Ganesh Chaturthi 2021: गणेश चतुर्थी के बाद सोमवार की पूजा का क्या है महत्व, जानें गणेश जी क्यों है शिव और पार्वती के प्रिय
Ganesh Chaturthi 2021: गणेश चतुर्थी के बाद पहला सोमवार 13 सितंबर को है, इस दिन भगवान श्री गणेशजी की पूजा का अति विशिष्ट महत्व है. आइये जानें भगवान शिव और पार्वती को गणेश जी क्यों प्रिय हैं?
Ganesh Chaturthi 2021: हिंदी पंचांग के अनुसार गणेश चतुर्थी के बाद पहला सोमवार और भाद्रपद मास का अंतिम सोमवार 13 सितंबर को है. हिंदू धर्म में वैसे तो सभी सोमवार विशिष्ट होते हैं परंतु 13 सितंबर को पड़ने वाले सोमवार को गणेश चतुर्थी और भादो का अंतिम सोमवार होने से इसका महत्व और अधिक बढ़ जाता है. गणेशोत्सव के दौरान इस सोमवार की पूजा अति विशिष्ट हो गई है.
गणेश चतुर्थी के बाद सोमवार पूजा का महत्व
भाद्रपद मास चातुर्मास का दूसरा महीना है. यह मास भगवान शिव को समर्पित होता है. चतुर्मास में भगवान विष्णु पृथ्वी लोक से पाताल लोक जाकर विश्राम करते हैं. इसलिए चतुर्मास में पृथ्वी लोक का उत्तरदायित्व भगवान शिव पर होता है. साथ ही सोमवार का दिन भी भगवान शिव और माता पार्वती केलिए उत्तम होता है. इसके अलावा भगवान गणेश, भगवन शिव और माता पार्वती के पुत्र है. जिनका जन्मोत्सव गणेश चतुर्थी से लेकर अनंत चतुर्दशी तक चलता है. इस लिए यह सोमवार पूजा की दृष्टि से बेहद खास बन जाता है.
धार्मिक मान्यता है कि ऐसे शुभ संयोग में सोमवार व्रत को करने से सुख, समृद्धि और यश की प्राप्ति होती है. भगवान गणपति भक्तों के सभी संकट को दूर करते हैं. उनकी सारी मनोकामना पूर्ण होती है.
भगवान श्री गणेश जी को ज्ञान, बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य का देवता माना जाता है. संकट दूर करने की वजह इन्हें विघ्नहर्ता के रूप में पूजा जाता है. किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले सर्वप्रथम गणेश जी का पूजन किया जाता है.
मान्यता है कि जिन कन्याओं के जीवन में विवाह संबंधी अड़चनें आ रही हों उन्हें सावन के सोमवार का व्रत जरूर रखना चाहिए तथा भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए. ऐसा करने से भगवान शिव उनकी समस्या दूर कर देंगे.
भगवान शिव और देवी पार्वती के बेहद प्रिय हैं गणेश जी
भगवान शिव और माता पार्वती को बेहद प्रिय हैं. ये उनके आज्ञाकारी पुत्र थे. गणेश जी को गणपति का अवतार माना जाता है. वेदों में गणपति जी अनादि माने गए हैं. इसका अर्थ यह हुआ कि भगवान गणपति अनादि काल से है और वह अज, अनादि व अनंत हैं. भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा में इनकी पूजा सबसे पहले हुई थी.