Ganesh Chaturthi Katha: सनातन धर्म (hindu dharma) में किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से पहले गणेश पूजन (ganesh pujan) किया जाता है. भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी (ganesh chaturthi) मनाई जाती है. इस बार गणेश चतुर्थी 10 सितंबर (ganesh chaturthi on 10th september) को मनाई जाएगी. इस दिन बप्पा लोगों के घर विराजेंगे. 10 दिन तक चलने वाले ये पर्व 19 सितंबर अन्नत चतुर्दशी (19 september anant chaturdashi) के दिन समापत होते हैं. 19 सितंबर को गणेश विसर्जन (ganesh visarjan) किया जाएगा. बप्पा (bappa) को शुभ मुहूर्त में घर लाया जाता है. इस दिन घर की साफ-सफाई पहले ही कर ली जाती है. घर पर गणपति स्थापित (ganpati sthapna) करने के बाद उनकी विधि पूर्वक पूजा की जाती है. गणेश चतुर्थी के दिन व्रत रखने की भी मान्यता है. कहते हैं इस दिन रखे गए व्रत से गणपित प्रसन्न को कर आपके सारे दुख हर लेते हैं और विघ्न दूर कर घर में सुख-समृद्धि देते हैं. इस दिन व्रत कथा के श्रवण से ही लाभ मिलता है. आइए जानते हैं गणेश चतुर्थी की व्रत कथा (ganesh chaturthi vrat katha) के बारें में-


गणेश चतुर्थी व्रत कथा (ganesh chaturthi vrat katha)


धार्मिक दृष्टि से कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं, जिनमें से एक पौराणिक कथा ये भी है. पुराणों के अनुसार एक बार सभी देवता संकट में घिर गए और उसके निवारण के लिए वे भगवान शिव के पास पहुंचे. उस समय भगवान शिव और माता पार्वती (lord shiva and mata parvati) अपने दोनों पुत्र कार्तिकेय (kartikey) और गणेश (ganesh) के साथ मौजूद थे. देवताओं की समस्या सुनकर भगवान शिव ने दोनों पुत्र से प्रश्न किया कि देवताओं की समस्याओं का निवारण तुम में से कौन कर सकता है. ऐसे में दोनों ने एक ही स्वर में खुद को इसके योग्य बताया. 


दोनों के मुख से एक साथ हां सुनकर भगवान शिव भी असमंजस में पड़ गए कि किसे ये कार्य सौंपा जाए. और इसे सुलाझाने के लिए उन्होंने कहा कि तुम दोनों में से सबसे पहले जो इस पूरी पृथ्वी का चक्कर लगा कर आएगा, वही देवताओं की मदद करने जाएगा. शिव की बात सुनते ही कार्तिकेय अपने वाहन मोर पर बैठ कर पृथ्वी का चक्कर लगाने के लिए निकल गए. लेकिन गणेश सोचने लगे कि मोषक पर बैठकर वह कैसे जल्दी पृथ्वी की परिक्रमा कर पाएंगे. बहुत सोच-विचार के बाद उन्हें एक उपाय सूझा. गणेश अपने स्थान से उठे और अपने माता-पिता भगवान शिव और माता पार्वती की सात बार परिक्रमा करके बैठ गए और कार्तिकेय के आने का इंतजार करने लगे. 


गणेश को ऐसा करता देख सब अचंभित थे कि आखिर वो ऐसा करके आराम से क्यों बैठ गए हैं. भगवान शिव ने गणेश से परिक्रमा न करने का कारण पूछा, तो उन्होंने कहा कि माता-पिता के चरणों में ही समस्त लोक है. उनके इस जवाब से सभी दंग रह गए. गणेश का ऐसा उत्तर पाकर भगवान शिव भी प्रसन्न हो गए और उन्हें देवता की मदद करने का कार्य सौंपा. साथ ही कहा, कि हर चतुर्थी के दिन जो तुम्हारी पूजन और उपासना करेगा उसके सभी कष्टों का निवारण होगा. इस व्रत को करने वाले के जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होगा. कहते हैं कि गणेश चतुर्थी के दिन व्रत कथा पढ़ने और सुनने से सभी कष्टों का नाश होता है, और जीवन भर किसी कष्ट का सामना नहीं करना पड़ता.


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