Pots :  जीवन जीने के लिए ऊर्जा का मुख्य स्रोत आहार है. किस प्रकार का आहार हो इसके विषय पर शास्त्रों में काफी कुछ बताया गया है. आहार के अतिरिक्त किस पात्र में इसका सेवन किया जाए इसकी भी बहुत महत्ता बताई गई है. पात्र शब्द का अर्थ बहुत गूढ़ है शास्त्र सदैव ही सुपात्र पर ही जोर देते रहे हैं. अलग अलग धातु के पात्र में भोजन करने के गुण व दोष भी होते हैं. सुपात्र में भोजन किया जाए तो इसकी सकारात्मकता सुखमय और शांति प्रदान करने वाली होती है. पात्र यानी बर्तनों का विशेष महत्व होता है. जिसमें खाना पकाया व खाना खाया जाता है. तो आइए जानते है किस धातु में खाना बनाना और खाना देता है पोषण - 


स्मरण शक्ति को बढ़ाता है तांबा
तांबे के बर्तन में पानी पीने से व्यक्ति रोग मुक्त हो जाता है, रक्त शुद्ध होता है, स्मरण शक्ति अच्छी रहती है. तांबे के बर्तन में रखा पानी शरीर के विषैले तत्वों को खत्म कर देता है, जिससे लीवर संबंधी समस्या दूर होती है. जितना इस बर्तन में रखा पानी को पीना लाभप्रद होता है, उतना ही इसमें रखा दूध पीना हानिकारक. यह शरीर को नुकसान पहुंचाता है.


वायुदोष से बचाता है पीतल
पीतल का बर्तन खाना बनाने के लिए अति उपयोगी धातु है. इस धातु के बर्तन में बनाया हुआ खाने में पोषक तत्व भरपूर मात्रा में विद्यमान रहते हैं. इस पर खाना बनाने से केवल 7 प्रतिशत पोषक तत्व नष्ट होते हैं. यह कृमि रोग, कफ और वायुदोष इत्यादि बीमारियों के लिए अति लाभकारी धातु है.


लोहे के बर्तन में खाना पकाना बढ़ाता है शक्ति
लौह तत्व शरीर में जरूरी पोषक तत्वों को बढ़ाता है, इसमें खाना बनाने से शरीर की शक्ति बढ़ती है. यह शरीर में होने वाले कई रोगों जैसे - सूजन, पीलापन, कामला रोग इत्यादि का नाश करता है परंतु लोहे के बर्तन में खाना नहीं खाना चाहिए क्योंकि इसमें खाना खाने से बुद्धि कम होती है और दिमाग का नाश होता है. लोहे के बर्तन में दूध पीना अच्छा होता है.


स्टील का बर्तन होता है ओवरऑल अच्छा
स्टील के बर्तन ना ही गर्म से क्रिया करते हैं और न ही अम्ल से, इसलिए इनमें खाना पकाने और खाने से न ही शरीर को नुकसान पहुंचता है और न ही फायदा.


एल्युमिनियम में बना भोजन देता है मानसिक बीमारी
एल्युमिनियम से बने पात्रों का उपयोग बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए. यह हमारी हड्डियां कमजोर होती है, मानसिक बीमारियां बढ़ती है. लीवर और नर्वस सिस्टम क्षीर्ण होता जाता है. एल्युमिनियम में खाना बनाने से खाने के 87 प्रतिशत पोषक तत्व समाप्त हो जाते हैं.


कांसा करता है रक्त में शुद्धि
कांसे के बर्तन में खाना पकाने से बुद्धि तीव्र होती है. रक्त शुद्ध होता है. कांसे के बर्तन का खट्टी चीजों से संपर्क में लाने से बचना चाहिए. खट्टी चीजें धातु से क्रिया करके विषैली हो जाती है. जो शरीर के लिए अति नुकसानदायक होता है. कांसे के बर्तन में खाना पकाने से खाने के सिर्फ तीन प्रतिशत पोषक तत्व ही नष्ट होते हैं.


मिट्टी का बर्तन में खाना होता है पोषण से भरपूर
मिट्टी के बर्तन खाना पकाने के लिए अति उत्तम होते हैं. इसमें खाना पकाने से जो पोषक तत्व मिलते हैं, वो बीमारी को दूर करते हैं. आर्युवेद के अनुसार यदि भोजन को पौष्टिक और स्वादिष्ट बनाना है तो उसको धीरे-धीरे पकाना चाहिए. भले ही मिट्टी के बर्तनों में खाना बनाने में समय ज्यादा लगता है लेकिन यह सेहत के लिए बहुत लाभदायक होता है. मिट्टी के बर्तन में खाना बनाने से पूरे 100 प्रतिशत पोषक तत्व मिलते हैं.


शरीर को शांत रखता है चांदी का बर्तन
चांदी एक ऐसी धातु है तो ठंडी होती है, जिससे शरीर को आंतरिक ठंडक मिलती है. शरीर को शांत रखती है. इस धातु के बर्तनों में खाना खाने से दिमाग तेज होता है. आंखें स्वस्थ होती है, आंखों की रोशनी बढ़ती है और साथ ही पित्त दोष, कफ और वायुदोष को नियंत्रित रखता है.


शरीर को बल देता है सोने धातु में बनाया भोजन
वैसे सोने के बर्तनों में भोजन करना या पकाना एक अतिशयोक्ति है. अब स्वर्ण धातु में भोजन करना आम जनमानस की कल्पना के परे है. लेकिन इस धातु का बहुत महत्व है. सोना गर्म धातु है. इस पात्र में बने भोजन बनाने और करने से शरीर के आंतरिक और बाहरी दोनों हिस्से कठोर, ताकतवर, मजबूत और बलवान बनते हैं. साथ-साथ आंखों की रोशनी को बढ़ाता है.


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