Durga saptashati path Vidhi : एक दिन में करना चाहते हैं दुर्गा सप्तशती का पाठ, तो ये है संपूर्ण विधि
दुर्गा सप्तशती का पाठ बेहद ही चमत्कारिक माना गया है. जिससे हर मुराद पूरी हो जाती है. इसीलिए अगर साधक अपनी किसी विशेष इच्छा की पूर्ति चाहता है तो इसका पाठ किया जा सकता है. लेकिन ज़रुरी है कि पाठ पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ किया जाए. अगर आप एक ही दिन में इसका पाठ करना चाहते हैं तो उसकी विधि हम आपको बता रहे हैं.
नवरात्रि पर्व के मौके पर मां दुर्गा का स्मरण काफी पुण्यदायी माना जाता है. चाहे वो स्मरण किसी भी रूप में किया जाए. ऐसे में कई लोग इस पर्व के दौरान दुर्गा सप्तशती का पाठ करने के इच्छुक होते हैं. क्योंकि बिना दुर्गा सप्तशती के पाठ के मां की उपासना अधूरी मानी जाती है. ऐसे में अगर आप भी इसका पाठ करना चाहते हैं वो भी केवल एक ही दिन में तो उसकी संपूर्ण विधि हम आपको बताते हैं.
दुर्गा सप्तशती का पाठ बेहद ही चमत्कारिक माना गया है. जिससे हर मुराद पूरी हो जाती है. इसीलिए अगर साधक अपनी किसी विशेष इच्छा की पूर्ति चाहता है तो इसका पाठ किया जा सकता है. लेकिन ज़रुरी है कि पाठ पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ किया जाए. अगर आप एक ही दिन में इसका पाठ करना चाहते हैं तो उसकी विधि हम आपको बता रहे हैं. हालांकि ये थोड़ा सा मुश्किल हो सकता है लेकिन श्रद्धा और विश्वास से कोई चीज़ की जाए तो सब मुमकिन है. चलिए सबसे पहले इस विधि को जानिए-
एक दिन में दुर्गा सप्तशती के पाठ की विधि
पहला है प्रोक्षण - इसमें अपने ऊपर नर्मदा जल छिड़का जाता है
दूसरा है आचमन
तीसरा है संकल्प
चौथा है उत्कीलन
पाचवां है शापोद्धार
छठा है कवच
सातवां है अर्गला स्तोत्र
आठवां है कीलक
नौवा है सप्तशती के 13 अध्यायों का पाठ
दसवां है मूर्ति रहस्य
ग्यारहवा है सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ
और बारहवीं प्रक्रिया है क्षमा प्रार्थना
इस विधि से आप एक ही दिन में दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं लेकिन कुछ लोगों के लिए ये मुमकिन नहीं होता कि एक ही दिन में पूरा पाठ कर लिया जाए. उन्हें किसी विधि से इसका श्रवण या पाठ करना चाहिए. उसका तरीका इस प्रकार है -
ये है दुर्गा सप्तशती पाठ की विशेष विधि
दुर्गा सप्तशती को तीन चरित्रों में बांटा जाता है. जिसके मुताबिक पहले अध्याय को प्रथम चरित्र, दूसरे, तीसरे और चौथे अध्याय को मध्यम चरित्र और पाचवें से लेकर तरहवें अध्याय को उत्तम चरित्र कहा जाता है. जिसका पाठ 9 दिनों में इस विशेष विधि से संपन्न किया जा सकता है.
प्रथम दिवस- 1 अध्याय
द्वितीय दिवस- 2 व 3 अध्याय
तृतीय दिवस- 4 अध्याय
चतुर्थ दिवस- 5, 6, 7, 8 अध्याय
पंचम दिवस- 9 व 10 अध्याय
छठा दिवस- 11 अध्याय
सप्तम दिवस- 12 व 13 अध्याय
अष्टम दिवस- मूर्ति रहस्य, हवन व क्षमा प्रार्थना
नवम दिवस- कन्याभोज