अक्सर देखने में आता है कि अकादमिक शिक्षा में उम्दा प्रदर्शन करने वाले जिंदगी की आपाधापी में पीछे छूट जाते हैं. कक्षा के मेधावी असल व्यवहार में खुद को उलझा हुआ पाते हैं. इसलिए आधुनिक दौर में आईक्यू से ज्यादा ईक्यू यानि इमोशनल कोशंट को महत्व दिया जाता है.


इमोशनल कोशंट यानि भावनात्मक बुद्धिमत्ता हमें लोगों से बातचीत, संतुलन और सामंजस्य के साथ समस्या का हल करना सिखाती है. दुनिया में जितने भी महान लोग हुए हैं उनमें भावनात्मक बुद्धिमत्ता का विशेष प्रभाव रहा है. भारत में हुए अधिकांश संत ऋषिगण और जिम्मेदार लोग इमोशनल कोशंट के धनी रहे.


पुरानी कहावत भी है कि ‘‘जिसे बोलना आता है उसे सब आता है.‘‘ इसका आशय इमोशनल कोशंट से है. प्रत्येक बात को बेहतर ढंग से केवल ईक्यू वाला व्यक्ति ही रख सकता है. शासकीय सेवा के महत्वपूर्ण पदों के साक्षात्कार में इसी गुण को प्रतिभागी में सर्वाधिक जांचा जाता है.


सफलता डेली लाइफ के संघर्ष से आती है. इसमें इमोशनल कोशंट का धनी ही आगे बढ़ सकता है. यही कारण है कि नेता की योग्यता उसकी मात्र बुद्धिमत्ता ही नहीं होती है. वह एक लीडर या कप्तान होकर सभी साथियों को कैसे आगे ले जा पाता है. जिम्मेदारियों और समस्याओं के हल कैस लाता है, इस पर उसकी सफलता सर्वाधिक निर्भर करती है. भारत और विश्व में ऐसे लोगों के कई उदाहरण हैं.