(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Mahima Shanidev ki : शनिदेव की माता छाया को देखकर विश्वकर्मा ने कर दी थी विलुप्त होने की भविष्यवाणी, पढ़िए कथा
एक दिन जब शनिदेव ने मां से उनके घाव के बारे में पूछा तो मां ने बताया कि संभवत: यह घाव उन्हें चक्रवात के आक्रमण के दौरान लगी
Mahima Shanidev ki : शनिदेव (Shanidev) को दिव्यदंड उठाने के लिए मजबूर करने को चलाए गए चक्रवात की चपेट में आकर मां छाया घायल हो गईं, जिनका उपचार देवविश्वकर्मा के भवन में ही हो रहा था. उनकी देखभाल के लिए खुद शनिदेव मौजूद थे. मगर मां छाया के हाथ पर लगा विचित्र घाव सही नहीं हो रहा था.
एक दिन जब शनिदेव ने उनसे इस घाव के बारे में पूछा तो मां ने बताया कि संभवत: यह घाव उन्हें चक्रवात के आक्रमण के दौरान लगी, जो विश्राम करने से जल्द ही ठीक हो जाएगा. इस बीच सूर्यदेव छाया और शनिदेव को सूर्यलोक (Suryalok) ले आए. यहां पिता-पुत्र दोनों ही अपने-अपने तरीके से चक्रवात की उत्पत्ति और विश्वकर्मा भवन पर आक्रमण के कारण खोजने में जुट गए. दिन बीतते गए, लेकिन मां छाया के हाथ का घाव ठीक नहीं हो रहा था, इसको लेकर मां की चिंता उस समय और बढ़ गई, जब उन्होंने देखा कि जब वह सूर्यदेव के निकट जाती हैं तो वह घट जाता है और दूर जाने पर बढ़ने लगता है.
घाव का रहस्य जानने पिता के घर फिर लौटीं छाया
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार चक्रवात के आक्रमण के बाद उभरे इस विचित्र घाव से परेशान होकर छाया देवविश्वकर्मा के पास फिर लौटती हैं. यहां विश्वकर्मा बताते हैं कि यह घाव कभी भी ठीक नहीं हो सकता है. ये उनके समय के साथ विलुप्त होने का संकेत है. जैसे-जैसे संध्या का तप खत्म होने की ओर बढ़ेगा, छाया का घाव बढ़ता जाएगा और एक दिन जब संध्या का तप पूरा हो जाएगा तो छाया विलुप्त हो जाएगी.
यह सुनकर द्रवित छाया ने पूछा कि कितने दिन में उन्हें विलुप्त होना होगा तो विश्वकर्मा से बताया कि तीस दिन के अंदर छाया को संध्या के लिए विलुप्त हो जाना होगा, क्योंकि उनकी उत्पति का लक्ष्य संध्या की गैरमौजूदगी में संतान यम और यमी के साथ सूर्यदेव की सेवा करना था. अब उनकी उपस्थिति का कोई लक्ष्य नहीं बचा है. ऐसे में तीस दिन के अंदर वह विलुप्त हो जाएंगी.
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