Dussehra 2021 Puja Vidhi: दशहरा पूजा के लिए ये शुभ मुहूर्त है सबसे उत्तम, जानें शस्त्र पूजा मुहूर्त, मंत्र और विधि
Dussehra Vijayadashami 2021: दशहरा या विजयादशमी का त्योहार हर साल अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है. कहा जाता है कि इस तिथि को भगवान राम ने रावण का वध किया था.
![Dussehra 2021 Puja Vidhi: दशहरा पूजा के लिए ये शुभ मुहूर्त है सबसे उत्तम, जानें शस्त्र पूजा मुहूर्त, मंत्र और विधि Dussehra Vijayadashami 2021 puja vidhi shubh muhurat puja mantra time and shastra puja Dussehra 2021 Puja Vidhi: दशहरा पूजा के लिए ये शुभ मुहूर्त है सबसे उत्तम, जानें शस्त्र पूजा मुहूर्त, मंत्र और विधि](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2021/10/14/38e1f35d486a721f832f0ad86a3fdf9a_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Dussehra Vijayadashami 2021 Puja: दशहरा का पर्व आज 15 अक्टूबर को पूरे देश में मनाया जा रहा है. इस अवसर पर बुराई के प्रतीक रावण का दहन किया जाता है. दशहरा पर्व को विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन दशहरा पूजा के साथ अस्त्र-शस्त्र की पूजा का विधान है. कहा जाता है कि इस दिन शस्त्र पूजा से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है. इस बार दशहरा पूजा के लिए 3 शुभ संयोग का निर्माण हो रहा है. आइए जानें दशहरा पूजा के उत्तम शुभ मुहूर्त, मंत्र और पूजा विधि.
दशहरा पूजा मुहूर्त: विजयादशमी या दशहरा पूजा के लिए शुभ मुहूर्त आज 15 अक्टूबर को दोपहर बाद 01:16 से 03:34 बजे तक रहेगा. दशहरा पूजा के लिए सबसे उत्तम शुभ मुहूर्त यानी विजय मुहूर्त आज दोपहर बाद 02:02 बजे से 02:48 बजे तक रहेगा. इस मुहूर्त में पूजा करना उत्तम फलदायी होगा.
दशहरा या विजयादशमी 2021 शस्त्र पूजा मुहूर्त
दशहरा के पावन पर्व पर शस्त्र पूजा करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. शस्त्र पूजा विजय मुहूर्त में करने का विधान है. विजयदशमी पर यह मुहूर्त दोपहर बाद 02:02 बजे से 02:48 बजे तक है. इस लिए इस शुभ मुहूर्त में आप शस्त्र पूजा कर सकते हैं.
दशहरा पूजा विधि
दशहरा की पूजा अभिजीत, विजयी या अपराह्न काल में करना उत्तम माना जाता है. इस पूजा के लिए घर के ईशान कोण पर 8 कमल की पंखुडियों से अष्टदल चक्र बनाएं. अष्टदल चक्र के बीच में ‘अपराजिताय नमः’ मंत्र लिखें और वहीं पर माता दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करें. अब मां जया को दाईं तरफ और मां विजया को बाईं तरफ स्थापित करें. ॐ क्रियाशक्त्यै नमः और उमायै नमः मंत्र से आह्वान करें. अब मां की विधि पूर्वक पूजा करते हुए पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, आभूषण, गन्ध, पुष्प, धूप, दीप , नैवेद्य आचमन ताम्बूल अर्पित कर तर्पण करें. इसके बाद स्तवन पाठ करें और नमस्कार करते हुए आरती करें. अंत में पुनः हाथ जोड़कर नमस्कार करते हुए पूजा समाप्त करें.
यह भी पढ़ें:-
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)