Fasting Rules: सनातन धर्म (Snatan Dharma) में किसी भी देवता को प्रसन्न करने और उनकी कृपा पाने के लिए लोग उनकी पूजा-अर्चना (Puja Path) तो करते ही हैं. साथ ही व्रत भी रखते हैं, ताकि उनका आशीर्वाद पाया जा सके. अपनी मनोकामनाएं, दुख परेशानियों और कष्टों से छुटकारा पाने के लिए भी व्रत का ही सहारा लिया जाता है. ताकि भगवान को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद पाया जा सके और कष्टों का निवारण हो सके. इन दिनों लोगों के लिए व्रत का मतलब बदलता जा रहा है. आजकल लोग व्रत का मतलब विभिन्न प्रकार के फलहारी पकवान और आराम को समझ रहे हैं. 


ऐसे में किसी भी देवी-देवता के लिए रखे व्रत से पहले उनके नियमों को जान लेना बहुत जरूरी है. कई बार व्यक्ति को व्रत नियम न मालूम होने के कारण न तो व्रत का फल मिल पाता है और उल्टा वो पाप का भागीदार बन जाता है. धार्मिक मान्यता है कि व्रत एक तप है, जिसे नियम और संयम के साथ करने पर ही व्रत का फल मिलता है. आइए जानते हैं कि किसी भी व्रत को रखते समय किन बातों का खास ख्याल रखना चाहिए. 


व्रत से जुड़े जरूरी नियम (Vrat Niyam)


- हिंदू धर्म में किसी भी देवी-देवता के लिए आप व्रत सिर्फ तभी रखें जब आपकी उनमें अटूट श्रद्धा और विश्वास हो. 


- इसके बाद इस बात का ध्यान रखें कि व्रत शुरू करते समय संकल्प लें कि आप संबंधित देवी-देवता का व्रत कितने दिनों तक और किन नियमों का पालन करते हुए करेंगे. 


- इस बात का भी ध्यान अवश्य रहे कि व्रत हमेशा शुभ दिन और शुभ मुहूर्त में ही प्रारंभ किया जाए, ताकि व्रत का संकल्‍प निर्विघ्‍न संपन्‍न हो सके.


- व्रत के दौरान साधक को धर्म के इन क्षमा, सत्य, दया, दान, शौच, इन्द्रिय संयम, देवपूजा, अग्निहोत्र, संतोष तथा चोरी न करना, जैसे नियमों का सख्ती से पालन करना चाहिए.


- व्रत के दौरान पूरी तरह से ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करना चाहिए. इतना ही नहीं, मन में भी किसी के लिए काम या पाप की भावना भी नहीं आनी चाहिए. 


- कहते हैं कि व्रत वाले दिन गलती से भी सोने पर व्रत खंडित हो जाता है. इस दिन भजन-कीर्तन, ध्यान या स्वध्याय करना चाहिए.

- साथ ही, इस दिन अपने अराध्‍य देव के मंत्रों का मौन जप करें. साथ ही, उनकी कथा, कीर्तन आदि करते रहें. व्रत वाले दिन  क्रोध और अपशब्द का इस्तेमाल भूलकर भी न करें. 


- अगर गलती से या किसी कारण वश आपके व्रत टूट या छूट जाते हैं, तो उसके लिए अराध्य देव से क्षमा मांगें. 


- व्रत के पूर्ण होने पर उसका विधि-विधान से उद्यापन करना चाहिए. घर के बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लें और भगवान का धन्यवाद करें. 


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