Dussehra Vijayadashami 2024: दशहरा या विजयादशी के पर्व को भारतवर्ष में बुराई (अधर्म) पर अच्छाई (धर्म) की जीत के तौर पर जश्न के रूप में मनाया जाता है. विजयादशी का पर्व रावण की मृत्यु के साथ ही अन्याय का भी अंत है.
दशहरा हिंदू धर्म (Hindu Dharm) के महत्वपूर्ण पर्व-त्योहारों में है, जिसे पंचांग (Panchang) के अनुसार हर साल आश्विन मास शुक्ल पक्ष के दसवें दिन मनाया जाता है. इस साल दशहरा 12 अक्टूबर 2024 को है. दशहरा का पर्व इस बात की याद दिलाता है कि अधर्म या अन्याय चाहे कितने भी शक्तिशाली क्यों न हो जीत हमेशा धर्म और सत्य की ही होती है.
दशहरा का पर्व अधर्म पर धर्म की जीत के साथ ही राम-रावण के युद्ध (Ram-Ravan Yudh) की भी याद दिलाता है. रावण को धार्मिक ग्रंथों में अत्यंत दुराचारी, असुर, दैत्य, अत्याचारी आदि जैसे रूपों में वर्णित किया गया है. लेकिन इसी के साथ रावण प्रकांड पंडित, महाज्ञानी, राजनीतिज्ञ, महाप्रतापी, पराक्रमी योद्धा, विद्धान, शिवभक्त और एक महान योद्धा भी थी, जिसे पराजित करना सभी के लिए लगभग असंभव था. लेकिन रावण का अंत भगवान राम के हाथों होना तय था. आइये जानते हैं आखिर कितने तीर लगने के बाद हुआ रावण का अंत.
कितने तीर खाने के बाद हुआ रावण का अंत
श्रीरामचरितमानस (Ramcharitmanas) के अनुसार भगवान राम ने रावण को मारने के लिए 31 बाण चलाए थे. इन 31 बाणों में 1 बाण रावण के नाभि पर लगा था, 10 बाण से उसके 10 सिर अलग हुए और 20 बाण से उसके हाथ धड़ से अलग हुए थे. कहा जाता है कि जब रावण का विशाल धड़ पृथ्वी पर गिरा था तो पृथ्वी डगमगाने लगी थी.
श्रीराम ने रावण को दिव्य अस्त्र से मारा था, जिसे ब्रह्मा देव ने रावण को ही दिया था. हनुमान जी रावण के इस अस्त्र को लंका से लेकर आए थे और विभीषण ने रामजी को बताया था कि रावण की नाभि पर वार करने से ही उसका अंत होगा, क्योंकि रावण की नाभि में अमृत है. तब भगवान राम ने रावण की नाभि पर तीर चलाया, जिससे रावण का अंत हुआ. राम ने त्रेतायुग में आश्विन शुक्ल की दशमी तिथि को मारा था, इसलिए इस दिन को विजयादशी के रूप में मनाया जाता है.
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