस असामयिक आवाहन से शारदीय नवरात्रि और दुर्गा पूजा की परंपरा शुरू हुई थी.
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