Ganesh Chaturthi 2022 Janm Katha: इस साल गणेश चतुर्थी का त्योहार 31 अगस्त को मनाया जाएगा. इसी दिन से 10 दिवसीय गणेशोत्सव का शुभारंभ होगा. इसका समापन चतुर्दशी के दिन गणपति बप्पा की मूर्ति विसर्जन के साथ किया जायेगा. गणेश चतुर्थी हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है क्योंकि इस तिथि को ही भगवान गणेश का जन्म हुआ था. इनका जन्म कैसे हुआ था? इसके पीछे एक अत्यंत रोचक कथा भी है. जिसके पढ़ने या श्रवण करने मात्र से सारे दुःख दूर हो जाते हैं. आइए जानते हैं विघ्नहर्ता, मंगलमूर्ति के जन्म से जुड़ी इस अनोखी कहानी के बारे में.


भगवान गणेश के जन्म की रोचक कथा


शिवपुराण के अनुसार भगवान गणेश का जन्म माता पार्वती के उबटन से हुआ था. इस कहानी के अनुसार, देवी माता एक बार हल्दी का उबटन लगाई थी. कुछ देर के बाद उन्होंने  उबटन को उतार कर एक पुतला बनाया. उसके बाद उस पुतले में प्राण डाले. इस तरह भगवान गणेश का जन्म हुआ. माता पार्वती ने लंबोदर को द्वार पर बैठा दिया और बोली कि किसी को भी अंदर मत आने देना. कुछ देर के बाद महादेव आए और घर जाने लगे. इस पर गणेश भगवान ने उन्हें रोक दिया. इससे क्रोधित होकर भगवान शिव ने अपने त्रिशूल से गणपति की गर्दन काट दी.


जब मां पार्वती ने गणपति की हालत देखा तो वह विलाप करने लगी और महादेव से बोली कि आपने मेरे पुत्र का सिर क्यों काट दिया. भोलेनाथ के पूंछने पर माता पार्वती ने सारी बात बताई और बेटे का सिर वापस लाने को कहा. तब भोलेनाथ ने कहा कि इसमें मैं प्राण तो डाल दूंगा परंतु सिर की जरूरत होगी. तभी भोलेनाथ ने कहा कि हे गरुड़ तुम उत्तर दिशा की ओर जाओ और जो मां अपने बेटे की तरफ पीठ करके लेटी हो, उस बच्चे का सिर ले आओ. गरुड़ काफी समय तक भटकते रहे. आखिरी समय में एक हथिनी मिली जो अपने बच्चे की तरफ पीठ करके सो रही थी. गरुड़ उस बच्चे का सिर ले आए. भगवान भोलेनाथ ने वह सिर गणेश के शरीर से जोड़ दिया और उसमें प्राण डाल दिए.




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