नई दिल्ली: भादो मास के शुक्लपक्ष की चतुर्थी के दिन यानि 2 सितंबर को देश भर में गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाएगा. इसी दिन स्वाति नक्षत्र और सिंह लग्न में भगवान गणेश का जन्म हुआ था. गणेश को देवताओं में प्रथम पूज्य माना गया है. इनके जन्म के पीछे एक पौराणिक कथा है.


माना जाता है कि एक बार भगवान शिव कहीं गए हुए थे. देवी पार्वती उसी वक्त स्नान करने जा रहीं थीं, तो उन्होंने स्नानगृह की रक्षा के लिए अपने शरीर पर लगे हुए चंदन लेप से एक मूर्ती बनाई और फिर उसमें प्राण डाल दिए. इसके बाद देवी स्न्नान करने चलीं गईं. तभी भगवान शिव वहां आ गए, जैसे वो अंदर जाने लगे तो गणेश ने उन्हें द्वार पर रोक दिया.


भगवान शिव ने गणेश से अंदर जाने की बात कही, लेकिन गणेश ने उन्हें अंदर नहीं जाने दिया. जिसके बाद शिव और गणेश में संग्राम छिड़ गया. गणेश स्वयं भी शक्ति के अंश थे, वो भगवान शंकर के हर प्रहार को निष्फल करते गए. जिसके बाद शिव ने क्रोध में आकर अपने त्रिशूल से गणेश की गर्दन को धड़ से अलग कर दिया.


देवी पार्वती ने जैसे ही गणेश को उस अवस्था ने देखा उनका क्रोध भड़क गया. इसके बाद सभी देवता घबरा गए. तब भगवान शिव ने गणेश को फिर से जीवित करने की बात कही. इसके बाद गणपति के मृत धड़ पर हाथी का सिर लगाकर उन्हें पुन: जीवित किया गया, इस तरह गजानन का जन्म हुआ. इन दिन से गणेश चतुर्थी की पर्व मनाया जाता है. कुछ इतिहासकारों का मत है कि सातवाहन, राष्ट्रकूट और चालुक्य के शासनकाल भी गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाता था.


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