Ganesh Chaturthi 2020: गणेश जी को प्रथम देव माना गया है. शुभ कार्य करने से पहले भगवान गणेश जी का ध्यान किया जाता है. माना जाता है कि किसी भी शुभ कार्य करने से पूर्व गणेश जी की वंदना और स्तुति से कार्य में आने वाले विघ्न समाप्त हो जाते हैं. इसीलिए भगवान गणेश जी को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है.


भगवान गणेश जी ने ही महाभारत काव्य अपने हाथों से लिखा था. पौराणिक कथा के अनुसार विद्या के साथ साथ भगवान गणेश को लेखन कार्य का भी अधिपति माना गया है. गणेश जी को सभी देवी देवताओं में सबसे अधिक धैर्यवान माना गया है. उनका चित्त स्थिर और शांत बताया गया है. कैसी भी परिस्थिति हो वे अपना धैर्य नहीं खोते हैं. शांत भाव से अपने कार्य को करते रहते हैं. इसी कारण उनकी लेखन की शक्ति भी अद्वितीय मानी गई है.


महर्षि वेद व्यास भगवान गणेश के इसी खूबी के चलते अति प्रभावित थे. जब महर्षि वेदव्यास ने महाभारत की रचना करने का मन बनाया तो उन्हें महाभारत जैसे महाकाव्य के लिए एक ऐसे लेखक की तलाश थी जो उनके कथन और विचारों को बिना बाधित किए लेखन कार्य करता रहे. क्योंकि बाधा आने पर विचारों की सतत प्रक्रिया प्रभावित हो सकती थी.


महर्षि वेद व्यास ने सभी देवी देवताओं की क्षमताओं का अध्ययन किया लेकिन वे संतुष्ट नहीं हुई तब उन्हें भगवान गणेश जी का ध्यान आया. महर्षि वेद व्यास ने गणेशजी से संपर्क किया और महाकाव्य लिखने का आग्रह किया. भगवान गणेश जी ने वेद व्यास जी के आग्रह को स्वीकार कर लिया लेकिन एक शर्त उनके सम्मुख रख दी. शर्त के अनुसार काव्य का आरंभ करने के बाद एक भी क्षण कथा कहते हुए रूकना नहीं है. क्योंकि ऐसा होेने पर गणेश ने कहा कि वे वहीं लेखन कार्य को रोक देंगे. गणेश जी की बात को महर्षि वेद व्यास ने स्वीकार कर लिया, लेकिन उन्होनें भी एक शर्त गणेशजी के सामने रख दी. महर्षि वेद व्यास जी ने कहा कि बिना अर्थ समझे वे कुछ नहीं लिखेंगे. इसका अर्थ ये था कि गणेश जी को प्रत्येक वचन को समझने के बाद ही लिखना होेगा. गणेश जी ने महर्षि वेद व्यास की इस शर्त को स्वीकार कर लिया. इसके बाद महाभारत महाकाव्य की रचना आरंभ हुई. कहा जाता है कि महाभारत के लेखन कार्य पूर्ण होने में तीन वर्ष का समय लगा. इन तीन वर्षों में गणेश जी ने एक बार भी महर्षि वेद व्यास जी को एक पल के लिए भी नहीं रोका, वहीं महर्षि ने भी अपनी शर्त पूरी की. इस तरह से महाभारत पूर्ण हुआ.


Ganesh Chaturthi 2020: शुभ कार्य करने से पहले गणेश जी की इसलिए की जाती है पूजा, जानें कथा