Sawan Somwar 2024: सावन के चौथे सोमवार (Sawan Fourth Somwar) का व्रत कल यानि 12 अगस्त, 2024 ,सोमवार के दिन रखा जाएगा. साल 2024 में सावन (Sawan 2024) में कुल 5 सोमवार पड़ रहे हैं. सावन में भोलेनाथ (Bholenaath) की आराधना बहुत शुभ मानी जाती है.


सावन के सोमवार में भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए उनकी विधि विधान से अगर पूजा की जाएं तो हर मनोकामना पूर्ण होती है. 


सावन के चौथे सोमवार 2024 शुभ मुहूर्त (Fourth Sawan Somwar 2024 Shubh Muhurat)


सावन का चौथा सोमवार व्रत शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर किया जाएगा. सप्तमी तिथि 12 अगस्त को है. पंचांग के अनुसार, इस दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04:23 मिनट से लेकर 05:06 मिनट तक रहेगा. वहीं, अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:59 मिनट से लेकर दोपहर 12:52 मिनट तक रहेगा.


सावन सोमवार पूजा विधि (Sawan Somwar Puja Vidhi)
 



  • सावन सोमवार के दिन सुबह जल्दी उठकर व्रत का संकल्प लें,

  • सूर्य देव जल अर्पित करें.

  • इस दिन मंदिर जाकर शिवलिंग पर भोलेनाथ को उनकी प्रिय चीजें जरुर अर्पित करें.

  • जल में दही, दूध, घी, शहद और गंगाजल मिलाकर शिवलिंग का अभिषेक करें.

  • शिव भी जो उनके प्रिय बेलपत्र, पान, सुपारी और अक्षत चढ़ाएं.

  • इसके बाद शिव पर शिव जी के समझ फूल चढ़ाएं और घी का दीपक जलाएं.


सावन के सोमवार पर भोलेनाथ की आरती करने से आपकी हर मुराद पूरी होती है और भोलेशंकर का आशीर्वाद प्राप्त होता है. यहां पढ़ें शिव जी आरती (Aarti). 


भोलेनाथ की आरती (Bholenaath Ki Aarti)


शिव महिमा आरती
ओम जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा। ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥ ओम जय शिव ओंकारा॥
एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे। हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥ ओम जय शिव ओंकारा॥


दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे। त्रिगुण रूप निरखत त्रिभुवन जन मोहे॥ ओम जय शिव ओंकारा॥ 


अक्षमाला वनमाला मुण्डमालाधारी। त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥ ओम जय शिव ओंकारा॥


श्वेताम्बर पीताम्बर बाघंबर अंगे। सनकादिक गरुड़ादिक भूतादिक संगे॥ ओम जय शिव ओंकारा॥


कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूलधारी। सुखकारी दुखहारी जगपालनकारी॥ ओम जय शिव ओंकारा॥


ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका। मधु-कैटभ दो‌उ मारे, सुर भयहीन करे॥ ओम जय शिव ओंकारा॥


पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा। भांग धतूरे का भोजन, भस्मी में वासा॥ ओम जय शिव ओंकारा॥


जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला। शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥ ओम जय शिव ओंकारा॥


काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी। नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥ ओम जय शिव ओंकारा॥


त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे। कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित फल पावे॥ ओम जय शिव ओंकारा॥ स्वामी ओम जय शिव ओंकारा॥


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