Shukrawar AshtaLaxmi Puja: शुक्रवार का दिन धन की देवी लक्ष्मी की पूजा के लिए उत्तम माना गया है. आर्थिक तंगी, कर्ज से मुक्ति और गरीबी को दूर करने के लिए इस दिन विधि विधान से मां लक्ष्मी का पूजन करना चाहिए. जिस घर में धर्म के नियमों का पालन होता है वहां मां लक्ष्मी जरुर निवास करती हैं. लक्ष्मी को बहुत चंचल माना है यानी ये कभी एक स्थान पर नहीं ठहरती.
महालक्ष्मी (Maha Laxmi) की कृपा पाने के लिए पूजा-पाठ, विशेष उपाय, मंत्र जाप आदि किए जाते हैं. महालक्ष्मी के आठ स्वरूप हैं, मान्यता है कि शुक्रवार को इनकी आराधना करने से धन के अभाव खत्म होता है, बुद्धि में वृद्धि, परिवार में खुशहाली आती है. आइए जानते मां लक्ष्मी के आठ स्वरूप औऱ उनकी पूजन विधि
मां लक्ष्मी के आठ स्वरूप (Ashtalaxmi Name)
मां लक्ष्मी के आठों स्वरूपों में जीवन के आठ अलग-अलग वर्गों से जुड़ी हुई हैं. शुक्रवार को अष्ट लक्ष्मी का पूजन और उनके बीज मंत्र का जाप करने से भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है.
- श्री आदि लक्ष्मी
- श्री विद्या लक्ष्मी
- श्री धान्य लक्ष्मी
- श्री विजय लक्ष्मी यां वीर लक्ष्मी
- श्री धैर्य लक्ष्मी
- श्री गज लक्ष्मी
- श्री ऐश्वर्य लक्ष्मी
- श्री संतान लक्ष्मी
अष्ट लक्ष्मी की पूजन विधि (AshtaLaxmi Puja vidhi)
- शास्त्रों में मां लक्ष्मी के पूजन के लिए रात का समय शुभ माना गया है. शुक्रवार की रात 9 से 10 के बीच मां लक्ष्मी की आराधना करें.
- स्वस्छ वस्त्र धारण कर पूजा की चौकी पर गुलाबी कपड़े पर श्रीयंत्र और अष्ट लक्ष्मी की तस्वीर स्थापित करें
- अब अष्टलक्ष्मी के समक्ष 8 घी के दीपक जलाएं. अष्टगंध से श्रीयंत्र और अष्ट लक्ष्मी को तिलक लगाएं. मां को लाल गुडहल के फूलो की माला चढ़ाएं.
- अष्टलक्ष्मी के बीज मंत्र ऐं ह्रीं श्रीं अष्टलक्ष्मीयै ह्रीं सिद्धये मम गृहे आगच्छागच्छ नमः स्वाहा।। का एक माला जाप करें. फिर आठों दीपक को घर की आठ दिशाओं में रख दें. मान्यता है इससे हर समास्या का समाधान हो जाता है.
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