हिंदू धर्म में भगवान के कृष्ण के जन्मोत्सव को जन्माष्टमी के तौर पर मनाया जाता है. इस दिन कृष्ण भक्त व्रत रखते हैं. जन्माष्टमी के व्रत के कुछ विशेष नियम होते हैं. इन नियमों का पालन व्रत रखने वाले हर कृष्ण भक्त को करना होता है.


व्रत की विधि


-व्रत के दिन सुबह ब्रह्ममुहू्र्त में उठें और स्नानादि नित्यकर्मों से निवृत्त हो जाएं. हाथ में जल, फल, कुश और गंध लें और व्रत का संकल्प करें.


-भगवान कृष्ण के लिए झूला बनाकर उसकी प्रतिमा उस पर रख दें. प्रतिमा स्थापित करने से पहले बालगोपाल को गंगाजल से स्नान कराएं और नए वस्त्र पहनाएं. कृष्ण के साथ देवकी, वासुदेव, बलराम, नंदबाबा, यशोदा और राधाजी की भी पूजा की जाती है.


-रात 12 बजे चंद्र को देखकर कृष्ण जी झूला झुलाएं और उनका जन्मोत्सव मनाएं. कृष्ण जी की आरती करें और मंत्रोच्चारण करें. श्री कृष्ण को माखन-मिश्री का भोग जरूर लगाएं. त में प्रसाद वितरण करें.


क्या खाएं


-जन्माष्टमी का व्रत लोग अलग-अलग तरह से रखते हैं. कुछ लोग इन दिन निर्जला रखते हैं यानि दिन में पानी नहीं पीते हैं. वहीं कुछ लोग दिन भर उपवास रखकर रात को फलाहार करते हैं जबकि कुछ लोग दिन में दो बार फलाहार करते हैं.


-आप रसीले फल का सेवन कर सकते हैं यह आपके शरीर में पानी की कमी नहीं होने देते. तरबूज, खरबूजा, ककड़ी जैसे अधिक पानी वाले फल ले सकते हैं. अमरूद, केला और सेब भी खा सकते हैं. आप की दही की लस्सी व्रत की शुरूआत से पहले पी सकते हैं. लस्सी पीने से आपको ज्यादा प्यास नहीं लगेगी.


-जन्माष्टमी पर रात को व्रत खोलते वक्त लोग कूटू के आटे के व्यंजन और साबूदाने की खिचड़ी खाते हैं. ये दोनों चीजें हल्की होती हैं और पेट भी भर जाता है. यह ध्यान रखें की व्रत तोड़ते वक्त आपको बहुत ज्यादा भारी खाना नहीं खाना चाहिए इससे गैस बन सकती है.


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