Ganesh Chaturthi 2020: गणेश चतुर्थी का दिन गणेश भक्तों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है. भाद्रपद मास में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है. इस दिन गणेश जी की विशेष पूजा की जाती है. इस दिन गणेश जी को घरों में विराजमान किया जाता है.


गणेश चतुर्थी का पर्व सुख समृद्धि के लिए भी जाना जाता है. भगवान गणेश जी को सुख समृद्धि का दाता माना जाता है. इसलिए इस दिन घरों और मंदिरों में गणेश चतुर्थी के पर्व भगवान गणेश जी की विशेष पूजा की जाती है. भगवान गणेश जी को एकदंत भी कहा गया है. गणेश जी कैसे एकदंत कहलाए इसके पीछे एक रोचक कथा है. आइए जानते हैं इस कथा के बारे में.


गजानन और एकदंत की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार भगवान गणेश जब शिशु अवस्था में थे तो एक बार गणेश जी को देखने के लिए शनि देव आए. शनि ग्रह की दृष्टि पड़ने से गणेश जी का सिर जलकर भस्म हो गया. गणेश जी की ऐसी हालत देखकर माता पार्वती को बहुत पीड़ा हुई. माता पार्वती की पीड़ा जब भगवान ब्रह्मा जी से नहीं देखी गई तो व्रह्मा जी ने माता पार्वती को एक उपाय बताया. उन्होने कहा कि जिसका सिर सर्वप्रथम मिले उसी को गणेश के सिर पर लगा दें. इसके बाद पार्वती जी वहां से चलीं आईं. पहला सिर हाथी के बच्चे का मिला. इसे गणेश जी को लगा दिया. हाथी का सिर होने के कारण ही भगवान गणेश जी का गजानन कहा जाता है. वहीं एक अन्य कथा के अनुसार माता पार्वती स्नान करने चली गईं और मुख्य दरवाजे पर गणेश जी को बैठा दिया और कहा किसी को प्रवेश न दें. तभी वहां पर भगवान शिव का आगमन हुआ. उन्होंने प्रवेश करने की कोशिश की तो गणेश जी ने उन्हें रोक दिया. इस पर भगवान शंकर को क्रोध आ गया और उन्होंने क्रोध में गणेश जी का सिर धड़ से अलग कर दिया. शिवजी ने बाद में गणेश जी को हाथी का सिर लगा दिया.


भगवान परशुराम ने तोड़ दिया गणेश जी का दांत
भगवान शंकर और माता पार्वती जब अपने शयन कक्ष में विश्राम कर रहे थे तो गणेश जी को उन्होंने द्वार पर बैठा दिया और कहा कि किसी को भी न आने दे. तभी वहां पर परशुराम जी आ गए और भगवान शंकर से मिलने के लिए कहा. लेकिन गणेश जी ने ऐसा करने से माना कर दिया. इस पर परशुराम जी को क्रोध आ गया और उन्होने अपने फरसे से उनका एक दांत तोड़ दिया.