Ganesh Chaturthi 2020: शुभ कार्य करने से पहले गणेश जी की इसलिए की जाती है पूजा, जानें कथा
Ganesh Chaturthi 2020: गणेश चतुर्थी का पर्व 22 अगस्त को हैं. भगवान गणेश को सभी देवताओं में प्रथन स्थान प्राप्त है. किसी भी शुभ कार्य को आरंभ करने से पूर्व भगवान गणेश की स्तुति की जाती है.
Ganesh Chaturthi 2020: पंचांग के अनुसार गणेश चतुर्थी का पर्व भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाएगा. इस पर्व को भगवान गणेश जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है. भगवान गणेश को सुख समृद्धि का दाता माना गया है. गणेश जी बुद्धि के भी दाता है. कोई भी शुभ कार्य बिना गणेश जी के पूरा नहीं हो सकता है. इसीलिए सर्वप्रथम भगवान गणेश जी की पूजा और स्तुति की जाती है. गणेश जी को प्रथम देव माना गया है. इसके पीछे एक रोचक कथा भी है. आइए जानते हैं इस कथा के बारे में.
ऐसे बने गणेश जी प्रथम देवता एक पौराणिक कथा के अनुसार एक बार देवताओं का प्रतिनिधि मंडल भगवान शिव के पास अपनी कुछ समस्याओं को लेकर पहुंचा. उस समय भगवान शिव के पास भगवान गणेश और भगवान कार्तिकेय भी वहीं बैठे थे. देवताओं की समस्याओं को सुनने के बाद भगवान शिव ने गणेश और कार्तिकेय से कहा कि आप दोनों में से कौन इन देवताओं की समस्याओं को हल करेगा. इस पर गणेश जी और कार्तिकेय जी ने एक स्वर में हां कर दी. जब देवताओं की समस्या को दूर करने के मदद करने के लिए दोनों तैयार हो गए तो शिवजी नें भगवान गणेश और भगवान कार्तिकेय सामने एक प्रतियोगिता रखी.
इस प्रतियोगिता के अनुसार पृथ्वी की परिक्रमा करनी थी. शर्त थी कि जो परिक्रमा करके पहले लौटेगा वही देवताओं की समस्या का हाल करेगा. इतना सुनते ही भगवान कार्तिकेय मोर पर सवार होकर पृथ्वी की परिक्रमा के लिए निकल पड़े. लेकिन गणेश जी अपने स्थान पर खड़े होकर विचार करने लगे कि मूषक पर सवार होकर पृथ्वी की परिक्रमा कैसे हो सकती है. तभी गणेश जी के दिमाग में एक विचार आया और उन्होने माता पार्वती और पिता शिवजी की परिक्रमा आरंभ कर दी. सात परिक्रमा करने के बाद वे अपने स्थान पर खड़े हो गए. थोड़ी देर बाद कार्तिकेय पृथ्वी की परिक्रमा करके वापिस आ गए और गणेश जी को अपने स्थान पर देखकर स्वयं को विजेता बताने लगे.
तब शिवजी ने गणेश जी की तरफ देखा और प्रश्न किया कि पृथ्वी की परिक्रमा करने क्यों नहीं नहीं गए. इस प्रश्न के उत्तर में भगवान गणेश ने कहा कि माता पिता भी संसार है. फिर चाहे पृथ्वी की परिक्रमा की जाए या अपने माता पिता की एक ही बात है. इस बात से भगवान शिव और माता पार्वती बेहद प्रसन्न हुए और गणेश जी को देवताओं की समस्या हल करने के आज्ञा दी. तभी से भगवान गणेश जी की प्रथम देव के रुप में स्तुति की जाने लगी. भगवान शिव ने गणेश जी को आर्शीवाद दिया कि जो भी शुभ कार्य से पूर्व गणेश जी की पूजा करेगा उसकी सभी मनोकामना पूर्ण होगी.