महाभारत के बीच पांडवों को लड़ना पड़ा था एक और युद्ध
अश्वत्थामा ने शिवजी से मिली तलवार से ली थी पांडवों के बच्चों की जान. भोलेनाथ ने दी थी युद्ध के दौरान पांडवों के शिविर में प्रवेश की अनुमति. महादेव के श्राप के चलते कलियुग में भी जन्म लेकर करना पड़ा प्रायश्चित.
महाभारत युद्ध भले ही 18 दिन में खत्म हो गया था, लेकिन इसमें विजय से पहले पांचों भाइयों को महादेव शिवजी से भी युद्ध को मजबूर होना पड़ा. हालांकि इसके चलते उन्होंने भोलेनाथ का श्राप भी झेला और कलियुग में फिर पांचों को जन्म लेना पड़ा.
कहा जाता है कि महाभारत युद्ध में गुरु द्रोणाचार्य की वीरगति के बाद कौरव सेना का खात्मा होने की नौबत आ गई तो बदहवास अश्वत्थामा पांडवों को मिटाने के लिए रात के अंधेरे में उनके शिविर में आ धमका. यहां उसके साथ कृतवर्मा और कृपाचार्य भी गए. इन्होंने मन ही मन भगवान शिव की आराधना कर प्रसन्न कर लिया तो शिव ने उन्हें शिविर में प्रवेश की आज्ञा दे दी. अश्वत्थामा ने अंदर घुसते ही शिवजी से प्राप्त तलवार से पांडवों के सभी पुत्रों का वध कर दिया. इसका पता पांडवों को पता चला तो वे शोक में डूब गए. प्रतिशोध की आग में जलते हुए वे भगवान शिव से युद्ध के लिए पहुंच गए.
यहां शिवजी से आमना-सामना होते ही उनके सभी अस्त्र-शस्त्र महादेव में समा गए. अब निढाल हो चुके पांडवों से शिवजी ने कहा कि तुम सभी श्रीकृष्ण उपासक हो, इसलिए इस जन्म में तो नहीं, लेकिन इस अपराध का फल कलियुग में फिर जन्म लेकर भोगना पड़ेगा. दुखी पांडव राहत के लिए श्रीकृष्ण के पास पहुंचे तो श्रीकृष्ण ने हाथ खड़े कर दिए, लेकिन बताया कि कलियुग में कौन सा भाई कहां और किसके घर पैदा होगा.
शिरीष नरेश बने युधिष्ठिर
युधिष्ठिर का जन्म राजा वत्सराज के बेटे के रूप में हुआ. उनका नाम बलखानि (मलखान) था और वह शिरीष नगर के शासक बने. भीम वीरण में जन्मे जो आगे चलकर वनरस यानी बनारस बना, वह यहां राजा भी बने. अर्जुन ब्रह्मानन्द नाम से परिलोक राजा के घर जन्मे. वे शिवभक्त थे. नकुल कान्यकुब्ज के राजा रत्नभानु के यहां जन्मे, इनका नाम लक्ष्मण था. पांचवे भाई सहदेव ने राजा भीमसिंह के घर देवीसिंह के नाम से जन्म लिया.
धृतराष्ट्र की बेटी बनकर जन्मीं द्रौपदी
पांडवों के अलावा दानवीर कर्ण ने राजा तारक के रूप में जन्म लिया. इसी रह धृतराष्ट्र का जन्म अजमेर में पृथ्वीराज के रूप में हुआ. द्रौपदी उनकी बेटी वेला के रूप में जन्मीं.
श्रीकृष्ण भी ऊदल बन अंश रूप में आए
कहा जाता है कि कलियुग में जन्मे सभी पांडवों की रक्षा के लिए कृष्ण ने भी महावती नगरी में देशराज के पुत्र रूप में अपना अंश रूप उत्पन्न किया. इसे जगत उदयसिंह (ऊदल) के नाम से जाना जाता है.