(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
शुक्रवार के दिन पूजा के बाद जरूर करें ये काम, संतोषी मां जल्द पूरी करेंगी आपकी सभी इच्छाएं
शुक्रवार को मां लक्ष्मी, मां दुर्गा, संतोषी मां और सभी देवियों की विधि-विधान के साथ पूजा अर्चना की जाती है. पूजा पाठ के बाद संतोषी मां की आरती अवश्य करें. ऐसा करने से ही व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होगा.
शुक्रवार का दिन हिंदू धर्म में सभी देवियों को समर्पित है. इस मां लक्ष्मी, मां दुर्गा, संतोषी मां और सभी देवियों की विधि-विधान के साथ पूजा अर्चना की जाती है. ऐसा माना जाता है कि शुक्रवार के दिन सच्ची श्रद्धा से माता संतोषी की पूजा-अर्चना करने और व्रत आदि से भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं. और साथ ही भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. व्यक्ति के जीवन में दुखों का नाश होता है.
शुक्रवार के दिन मां के विभिन्न रुपों की उपासना की जाती है. कहते हैं कि व्रत का पूर्ण फल तभी प्राप्त होता है, जब व्रत के नियमों का पालन सच्चे मन और पूरी श्रद्धा के साथ किया जाता है. पूजा पाठ के बाद संतोषी मां की आरती अवश्य करें. ऐसा करने से ही व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होगा.
संतोषी माता आरती (Santoshi Mata Aarti)
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता।
अपने सेवक जन की,
सुख सम्पति दाता॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता॥
सुन्दर चीर सुनहरी,
मां धारण कीन्हो।
हीरा पन्ना दमके,
तन श्रृंगार लीन्हो॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता॥
गेरू लाल छटा छबि,
बदन कमल सोहे।
मंद हंसत करुणामयी,
त्रिभुवन जन मोहे॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता॥
स्वर्ण सिंहासन बैठी,
चंवर दुरे प्यारे।
धूप, दीप, मधु, मेवा,
भोज धरे न्यारे॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता॥
गुड़ अरु चना परम प्रिय,
तामें संतोष कियो।
संतोषी कहलाई,
भक्तन वैभव दियो॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता॥
शुक्रवार प्रिय मानत,
आज दिवस सोही।
भक्त मंडली छाई,
कथा सुनत मोही॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता॥
मंदिर जग मग ज्योति,
मंगल ध्वनि छाई।
विनय करें हम सेवक,
चरनन सिर नाई॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता॥
भक्ति भावमय पूजा,
अंगीकृत कीजै।
जो मन बसे हमारे,
इच्छित फल दीजै॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता॥
दुखी दारिद्री रोगी,
संकट मुक्त किए।
बहु धन धान्य भरे घर,
सुख सौभाग्य दिए॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता॥
ध्यान धरे जो तेरा,
वांछित फल पायो।
पूजा कथा श्रवण कर,
घर आनन्द आयो॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता॥
चरण गहे की लज्जा,
रखियो जगदम्बे।
संकट तू ही निवारे,
दयामयी अम्बे॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता॥
सन्तोषी माता की आरती,
जो कोई जन गावे।
रिद्धि सिद्धि सुख सम्पति,
जी भर के पावे॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता।
अपने सेवक जन की,
सुख सम्पति दाता॥
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