Mahabharat : भीष्म से शिशुपाल तक, कुरुक्षेत्र में हर योद्धा था अवतार-दिव्य योद्धा
महाभारत यूं तो कौरवों के अत्याचार और पांडवों के सदाचार और धर्म के बीच की लड़ाई मानी गई, लेकिन वास्तविकता में यह युद्ध लड़ने वाला हर योद्धा किसी न किसी देवता अवतार या दिव्य पुत्र था. भीष्म से लेकर अश्वत्थामा और शिशुपाल तक पूर्व जन्म में दिव्य आत्माओं के अंश रहे, जिन्हें पापों का प्राश्श्चित करने के लिए धर्मयुद्ध में उतरना पड़ा.
Mahabharat : महाभारत में पांडवों की ओर से शस्त्र नहीं उठाने का प्रण लेकर आए श्रीकृष्ण विष्णु अवतार थे, तो उनके बड़े भाई बलराम शेषनाग के अंश थे. आठ वसुओं में एक 'द्यु' ने ही शांतनु पुत्र भीष्म के रूप में जन्म लिया था. अरिष्टा के बेटे हंस नामक गंधर्व ने धृतराष्ट्र-पाण्डु के रूप में जन्म लिया. सूर्य के अंश धर्म विदुर थे. कुंती और माद्री के रूप में सिद्धि और धृतिका का जन्म हुआ था, मति का जन्म राजा सुबल की पुत्री गांधारी के रूप में हुआ था.
देवताओं के अंश थे पांडव
सूर्यदेव के पुत्र कर्ण, इंद्र के पुत्र अर्जुन, पवन के पुत्र भीम, धर्मराज के पुत्र युधिष्ठिर और अश्विनी कुमार नासत्य और दस्त्र के पुत्र नकुल और सहदेव थे. अभिमन्यु चंद्रमा के पुत्र वर्चा के अंश थे. द्वापर युग के अंश से शकुनि, राजा भीष्मक की पुत्री रुक्मणि के रूप में लक्ष्मीजी और द्रौपदी के रूप में इंद्राणी हुई थीं. विश्वदेवगण द्रौपदी के पांचों पुत्र प्रतिविन्ध्य, सुतसोम, श्रुतकीर्ति, शतानीक और श्रुतसेव पैदा हुए थे. इंद्र की आज्ञानुसार अप्सराओं के अंश से 16 हजार स्त्रियां उत्पन्न हुई थीं.
राक्षस अंश थे दुर्योधन के भाई
दुर्योधन भले ही कलियुग का था, लेकिन 98 भाई पुलस्त्य वंश के राक्षस अंश थे. द्रोणाचार्य के रूप में देवगुरु बृहस्पति रणभूमि में उतरे तो अश्वत्थामा स्वयं रुद्र अंशावतार थे. गुरु कृपाचार्य रुद्र के एक गण रूप में जन्मे. मरुतगण के अंश से सात्यकि, द्रुपद, कृतवर्मा और विराट का जन्म हुआ था. अग्नि अंश धृष्टधुम्न और राक्षस अंश से शिखंडी जन्मा था. दानवराज विप्रचित्ति जरासंघ और हिरण्यकशिपु का अंश शिशुपाल था.
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