Duryodhana: दुर्योधन को महाभारत (Mahabharat) का खलनायक माना जाता है. महाभारत युद्ध दुर्योधन के कारण ही हुआ था. महाभारत के अनुसार, दुर्योधन को उसके पूर्व जन्म में कलयुग का अंशावतार बताया गया है जो पूरी तरह से कुकर्मों में लीन था और बुराइयां उसके अंदर समाहित थीं, इसलिए वह दुष्ट प्रवृत्ति का था.
कहते हैं कि जब दुर्योधन का जन्म होने वाला था उसी वक़्त प्रकृति ने यह इशारा कर दिया था कि इस बालक का जन्म अपशकुन से कम नहीं हैं. आइए जानते हैं दुर्योधन के जन्म के समय कौन सी क्या क्या घटनाएं हुईं थी.
दुर्योधन के पैदा होने की कहानी चौंका देगी (Duryodhana Birth Katha in Hindi)
हस्तिनापुर (Hastinapur) के उतराधिकारी के लिए पांडू (Pandu) और धृतराष्ट्र (Dhritrashtra) चाहते थे कि उनका पुत्र इस राज्य का राजा बने पर दोनों में से जिसका पुत्र पहले होगा वही राज गद्दी संभालेगा. संयोंग से दोनों की पत्नियां कुंती (Kunti) और गांधारी (Gandhari) गर्भवती हुई पर पांडु की पत्नी कुंती को पहले संतान प्राप्त हो गई, ये बालक युधिष्ठिर (Yudhishthir) था. इस बात से गांधारी बहुत क्रोधित हुई
गांधारी के पेट से नहीं ऐसे हुआ दुर्योधन का जन्म
गांधारी को सौ पुत्रों के जन्म का वरदान था. उसने दूसरी गर्भ धारण किया. इस बार भी कोई संतान नहीं हुई. इसके बाद क्रोध में गांधारी ने अपनी दासी से अपने पेट पर प्रहार करने को कहा. इसके बाद गंधारी के गर्भ से एक मांस का एक भूर्ण गिर गया.
महर्षि व्यास ने गांधारी को समझाया और गर्भ से निकले भाग के 101 भागों में बांट कर घी से भरे घड़ों में रखवा दिया. इस क्रिया से ही गांधारी के सौ कौरव पैदा हुए. सबसे पहले घड़े से जो बालक प्राप्त हुआ था उसका नाम दुर्योधन रखा गया.
दुर्योधन के जन्म पर हुई ये अशुभ घटना
जन्म लेते ही दुर्योधन गधे की तरह रेंकने लगा. दुर्योधन पैदा होते ही बोलने लगा, उसके बाद राजमहल के आसपास गधे, गीदड़, गिद्ध और कौए भी चिल्लाने लगे, आंधी चलने लगी. शियार जोर जोर से रोने लगे. उल्लू शोर मचाने लगे. कई स्थानों पर आग लग गई, काले बादल छा गए.
यह देखकर विदुर ने राजा धृतराष्ट्र से कहा कि आपका यह पुत्र निश्चित ही कुल का नाश करने वाला होगा, इसका त्याग करने में ही सबकी भलाई है लेकिन पुत्रमोह में धृतराष्ट्र ने ऐसा नहीं किया और आगे चलकर यही महाभारत युद्ध का कारण बना.
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