Durga Puja 2024: दुर्गा पूजा 2024 में कब ? कल्परंभ से सिंदूर खेला तक क्या है इन परंपरा का महत्व, डेट जानें
Durga Puja 2024: दुर्गा पूजा बंगाली समुदाय का अहम त्योहार है, जो नवरात्रि की षष्ठी तिथि से दशमी तक चलता है. इस साल दुर्गा पूजा कब शुरू हो रही है, कल्परंभ, बिल्व निमंत्रण, नवपत्रिका पूजा की डेट जानें.
Durga Puja 2024: मां के भक्तों का पवित्र शारदीय नवरात्रि का महापर्व आरंभ होने जा रहा है. ये पर्व शरद ऋतु में आता है इसलिए इसका नाम शारदीय नवरात्रि पड़ा. नवरात्रि के आरंभ में घट स्थापना होती है, जो एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है. इसके साथ ही नवरात्रि में अखंड ज्योति जलाना, ज्वारे भी बोए जाते हैं.
शारदीय नवरात्रि वैसे तो पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है लेकिन गुजरात और बंगाल में इसकी रौनक अलग ही होती है. बंगाल में दुर्गा पूजा उत्सव मनाते हैं. आइए जानते हैं इस साल दुर्गा पूजा 2024 में कब से शुरू हो रही है, इसकी परंपरा कौन सी हैं.
दुर्गा पूजा 2024 कब से शुरू ? (Durga Puja 2024 Date)
इस साल 9 अक्टूबर 2024 से शुरू होगी और इसकी समाप्ति 12 अक्टूबर को विजयादशमी पर होगी. दुर्गा पूजा दुर्गा पूजा बंगाली समुदाय का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण त्योहार है. दुर्गा पूजा में षष्ठी, महासप्तमी, महाअष्टमी, महानवमी और विजयादशमी तिथि का विशेष महत्व है. दुर्गा पूजा शारदीय नवरात्रि की षष्ठी से दशमी यानी 5 दिन तक चलती है.
दुर्गा पूजा के हर दिन का महत्व (Durga puja traditions)
कल्परंभ (Kalparambh) - 9 अक्टूबर 2024
शास्त्रों के अनुसार कल्परंभ के दिन देवी दुर्गा, मां सरस्वती और देवी लक्ष्मी कार्तिकेय-गणेश जी के साथ धरती पर आती हैं. कल्पारम्भ पूजा सुबह के शुभ मुहूर्त में की जाती है. बंगाल में इस दिन मां दुर्गा की प्रतिमा से पर्दा हटाया जाता है. कल्पारम्भ के अनुष्ठान अन्य राज्यों में मनाये जाने वाले बिल्व निमन्त्रण के समान है.
बिल्व निमंत्रण (Bilva nimantran) - 8 अक्टूबर 2024
- बिल्व निमन्त्रण मुहूर्त - दोपहर 03.39 - शाम 05.59
देवी दुर्गा को बिल्व वृक्ष अथवा कलश में निवास करने के लिये आमन्त्रित किया जाता है. देवी दुर्गा को आमन्त्रित करने के इस अनुष्ठान को आमन्त्रण के रूप में जाना जाता है. सांयकाल और षष्ठी का संयोग बिल्व पूजा के लिए सबसे उपयुक्त समय है.
नवपत्रिका पूजा (Navpatrika puja) - 10 अक्टूबर 2024
- नवपत्रिका के दिन अरुणोदय - सुबह 05:5
नवपत्रिका पूजा दिवस को महा सप्तमी के रूप में भी जाना जाता है. महा सप्तमी के दिन, देवी दुर्गा को नौ पौधों के एक समूह में आमन्त्रित किया जाता है, जिन्हें नवपत्रिका कहा जाता है. इस दिन देवी को महास्नान भी कराया जाता है.
सिंदूर खेला (Sindoor khela) - 12 अक्टूबर 2024
ये दिन दुर्गा पूजा का आखिरी दिन होता है. इस दिन सुहागिनें माता को लाल सिंदूर अर्पित कर, विवाहिता को सिंदूर लगाती हैं. मान्यता है इससे अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है.
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