Dussehra 2024: मृत्युशय्या पर अंतिम सांसे गिन रहे रावण के पास भगवान राम ने लक्ष्मण को क्या लेने के लिए भेजा था
Dussehra 2024: विष्णु के सातवें अवतार में जन्म लेकर मर्दाया पुरुषोत्तम राम ने अपनी मानवीय लीलाओं से विश्वास दिलाया कि धर्म की हमेशा जीत होती है.आज भी इसी विश्वास के साथ हर साल रावण दहन किया जाता है.
Dussehra 2024 Ravan Updesh: दशहरा पर जगह-जगह रामलीला (Ramleela) का आयोजन किया जाता है, जिसमें रावण को रणक्षेत्र में मृत्युशय्या पर शयन अवस्था में और भगवान राम की विजय लीला देख लोग खूब प्रसन्न होते हैं और उत्साह से तालियां बजाते हैं.
यह खुशी केवल रावण के अंत की नहीं बल्कि अधर्म, असत्य और अन्याय के अंत की भी है. मानव रूप में जन्म लेकर अवतारी प्रभु राम ने कई लीलाएं दिखाईं और रावण का वध कर उन्होंने यह विश्वास दिलाया कि अधर्म चाहे कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो, जीत हमेशा सत्य की ही होती है.
रावण में थे ये गुण
दशानन रावण राक्षस कुल का राजा था. वह भले ही अत्यंत दुराचारी था, लेकिन उसके समान शक्तिशाली दुनिया में दूसरा कोई नहीं था. रावण अत्यंत बलशाली, महापराक्रमी योद्धा, परम शिव भक्त, वेदों का ज्ञाता और पंडित था. वह ब्रह्मा ज्ञानी और बहु-विद्याओं का जानकार था. कहा जाता है कि रावण तंत्र, सम्मोहन, इंद्रजाल और जादू भी जानता था.
राम ने लक्ष्मण को रावण के पास क्यों भेजा
भगवान राम ने उसका वध किया. लेकिन वे इस बात को जानते थे कि रावण के समान विद्वान और महाज्ञानी इस संसार में दूसरा कोई नहीं है. इसलिए रावण मृत्युशय्या पर जब अपनी अंतिम सांसे गिन रहा था, तब भगवान राम ने लक्ष्मण को उसके पास जाकर ज्ञान प्राप्त करने को कहा. रामजी ने लक्ष्मण कहा कि, रावण द्वारा दिया गया जीवन का अहम ज्ञान तुम्हें और कोई नहीं दे सकता.
आज के समय में भी रावण द्वारा बताई गई ये बातें बहुत काम आती हैं. इसलिए रावण ने लक्ष्मण जी को जो उपदेश दिए वह आपको भी जरूर जानना चाहिए. यह जीवन में आपके बहुत काम आएगी.
रावण के उपदेश (Ravan Teaching Advice)
- शुभ काम में देरी नहीं: अंतिम सांसे गिन रहे रावण ने लक्ष्मण से कहा कि शुभ या अच्छे काम को करने के लिए कभी भी देरी नहीं करनी चाहिए. वहीं दूसरी ओर अशुभ काम को जितना हो सके उतना टालना अच्छा होता है.
- बुद्धि भ्रष्ट करता है अहंकार: जब कोई व्यक्ति अहंकार से भरा होता है तो उसकी बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है. रावण ने लक्ष्मण से कहा कि अहंकार में व्यक्ति को इतना अंधा नहीं होना चाहिए कि उसे अपना शत्रु ही कमजोर लगने लगे. दरअसल रावण को ब्रह्मा जी से अमरता का वरदान प्राप्त था. ऐसा वरदान प्राप्त कर रावण को बहुत घमंड हो गया और वह दूसरों को तुच्छ समझने लगा. उसे लगा मानव और वानरों की सेना उसका क्या उखाड़ पाएगी. जबकि उसकी यही भूल उसकी मृत्यु का कारण बनी.
- शत्रु और मित्र के बीच पहचान करना: जीवन में आप तभी सफल हो सकते हैं जब आप शत्रु और मित्र के बीच पहचान करना सीख लें. कई बार आप शत्रु को मित्र और मित्र को शत्रु समझकर ऐसी गूढ़ रहस्यों को बता देते हैं जो आपका ही नुकसान करा सकती है. रावण ने लक्ष्मण से कहा, विभीषण जब लंका गया तब वह मेरा शुभेच्छु था लेकिन जब वह राम की शरण में गया तो मेरे विनाश का कारण बन गया.
- पराई स्त्री पर बुरी नजर न रखें: रावण ने मृत्युशय्या पर उपदेश देते हुए लक्ष्मण से कहा कि किसी भी पराई स्त्री पर बुरी नजर नहीं रखनी चाहिए. जो ऐसा करता है उसका नष्ट होना निश्चित है.
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