Friday Santoshi Mata: शुक्रवार के दिन संतोषी मां को प्रसन्न करने के लिए पूजन के बाद जरूरी है ये कार्य, जल्द पूरी होंगी मनोकामना
Friday Santoshi Mata: हिंदू धर्म में शुक्रवार का दिन देवी मां की उपासना को समर्पित है. कहते हैं कि शुक्रवार के दिन मां दुर्गा, मां संतोषी, मां लक्ष्मी और सभी देवियों को समर्पित है.
Friday Santoshi Mata: हिंदू धर्म में शुक्रवार का दिन देवी मां की उपासना को समर्पित है. कहते हैं कि शुक्रवार के दिन मां दुर्गा, मां संतोषी, मां लक्ष्मी और सभी देवियों को समर्पित है. इस दिन आदिशक्ति माता के विभिन्न रूपों की पूजा उपासना की जाती है. धार्मिक मान्यता है कि शुक्रवार के दिन सच्ची श्रद्धा से माता संतोषी की पूजा-अर्चना और व्रत आदि करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और दुखों का नाश होता है.
इस दिन मां संतोषी के लिए व्रत भी रखा जाता है. इस दिन व्रत के कठोर नियम होते हैं. इन कठोर नियमों का पालन करने पर ही व्रत सफल होते हैं. संतोषी माता के व्रत सुख-समृद्धि की प्राप्ति के लिए रखा जाता है. मां की पूजा-पाठ करने के बाद ये आरती अवश्य करें. ऐसा करने से ही व्रत पूर्ण माना जाएगा और व्रत का फल मिलेगा.
संतोषी माता आरती (Santoshi Mata Aarti)
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता।
अपने सेवक जन की,
सुख सम्पति दाता॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता॥
सुन्दर चीर सुनहरी,
मां धारण कीन्हो।
हीरा पन्ना दमके,
तन श्रृंगार लीन्हो॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता॥
गेरू लाल छटा छबि,
बदन कमल सोहे।
मंद हंसत करुणामयी,
त्रिभुवन जन मोहे॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता॥
स्वर्ण सिंहासन बैठी,
चंवर दुरे प्यारे।
धूप, दीप, मधु, मेवा,
भोज धरे न्यारे॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता॥
गुड़ अरु चना परम प्रिय,
तामें संतोष कियो।
संतोषी कहलाई,
भक्तन वैभव दियो॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता॥
शुक्रवार प्रिय मानत,
आज दिवस सोही।
भक्त मंडली छाई,
कथा सुनत मोही॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता॥
मंदिर जग मग ज्योति,
मंगल ध्वनि छाई।
विनय करें हम सेवक,
चरनन सिर नाई॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता॥
भक्ति भावमय पूजा,
अंगीकृत कीजै।
जो मन बसे हमारे,
इच्छित फल दीजै॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता॥
दुखी दारिद्री रोगी,
संकट मुक्त किए।
बहु धन धान्य भरे घर,
सुख सौभाग्य दिए॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता॥
ध्यान धरे जो तेरा,
वांछित फल पायो।
पूजा कथा श्रवण कर,
घर आनन्द आयो॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता॥
चरण गहे की लज्जा,
रखियो जगदम्बे।
संकट तू ही निवारे,
दयामयी अम्बे॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता॥
सन्तोषी माता की आरती,
जो कोई जन गावे।
रिद्धि सिद्धि सुख सम्पति,
जी भर के पावे॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता।
अपने सेवक जन की,
सुख सम्पति दाता॥
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